Asaduddin Owaisi: कश्मीर में टारगेटेड किलिंग पर बोले ओवैसी, 1989 में की गई गलतियां दोहरा रही केंद्र सरकार
ओवैसी ने कहा कि केंद्र सरकार कश्मीरी पंडितों को इंसानों की तरह नहीं बल्कि केवल एक चुनावी मुद्दे की तरह देखती है।
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ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कश्मीर घाटी में टारगेटेड किलिंग्स के मुद्दे पर बात करते हुए कहा है कि केंद्र सरकार 1989 में की गई गलतियां दोहरा रही है। ओवैसी ने कहा कि मोदी सरकार इतिहास से सीख नहीं ले रही है और वैसी ही गलतियां कर रही है जैसी 1989 में की गई थीं।
ओवैसी ने कहा कि 1989 में भी राजनीतिक प्रतिष्ठान बंद कर दिए गए थे और कश्मीर घाटी के राजनेताओं को बोलने की अनुमति नहीं थी। उन्होंने कहा कि केंद्र कश्मीरी पंडितों को इंसानों की तरह नहीं बल्कि चुनावी मुद्दे की तरह देखती है। उन्होंने आगे कहा कि 1987 के विधानसभा चुनाव में धांधली हुई थी और इसका परिणाम 1989 में दिखा था।
हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने कहा, 'वे स्थानीय नेताओं को बोलने की अनुमति नहीं दे रहे और इससे आतंकवाद को रास्ता मिलता है। इसकी जिम्मेदारी मोदी सरकार पर होगी, मैं इसकी निंदा करता हूं।'
कश्मीर घाटी में टारगेटेड किलिंग की शुरुआत सितंबर 1989 में 1987 के विधानसभा चुनाव को लेकर तनाव और असंतुष्टि की वजह से हुई थी। इन चुनावों को भारत का सबसे अधिक धांधली वाला चुनाव माना जाता है।
कश्मीर घाटी में हुईं हालिया टारगेटेड किलिंग्स
दो जून को यानी आज ही आतंकवादियों ने दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में विजय कुमार पर खुली गोलीबारी कर दी थी। विजय कुमार राजस्थान के हनुमानगढ़ के रहने वाले थे। उन्हें अस्पताल ले जाया गया था लेकिन उनकी मौत हो गई।
इससे पहले 31 मई को कुलगाम जिले के ही गोपालपुरा इलाके में आतंकियों ने एक हिंदू महिला को गोली मार दी थी। उसकी भी बाद में मौत हो गई थी। वहीं, 25 मई को आतंकियों ने एक टेलिविजन अभिनेत्री अमरीन भट की बड़गाम में उनके ही आवास पर गोली मार कर हत्या कर दी थी। हमने में उनके 10 साल के भतीजे को भी चोट आई थी।
24 मई को आतंकियों ने एक पुलिसकर्मी और उसकी बेटी पर श्रीनगर में गोलीबारी कर दी थी। घटना में पुलिसकर्मी की जान चली गई थी और उसकी बेटी घायल हुई थी। 12 मई को बड़गाम जिले में आतंकियों ने राहुल भट नामक कश्मीरी पंडित को गोली मार दी थी। बाद में राहुल का भी निधन हो गया था।