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Armed Forces Tribunal: आर्मी कैप्टन की उम्रकैद निलंबित, जम्मू-कश्मीर के अमशीपोरा फर्जी मुठभेड़ मामले में फैसला
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: ज्योति भास्कर
Updated Mon, 13 Nov 2023 11:10 PM IST
सार
जम्मू कश्मीर के अमशीपोरा फर्जी मुठभेड़ मामले में आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल ने अहम फैसला सुनाया है। सेना के कैप्टन की उम्रकैद की सजा को निलंबित कर सशर्त जमानत दी गई है।
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Armed Forces Tribunal
- फोटो : Social Media
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विस्तार
सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल) ने सेना के एक कैप्टन की आजीवन कारावास की सजा को निलंबित कर दिया है। मामला जम्मू कश्मीर के अमशीपोरा गांव से जुड़ा है। दक्षिण कश्मीर के अमशीपोरा गांव में जुलाई 2020 में "फर्जी" मुठभेड़ में तीन लोगों की हत्या के दोषी पाए गए कैप्टन को कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के बाद आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, अब ट्रिब्यूनल ने उनकी सजा को निलंबित कर सशर्त जमानत दे दी है।
कैप्टन भूपेन्द्र सिंह को सशर्त जमानत के बाद अगले साल जनवरी से नियमित अंतराल पर अपने प्रमुख रजिस्ट्रार के सामने पेश होने का निर्देश भी दिया गया है। उम्रकैद को निलंबित करने वाला आदेश बीते 9 नवंबर को पारित हुआ। 25 पन्नों का आदेश न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन की अध्यक्षता वाले दो-सदस्यीय न्यायाधिकरण ने पारित किया।
आदेश में कहा गया, "वर्तमान मामले में अभियोजन पक्ष ने जिन सबूतों पर भरोसा किया और SGCM (समरी जनरल कोर्ट मार्शल) ने भी इसे स्वीकार किया गया, हमारे विचार में आवेदक के खिलाफ लगाए गए आरोपों को सिद्ध करने या उसे दोषी ठहराने के लिए इन्हें पर्याप्त और ठोस नहीं माना जा सकता। प्रथम दृष्टया, रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्री के आधार पर ट्रिब्यूनल आश्वस्त है कि इस अपील की सुनवाई के बाद आवेदक को बरी किए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।"
ट्रिब्यूनल ने कहा, "आवेदक पहले से ही लगभग तीन साल की अवधि के लिए हिरासत में है। ऐसे में यह एक उपयुक्त मामला है, जहां प्रथम दृष्टया, रिकॉर्ड पर उपलब्ध साक्ष्य से पता चलता है कि सजा को निलंबित करके आवेदक को जमानत दी जा सकती है।"
आवेदक (कैप्टन भूपेन्द्र सिंह) के जमानत पर रहने के दौरान आजीवन कारावास की सजा निलंबित रहेगी। आवेदक को जनवरी, 2024 से शुरू होने वाले महीने के पहले सोमवार को वैकल्पिक रूप से इस ट्रिब्यूनल के प्रधान रजिस्ट्रार के सामने पेश होना होगा। पेशी का मकसद इस मामले में किसी भी अन्य जरूरत के लिए आवेदक को दोबारा ट्रिब्यूनल के सामने हाजिर करना या उससे संपर्क करना और जरूरी होने पर उचित कार्रवाई करना है। ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा, जमानत के दौरान आवेदक की तरफ से किसी भी निर्धारित शर्त का उल्लंघन करने की सूरत में इस ट्रिब्यूनल के पास जमानत के आदेश को वापस लेने का पूरा अधिकार होगा।
बता दें कि जम्मू क्षेत्र के राजौरी जिला निवासी तीन लोगों - इम्तियाज अहमद, अबरार अहमद और मोहम्मद इबरार की 18 जुलाई, 2020 को हत्या कर दी गई थी। शोपियां जिले के दूरदराज वाले इलाके में पहाड़ी गांव में मारे गए तीनों लोगों को कैप्टन भूपेंद्र ने "आतंकवादी" करार दिया था। सेना की कार्रवाई पर संदेह और सोशल मीडिया पर मामले के तूल पकड़ने के बाद सेना ने तुरंत एक कोर्ट ऑफ इंक्वायरी (सीओआई) का गठन किया। इसमें प्रथम दृष्टया सबूत मिले कि सैनिकों ने सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, यानी आफ्स्पा (AFSPA) के तहत निहित शक्तियों का "उल्लंघन" किया था।
गौरतलब है कि कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के बाद दिसंबर 2020 के अंतिम सप्ताह में गवाही पूरी हुई। इसके बाद सामान्य कोर्ट मार्शल कार्यवाही एक साल से भी कम समय में पूरी की गई। इसी साल मार्च में एक सैन्य अदालत ने कैप्टन सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उच्च सैन्य अधिकारियों ने भी अदालत से मिली सजा की पुष्टि की।
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कैप्टन भूपेन्द्र सिंह को सशर्त जमानत के बाद अगले साल जनवरी से नियमित अंतराल पर अपने प्रमुख रजिस्ट्रार के सामने पेश होने का निर्देश भी दिया गया है। उम्रकैद को निलंबित करने वाला आदेश बीते 9 नवंबर को पारित हुआ। 25 पन्नों का आदेश न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन की अध्यक्षता वाले दो-सदस्यीय न्यायाधिकरण ने पारित किया।
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आदेश में कहा गया, "वर्तमान मामले में अभियोजन पक्ष ने जिन सबूतों पर भरोसा किया और SGCM (समरी जनरल कोर्ट मार्शल) ने भी इसे स्वीकार किया गया, हमारे विचार में आवेदक के खिलाफ लगाए गए आरोपों को सिद्ध करने या उसे दोषी ठहराने के लिए इन्हें पर्याप्त और ठोस नहीं माना जा सकता। प्रथम दृष्टया, रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्री के आधार पर ट्रिब्यूनल आश्वस्त है कि इस अपील की सुनवाई के बाद आवेदक को बरी किए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।"
ट्रिब्यूनल ने कहा, "आवेदक पहले से ही लगभग तीन साल की अवधि के लिए हिरासत में है। ऐसे में यह एक उपयुक्त मामला है, जहां प्रथम दृष्टया, रिकॉर्ड पर उपलब्ध साक्ष्य से पता चलता है कि सजा को निलंबित करके आवेदक को जमानत दी जा सकती है।"
आवेदक (कैप्टन भूपेन्द्र सिंह) के जमानत पर रहने के दौरान आजीवन कारावास की सजा निलंबित रहेगी। आवेदक को जनवरी, 2024 से शुरू होने वाले महीने के पहले सोमवार को वैकल्पिक रूप से इस ट्रिब्यूनल के प्रधान रजिस्ट्रार के सामने पेश होना होगा। पेशी का मकसद इस मामले में किसी भी अन्य जरूरत के लिए आवेदक को दोबारा ट्रिब्यूनल के सामने हाजिर करना या उससे संपर्क करना और जरूरी होने पर उचित कार्रवाई करना है। ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा, जमानत के दौरान आवेदक की तरफ से किसी भी निर्धारित शर्त का उल्लंघन करने की सूरत में इस ट्रिब्यूनल के पास जमानत के आदेश को वापस लेने का पूरा अधिकार होगा।
बता दें कि जम्मू क्षेत्र के राजौरी जिला निवासी तीन लोगों - इम्तियाज अहमद, अबरार अहमद और मोहम्मद इबरार की 18 जुलाई, 2020 को हत्या कर दी गई थी। शोपियां जिले के दूरदराज वाले इलाके में पहाड़ी गांव में मारे गए तीनों लोगों को कैप्टन भूपेंद्र ने "आतंकवादी" करार दिया था। सेना की कार्रवाई पर संदेह और सोशल मीडिया पर मामले के तूल पकड़ने के बाद सेना ने तुरंत एक कोर्ट ऑफ इंक्वायरी (सीओआई) का गठन किया। इसमें प्रथम दृष्टया सबूत मिले कि सैनिकों ने सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, यानी आफ्स्पा (AFSPA) के तहत निहित शक्तियों का "उल्लंघन" किया था।
गौरतलब है कि कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के बाद दिसंबर 2020 के अंतिम सप्ताह में गवाही पूरी हुई। इसके बाद सामान्य कोर्ट मार्शल कार्यवाही एक साल से भी कम समय में पूरी की गई। इसी साल मार्च में एक सैन्य अदालत ने कैप्टन सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उच्च सैन्य अधिकारियों ने भी अदालत से मिली सजा की पुष्टि की।