UN Missions: जनरल द्विवेदी का यूएन शांति मिशन को मजबूत बनाने पर जोर, बोले- एकजुटता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि मौजूदा वैश्विक चुनौतियों जैसे हाइब्रिड युद्ध, गलत सूचना और गैर-राज्य तत्वों के बढ़ते असर को देखते हुए यूएन शांति मिशनों को और मजबूत, तेज़ और तकनीकी रूप से सक्षम बनाना जरूरी है। भारत की मेजबानी में हुए सम्मेलन में उन्होंने सहयोगी देशों के बीच तालमेल, साझा प्रशिक्षण और तकनीकी नवाचार पर जोर दिया।

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सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों को मौजूदा वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए ज्यादा मजबूत, तेज और तकनीकी रूप से सक्षम बनाने की बात पर जोर दिया। उन्होंने मंगलवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र (यूएन) शांति मिशनों को और ज्यादा मजबूत, तेज और तकनीकी रूप से सक्षम बनाने की जरूरत है, ताकि बढ़ती चुनौतियों से बेहतर ढंग से निपटा जा सके। जनरल द्विवेदी ने ये बात भारत की मेजबानी में आयोजित यूएन शांति मिशन में योगदान देने वाले 32 देशों के सैन्य प्रमुखों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही।

इस दौरान उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अशांत वैश्विक हालात, गैर-राज्य संगठनों की बढ़ती भूमिका, हाइब्रिड युद्ध और गलत जानकारी (डिसइन्फॉर्मेशन) जैसे खतरे शांति अभियानों को और जटिल बना रहे हैं।जनरल द्विवेदी ने कहा कि आज की दुनिया 56 से ज्यादा सक्रिय संघर्षों और करीब 90 देशों की भागीदारी के कारण एक नाजुक मोड़ पर खड़ी है। ऐसे समय में शांति सेना की एकजुटता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।
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टिकाऊ जवाब देने की जरूरत पर जोर- जनरल द्विवेदी
सेना प्रमुख ने यह भी कहा कि बदलते हालात के चलते अब तेज, एकजुट और टिकाऊ जवाब देने की जरूरत है, जो केवल मिलकर काम करने वाले शांति सैनिक ही दे सकते हैं। उन्होंने भारत की यूएन शांति मिशनों में अहम भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि हमें उन्नत तकनीक को अभियान में शामिल करना होगा, त्वरित तैनाती की क्षमता बढ़ानी होगी। साथ ही सहयोग देने वाले देशों के बीच बेहतर तालमेल बनाना होगा।
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सुरक्षा को लेकर दिए अहम सुझाव
इसके साथ ही जनरल द्विवेदी ने यह भी सुझाव दिया कि सभी देशों को आपस में प्रशिक्षण साझा करना, संसाधनों का बेहतर प्रबंधन करना और सामूहिक संचालन नीति तैयार करनी चाहिए। अंत में उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की नैतिक ताकत लोगों से जुड़ाव में है। जब हम मिलकर काम करेंगे, तभी हम किसी भी संकट से प्रभावी ढंग से निपट सकेंगे।