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Assam Delimitation: एआईयूडीएफ ने दी चेतावनी, कहा- प्रस्तावों को खारिज नहीं किया गया तो अदालत का रुख करेंगे

पीटीआई, गुवाहाटी। Published by: देव कश्यप Updated Tue, 27 Jun 2023 10:53 PM IST
सार

एआईयूडीएफ के संगठन महासचिव व विधायक अमीनुल इस्लाम ने कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि 2008 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने प्रासंगिक अधिनियमों में संशोधन किया था, जिसके कारण सीमांकन कि जिम्मेदारी परिसीमन आयोग के बजाय भारत के निर्वाचन आयोग (ईसीआई) को मिल गई थी।

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Assam delimitation: AIUDF to move court if proposals not junked
एआईयूडीएफ प्रमुख बदरुद्दीन अजमल। - फोटो : एएनआई (फाइल फोटो)
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असम में विपक्षी पार्टी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) ने राज्य में विधानसभा और संसदीय सीटों के परिसीमन के प्रस्ताव के मसौदे का विरोध करते हुए मंगलवार को कहा कि यदि यह योजना वापस नहीं ली गई, तो वह अदालत में इसे चुनौती देगी।

एआईयूडीएफ के संगठन महासचिव व विधायक अमीनुल इस्लाम ने कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि 2008 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने प्रासंगिक अधिनियमों में संशोधन किया था, जिसके कारण सीमांकन कि जिम्मेदारी परिसीमन आयोग के बजाय भारत के निर्वाचन आयोग (ईसीआई) को मिल गई थी। इस्लाम ने यहां पत्रकारों से कहा, हम मसौदे के सभी बिंदुओं का ध्यानपूर्वक अध्ययन कर रहे हैं। हम 11 जुलाई तक प्रस्तावों पर अपना विरोध दर्ज कराएंगे।

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उन्होंने कहा, अगर फिर भी ईसीआई ने प्रस्तावों को वापस नहीं लिया तो हम अदालत जाएंगे। हम हर संभव विकल्प तलाशेंगे। निर्वाचन आयोग ने 20 जून को असम के लिए परिसीमन मसौदा दस्तावेज जारी करते हुए राज्य में विधानसभा सीट की संख्या 126 और लोकसभा सीट की संख्या 14 पर बरकरार रखने का प्रस्ताव रखा था। राज्य में राज्यसभा की भी सात सीटें हैं।

मसौदे के अनुसार, निर्वाचन आयोग ने प्रस्ताव दिया है कि अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित विधानसभा सीटें आठ से बढ़ाकर नौ और अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित सीटें 16 से बढ़ाकर 19 की जाए। दो संसदीय क्षेत्र को अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए और एक क्षेत्र को अनुसूचित जाति वर्ग के लिए सुरक्षित करने का प्रस्ताव दिया गया है।

आयोग ने अधिकांश निर्वाचन क्षेत्रों, विधानसभा और लोकसभा दोनों की भौगोलिक सीमाओं में बदलाव की भी योजना बनाई है, जबकि कुछ सीटों को समाप्त करने और कुछ नई सीटें बनाने का प्रस्ताव है। इस्लाम ने आरोप लगाया कि पिछली सरकार ने संबंधित अधिनियमों में संशोधन किया, जिसके कारण परिसीमन की जिम्मेदारी ईसीआई को मिल गई।

उन्होंने कहा, दो अधिनियमों में संशोधन कर सीमांकन की जिम्मेदारी परिसीमन आयोग से छीनकर ईसीआई को सौंप दी गई। यह 2008 में किया गया था, जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। कांग्रेस ने खाका तैयार किया और भाजपा अब इसे लागू कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा कांग्रेस के साथ समझौता करके परिसीमन प्रक्रिया को आगे बढ़ा रही है क्योंकि दोनों दलों को प्रस्तावों से लाभ होगा।

इस्लाम ने कहा, मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में 8-9 सीटें कम हो जाएंगी। उनका एकमात्र उद्देश्य एआईयूडीएफ और पार्टी प्रमुख बदरुद्दीन अजमल को खत्म करना है। यह एक विशेष समुदाय को राजनीतिक रूप से खत्म करने का प्रयास है।

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्त अनुप चंद्र पांडे और अरुण गोयल मसौदा प्रस्ताव पर सार्वजनिक सुनवाई के लिए जुलाई में असम का दौरा करने वाले हैं। ईसीआई ने पहले 26-28 मार्च को असम का दौरा किया था और परिसीमन अभ्यास के संबंध में राज्य में राजनीतिक दलों, जन प्रतिनिधियों, नागरिक समाज के सदस्यों, सामाजिक संगठनों, जनता के सदस्यों और अधिकारियों के साथ बातचीत की थी। कुल मिलाकर, 11 राजनीतिक दलों और 71 अन्य संगठनों से अभ्यावेदन प्राप्त हुए और उन पर विचार किया गया।

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