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बालाकोट हमले पर नया खुलासा : हर मिसाइल पर सिर्फ 70-80 किलोग्राम विस्फोटक था

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रचना शर्मा Updated Fri, 08 Mar 2019 11:02 AM IST
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Balakot air strike: only 70-80 kilograms of net explosive quantity were on every missile used by IAF
मिराज 2000 विमान
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26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद मदरसा के प्रशिक्षण शिविर के परिसर में इमारतों को निशाना बनाने के लिए भारतीय वायु सेना (आईएएफ) द्वारा इस्तेमाल की गई प्रत्येक मिसाइल में कुल विस्फोटक की मात्रा (एनईक्यू) केवल 70-80 किलोग्राम टीएनटी थी। इंडियन एक्सप्रेस अखबार में प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। इसके बाद यह समझा जा सकता है कि इन इमारतों को किस हद तक और किस प्रकार का नुकसान हुआ है, जैसा कि व्यावसायिक रूप से उपलब्ध उपग्रह की तस्वीरों से पता चलता है। 
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उन्होंने कहा, ''प्रत्येक इमारत पर हमले के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले विस्फोटक की मात्रा को लेकर बहुत ज्यादा अटकलें लगाई जा रही हैं। असल में जो मायने रखता है वह है मिसाइल में इस्तेमाल की गई एनईक्यू यानी विस्फोटक की मात्रा। एक शीर्ष सैन्य अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "जिन मिसाइल का हमने इस्तेमाल किया है उनमें सिर्फ 70-80 किलोग्राम टीएनटी एनईक्यू था। मैं वास्तविक आंकड़ा साझा नहीं कर सकता।" 
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एनईक्यू का मतलब होता है एक मिसाइल में मौजूद विस्फोटक पदार्थों का कुल द्रव्यमान। इसमें उसकी पैकेजिंग, आवरण और गोलियों को नहीं जोड़ा जाता है। अमेरिकी रक्षा विभाग के  मुताबिक एनईक्यू में युद्ध में सभी निहित ऊर्जावान पदार्थों के टीएनटी-समतुल्य का द्रव्यमान शामिल है। 

मीडिया में आई खबरों के आधार पर ऐसा माना जा रहा है कि भारतीय वायुसेना ने इस कार्रवाई में इजरायली स्पाइस 2000 मिसाइल का इस्तेमाल किया जो सटीक निशाने पर लगती हैं। ये मिराज -2000 विमानों से दागी गईं। 

व्यावसायिक रूप से उपलब्ध उपग्रह चित्रों में इमारतों को हुआ नुकसान जो दिख रहा है वह इन उच्च विस्फोटक की मात्रा के आधार पर किए गए आकलन के अनुरूप नहीं है, जिसे करीब 1000 किलोग्राम माना गया है। सार्वजनिक रूप से मौजूद जानकारी के मुताबिक स्पाइस 2000 मिसाइल का इस्तेमाल 907 किलोग्राम विस्फोटक के साथ किया जाता है। 

अधिकारी ने कहा, “यह सिर्फ विस्फोटक की मात्रा के बारे में नहीं है। यह बम के डिजाइन, विस्फोटक के प्रकार, इसे चलाने की दिशा, इसके आवरण और विस्फोटक के साथ मिश्रित सामग्री के प्रकार के बारे में भी है। इमारत और उस पर हमला करने के कोण के आधार पर भी प्रभाव में अंतर आता है। किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले इन सब बातों पर विचार करना होगा।'' 

वायुसेना ने आधिकारिक तौर पर कभी पुष्टि नहीं की है कि उसने हवाई हमले के दौरान इमारतों को निशाना बनाने के लिए स्पाइस 2000 मिसाइल का इस्तेमाल किया। स्पाइस 2000 इंफ्रारेड आईआर / सीसीडी-टीवी आधारित और दृश्यों को मिलाने की उन्नत तकनीक से लैस है जिसकी वजह से इसमें दिन, रात और प्रतिकूल मौसम में भी काम करने की क्षमता है। 

'विरोधी को पता है हमने उसे वहां मारा है जहां हम मारना चाहते थे'

Balakot air strike: only 70-80 kilograms of net explosive quantity were on every missile used by IAF
मिराज विमान
एक दूसरे सैन्य अधिकारी ने बताया कि "मैं इतना ही बता सकता हूं कि हमने जिस तरह के हथियार का इस्तेमाल किया वह गोपनीय है। यह निशाने पर सटीक लगने वाला हथियार है जिससे असामान्य लक्ष्यों पर हमला किया जाता है लेकिन उसके आसपास मौजूद चीजों को नुकसान नहीं पहुंचता। 

अधिकारी ने कहा, “इस बार निशाना बालाकोट था। यदि इसकी बजाए निशाना मुजफ्फराबाद होता, जहां बहुत गहन आबादी है और जहां आसपास मौजूद चीजों को नुकसान पहुंचाना स्वीकार्य नहीं होगा, तो हमें किसी खास कमरे में रहने वाले लोगों को, बगल के कमरे को बिना नुकसान पहुंचाए, बाहर निकालना होगा। इस हथियार के साथ हमारे पास ऐसा करने की क्षमता है।” 

अधिकारी ने कहा कि सार्वजनिक रूप से इन क्षमताओं के बारे में बताना जरूरी नहीं है, "जब तक कि विरोधी को पता है कि हमने उसे वहां मारा है जहां हम मारना चाहते थे।" कुछ मीडिया रिपोर्टों में यह अटकलें लगाई गई हैं कि भारतीय वायुसेना के बम निशाने पर नहीं गिरे और जैश मदरसे की पश्चिम दिशा में करीब एक किलोमीटर दूर एक पहाड़ी की चोटी पर कुछ पेड़ों को नुकसान पहुंचाया। 

वायुसेना प्रमुख बी एस धनोआ ने 4 मार्च को कहा, "अगर हम लक्ष्य पर हमले करने की योजना बनाते हैं, तो हम लक्ष्य पर हमला करते हैं। नहीं तो वह (पाकिस्तान) क्यों जवाब देता। अगर हम जंगल में बम गिराते, तो उसे जवाब देने की कोई जरूरत नहीं होती।" 
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