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Bihar: चिराग-कुशवाहा के मतों ने NDA की जीत को बनाया और भी दमदार, बीते चुनाव के मुकाबले 10% घटा अन्य का प्रभाव

हिमांशु मिश्र, अमर उजाला Published by: लव गौर Updated Mon, 17 Nov 2025 07:36 AM IST
सार

एनडीए के वोट बैंक में बीते चुनाव के मुकाबले करीब 9 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई। बीते चुनाव के मुकाबले 10 फीसदी अन्य का प्रभाव कम हुआ है।

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Bihar election results: Chirag-Kushwaha votes make NDA victory even stronger
बिहार चुनाव में एनडीए की प्रचंड जीत का भाजपाइयों ने मनाया जश्न - फोटो : संवाद
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विस्तार
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बिहार चुनाव में एनडीए की चमत्कारिक और ऐतिहासिक जीत का मुख्य कारण महागठबंधन के माई (मुस्लिम-यादव) समीकरण में बिखराव नहीं, बल्कि निर्दलीय और गैर पंजीकृत पार्टियों के वोट बैंक (अन्य) में प्रभाव बढ़ाना और लोजपाआर व आरएलएम के वोट बैंक का गठबंधन में सीधा स्थानांतरण रहा है। इसके कारण जहां एनडीए के वोट बैंक में बीते चुनाव के मुकाबले करीब 9 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई।
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दूसरी ओर विपक्षी महागठबंधन न तो अन्य का प्रभाव कम होने में हिस्सेदारी हासिल कर सका और न ही वीआईपी को एनडीए से तोड़ने का रत्ती भर भी लाभ उठा पाई। गौरतलब है कि बीते चुनाव में दोनों गठबंधनों एनडीए और महागठबंधन समान रूप से करीब 37-37 फीसदी मत प्राप्त हुए थे। इस बार विपक्षी महागठबंधन को पहले के 37.94 फीसदी के मुकाबले करीब उतना ही 37.39 फीसदी मत प्राप्त हुए। दूसरी ओर एनडीए के वोट बैंक में 9 फीसदी का बड़ा उछाल दर्ज किया गया। जाहिर तौर पर इसमें लोजपाआर और आरएलएम की एनडीए में एंट्री और अन्य के वोट में एनडीए की हिस्सेदारी बांटने की अहम भूमिका रही।
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गैर पंजीकृत पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों के वोट जिसे अन्य के रूप में दर्शाया जाता है, उसके प्रभाव में भारी कमी दर्ज की गई। बीते चुनाव में इनके हिस्से 19.45 फीसदी वोट आए थे। इस बार अन्य के हिस्से महज 10 फीसदी के करीब वोट ही आए। ऐसा लगता है कि अन्य की हिस्सेदारी घटाने में करीब 3.5 फीसदी मत हासिल करने वाली जनसुराज पार्टी और एनडीए का हाथ रहा। दोनों प्रमुख गठबंधनों के वोट बैंक में सेंध नहीं लगा पाने और उसकी पैठ अन्य तक सीमित रहने के कारण जनसुराज पार्टी अर्श पर ही थम गई।

एम का नुकसान वाई कायम
राजद को माई समीकरण के एम (मुसलमानों) से तो झटका लगा। इस बिरादरी की नाराजगी का लाभएआईएमआईएम उठा ले गई। हालांकि नतीजे बताते हैं कि राजद का वाई (यादव) में दबदबा कायम है। इस चुनाव में राजद के 25 में से 11 विधायक इसी बिरादरी के हैं। हालांकि गठबंधन के लिहाज से इस बार इस बिरादरी के विधायकों की संख्या राजग में ज्यादा है।

यूं मिली राजग को बड़ी बढ़त
बीते चुनाव में लोजपाआर और आरएलएम एनडीए का हिस्सा नहीं थे। इन दोनों दलों को तब 7.43 फीसदी मत मिले थे। इस बार इन दोनों दलों को 6.15 फीसदी मत मिले। इससे पता चलता इन दोनों दलों के वोट बैंक का एनडीए में सफल स्थानांतरण हुआ। इन दोनों दलों का वोट हासिल करने के साथ ही एनडीए ने गैर पंजीकृत दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के वोट बैंक में भी सेंध लगाई। इसके कारण उसके वोट में नौ फीसदी से भी अधिक का उछाल आया।

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महागठबंधन को क्यों हुआ घाटा ?
इस चुनाव में भी विपक्षी महागठबंधन को बीते चुनाव की तरह ही 37 फीसदी से ज्यादा मत मिले। राजद के वोट बैंक में महज 0.11 फीसदी वोट की कमी आई। मतदान में दस फीसदी के उछाल के कारण बीते चुनाव के मुकाबले 18 लाख वोट भी बढ़े। हालांकि मतदाताओं के नए वर्ग में पैठ नहीं बना पाने के साथ ही वीआईपी को साधने के बावजूद उसका वोट बैंक महागठबंधन को न मिलने के कारण सीटों का अंतर बहुत ज्यादा बढ़ गया।
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