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Justice Nagarathna: 'कानून के क्षेत्र में महिलाओं के लिए 30% आरक्षण जरूरी', न्यायमूर्ति नागरत्ना का अहम बयान

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई Published by: शुभम कुमार Updated Sat, 15 Mar 2025 07:21 PM IST
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सार

न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना ने आज कानून व्यवस्था में महिलाओं की भागेदारी में कमी की बात पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों में कम से कम 30 प्रतिशत विधि अधिकारी महिलाएं होनी चाहिए। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि महिलाओं को लिंग-आधारित भेदभाव से मुक्त होकर अपने सपनों का पालन करना चाहिए।

At least 30 pc law officers representing Centre, state governments must be women: Justice Nagarathna News In H
सुप्रीम कोर्ट - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना ने शनिवार को महिलाओं के लिए आरक्षण की सराहना की। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतों में महिलाओं के लिए आरक्षण एक अच्छा कदम है। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों में कम से कम 30 प्रतिशत विधि अधिकारी महिलाएं होनी चाहिए। बता दें कि न्यायमूर्ति नागरत्ना ने यह बात मुंबई विश्वविद्यालय में आयोजित 'ब्रेकिंग ग्लास सीलिंग 'वूमेन हू मेड इट' सेमिनार में कही।
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उच्च न्ययालयों में महिलाओं की नियुक्ति पर जोर
अपने संबोधन में न्यायाधीश न्यायमूर्ति नागरत्ना ने उच्च न्यायालयों में महिलाओं की नियुक्ति पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालयों में महिलाओं को उच्च पदों पर नियुक्त किया जाना चाहिए, क्योंकि यदि 45 वर्ष से कम आयु के पुरुष अधिवक्ताओं को उच्च न्यायालयों में नियुक्त किया जा सकता है, तो सक्षम महिला अधिवक्ताओं को क्यों नहीं? 
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महिलाओं को अपने सपनों का पालन करना चाहिए- नगरत्ना
साथ ही न्यायमूर्ति नागरत्ना ने यह भी कहा कि महिलाओं को लिंग-आधारित भेदभाव से मुक्त होकर अपने सपनों का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि महिलाएं अपनी मेहनत और नेतृत्व के जरिए सफलता पा सकती हैं, जैसा कि कई महिलाएं कर चुकी हैं। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि घर की देखभाल करने वाली महिलाएं, जो समाज में अधिकतर अनदेखी होती हैं, उनका योगदान भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

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संसद में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में कमी पर प्रकाश
इसके साथ ही न्यायमूर्ति नागरत्ना ने भारतीय पंचायतों में महिलाओं के राजनीतिक प्रतिनिधित्व को सकारात्मक उदाहरण बताया, जहां महिलाएं आरक्षण के माध्यम से नीति निर्माण में शामिल हो रही हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि संसद में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का कानून अब तक लागू नहीं हुआ है और संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अभी भी बहुत कम है। अंत में न्यायमूर्ति नागरत्ना ने न्यायपालिका में लैंगिक विविधता की आवश्यकता पर जोर दिया। साथ ही कहा कि महिलाओं की उपस्थिति से समानता और निष्पक्षता को बढ़ावा मिलता है, खासकर वंचित समूहों के बीच।

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