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Army Chief: जनरल उपेंद्र द्विवेदी और उनकी पत्नी ने लिया अंगदान का संकल्प, बोले- सच्चे सैनिक की यही पहचान

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु चंदेल Updated Wed, 20 Aug 2025 10:14 PM IST
सार

भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और उनकी पत्नी सुनीता द्विवेदी ने मृत्यु उपरांत अंगदान करने का संकल्प लिया। उन्होंने युवाओं और सैनिकों से अपील की कि वे भी अंगदान को राष्ट्रीय आंदोलन बनाएं। राष्ट्रीय अंगदान कार्यक्रम में बदलाव कर महिलाओं और दाता परिवारों को प्राथमिकता दी गई है। भारत हर साल 20 हजार प्रत्यारोपण कर अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है।

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Army Chief Genral Upendra Dwivedi wife pledge to donate organs after death urge nation to join cause
जनरल उपेंद्र द्विवेदी, सेना प्रमुख - फोटो : एएनआई
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भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और उनकी पत्नी सुनीता द्विवेदी ने मृत्यु के बाद अपने अंगदान करने का संकल्प लिया है। उन्होंने देशवासियों, खासकर युवाओं और सैनिकों से अपील की है कि वे इस पुण्य कार्य में आगे आएं और अंगदान को एक राष्ट्रीय अभियान का रूप दें। उन्होंने कहा कि अंगदान न केवल जीवन बचाने का कार्य है, बल्कि यह समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी का प्रतीक भी है।
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जनरल द्विवेदी ने बताया कि राष्ट्रीय अंगदान और आवंटन कार्यक्रम में अब बदलाव किए गए हैं। इन बदलावों के तहत अंग प्रत्यारोपण में महिलाओं और दाता परिवारों को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने इसे एक बड़ा कदम बताते हुए कहा कि इससे अधिक लोग अंगदान की ओर प्रेरित होंगे। उन्होंने कहा कि अंगदान के जरिए कई परिवारों को नई जिंदगी दी जा सकती है और समाज में सकारात्मक संदेश फैलाया जा सकता है।
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भारत अंगदान में दूसरे स्थान पर
आर्मी चीफ ने जानकारी दी कि भारत हर साल करीब 20 हजार अंग प्रत्यारोपण करता है, जिससे यह क्षेत्र में अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना की जिम्मेदारी सिर्फ सीमाओं की रक्षा करना ही नहीं, बल्कि समाज के कल्याण में भी योगदान देना है। अंगदान इस जिम्मेदारी का सबसे मानवीय रूप है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा कार्य है, जो सीमाओं से परे जाकर समाज को जीवन देने का माध्यम बन सकता है।

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वर्दी से परे भी समाज सेवा
जनरल द्विवेदी ने कहा कि सैनिक जीवन भर मानवता की सेवा करता है और मृत्यु के बाद भी उसका कर्तव्य खत्म नहीं होता। उन्होंने कहा कि अंगदान एक मजबूत संदेश है कि सच्चा सैनिक मृत्यु के बाद भी राष्ट्र की सेवा करता है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में सैनिकों के कदम आगे बढ़ाने से समाज में प्रेरणा का संचार होगा और देश में अंगदान की परंपरा को नई गति मिलेगी।

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 कैसे करें अंगदान?
 एम्स की ऑर्गन रिट्रीवल बैंकिंग ऑर्गनाइजेशन के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जीवित रहते हुए अंगदान की शपथ ले सकता है या मृत्यु के बाद परिवार की सहमति से यह किया जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले ऑर्गन डोनर फॉर्म भरना होता है, जिसमें परिवार का एक सदस्य और एक अन्य गवाह हस्ताक्षर करता है। यह फॉर्म ORBO की वेबसाइट (orbo.org) से डाउनलोड किया जा सकता है। इसके बाद संस्था एक अंगदाता कार्ड और पंजीकरण संख्या जारी करती है। इस प्रक्रिया के जरिए कोई भी नागरिक अंगदान कर समाज को जीवन देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा सकता है।





 
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