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Assam: 'जब तक मैं जिंदा हूं...', असम विधानसभा में विपक्ष पर गरजे सीएम सरमा, कांग्रेस-AIUDF का वॉकआउट

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, गुवाहाटी Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Mon, 26 Feb 2024 01:31 PM IST
सार

मुस्लिम विवाह कानून के निरस्त होने पर कांग्रेस और एआईयूडीएफ ने आज विधानसभा में भाजपा का विरोध किया। इस पर भड़कते हुए हिमंत बिस्व सरमा ने कहा, "आप मुझे ध्यान से सुन लें। जब तक मैं जिंदा हूं, असम में बाल विवाह नहीं होने दूंगा।

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Assam CM Himanta Biswa Sarma slams opposition over repeal of Muslim Marriages Act Congress AIUDF walk out news
झारखंड के सिंहभूम से सांसद गीता कोड़ा। - फोटो : ANI
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विस्तार
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असम सरकार की ओर से मुस्लिम विवाह कानून को निरस्त किए जाने के बाद कांग्रेस और एआईयूडीएफ जैसी विपक्षी पार्टियों ने भाजपा पर निशाना साधा है। इसका जवाब सोमवार को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने विधानसभा में दिया। विपक्षी दलों पर गरजते हुए सरमा ने कहा कि जब तक मैं जिंदा हूं, असम में बाल विवाह नहीं होने दूंगा। 
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क्या बोले हिमंत बिस्व सरमा?
मुस्लिम विवाह कानून के निरस्त होने पर कांग्रेस और एआईयूडीएफ ने आज विधानसभा में भाजपा का विरोध किया। इस पर भड़कते हुए हिमंत बिस्व सरमा ने कहा, "आप मुझे ध्यान से सुन लें। जब तक मैं जिंदा हूं, असम में बाल विवाह नहीं होने दूंगा। जब तक हिमंत बिस्व सरमा जिंदा है, तब तक यह नहीं हो सकता। मैं आपको राजनीतिक तौर पर चुनौती देता हूं। मैं 2026 से पहले ये दुकान बंद कर दूंगा।"
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असम ‘मुख्य द्वार’ से यूसीसी लाएगा: मुख्यमंत्री हिमंत
मुख्यमंत्री ने विधानसभा में कहा कि उनकी सरकार मुख्य द्वार से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लाएगी। साथ ही कहा कि यूसीसी का संबंध प्रथाओं और परंपराओं से नहीं है। अब उत्तराखंड में यूसीसी है। इससे पहले सरमा ने पिछले महीने कहा था कि उत्तराखंड और गुजरात के बाद असम यूसीसी विधेयक पेश करने वाला तीसरा राज्य होगा और यह आदिवासी समुदायों को यूसीसी के दायरे से छूट देगा।

विधानसभा से विपक्ष का वॉकआउट
इस बीच कांग्रेस और एआईयूडीएफ विधायकों ने असम विधानसभा में जमकर हंगामा किया। एआईयूडीएफ ने सरमा कैबिनेट के मुस्लिम विवाह कानून को निरस्त करने के फैसले का विरोध करते हुए इसके खिलाफ स्थगन प्रस्ताव पेश किया। हालांकि, सदन के स्पीकर बिश्वजीत दयमारी ने इसे स्वीकार नहीं किया।

असम कैबिनेट ने दो दिन पहले निरस्त किया था कानून
दो दिन पहले ही असम सरकार ने राज्य में बाल विवाह पर रोक के लिए मुस्लिम विवाह एवं तलाक पंजीकरण कानून, 1935 खत्म कर दिया। इसे लेकर शुक्रवार देर रात हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया था। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में लिखा था कि '23 फरवरी को असम कैबिनेट ने एक अहम फैसला लेते हुए वर्षों पुराने असम मुस्लिम विवाह एवं तलाक पंजीकरण कानून को वापस ले लिया गया है। इस कानून में ऐसे प्रावधान थे कि अगर दूल्हा और दुल्हन शादी की कानूनी उम्र यानी लड़कियों के लिए 18 साल और लड़कों के लिए 21 साल के नहीं हुए हैं, तो भी शादी को पंजीकृत कर दिया जाता था। यह असम में बाल विवाह रोकने की दिशा में अहम कदम है।'
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