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विनिवेश का फैसला: आरएसएस के संगठन ने मोदी सरकार के खिलाफ भरी हुंकार, 28 को देशव्यापी प्रदर्शन का एलान
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Amit Mandal
Updated Sat, 23 Oct 2021 05:50 PM IST
सार
बीएमएस ने कहा कि सरकार ऐसे अर्थशास्त्रियों की मदद से काम कर रही है जो विनिवेश के कदमों को बढ़ावा देते हैं। वे देश के बारे में कुछ नहीं जानते हैं।
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भारतीय मजदूर संघ
- फोटो : social media
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विस्तार
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में विनिवेश को लेकर पहले से ही विपक्ष के निशाने पर आई मोदी सरकार को अब अपनों का भी विरोध झेलना पड़ रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने केंद्र सरकार के इस फैसले का खुलकर विरोध किया है। मजदूर संघ ने इसके खिलाफ 28 अक्टूबर को देशव्यापी प्रदर्शन का एलान किया है।
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राष्ट्रव्यापी धरने का फैसला
एएनआई से बात करते हुए भारतीय मजदूर संघ के ऑल इंडिया सेक्रेटरी गिरीशचंद्र आर्य ने कहा कि बीएमएस की समन्वय समिति ने सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के विनिवेश के सरकार के निर्णय का विरोध करने का फैसला किया है। आंदोलन की पहचान वाले सभी ट्रेड यूनियनों को सरकार की इस नीति का विरोध करना चाहिए था, लेकिन उन्होंने चुप रहना ठीक समझा। ऐसी स्थिति में हमने राष्ट्रव्यापी धरने का फैसला किया है।
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मजदूर संघ ने कहा, सरकार विनिवेश के मोर्चे पर विफल
उन्होंने कहा, इस बात से फर्क नहीं पड़ता है कि सत्ता में कौन है। सार्वजनिक क्षेत्र बहुत अच्छा लाभांश देता है। केंद्र सरकार इसे क्यों बेचना चाहती है?' आर्य ने कहा कि उन्होंने एनएचपीएल, बीएसएनएल और बीएचईएल सहित स्टील, पावर, टेलिकॉम, बैंक, इंश्योरेंस सेक्टर के लोगों को इसके लिए आमंत्रित किया है।
बीएमएस नेता ने कहा, सरकार विनिवेश के मोर्चे पर विफल रही। निजीकरण के मोर्चे पर भी विफल रही। सरकार ऐसे अर्थशास्त्रियों की मदद से काम कर रही है जो ऐसे कदमों को बढ़ावा देते हैं। वे देश के बारे में कुछ नहीं जानते हैं। हमारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण खुद कहती हैं कि सरकार बिक्री नहीं कर रही है।
1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करते हुए कहा था कि सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के रणनीतिक विनिवेश की नीति को मंजूरी दी है। ये सभी गैर-रणनीतिक और रणनीतिक सेक्टर में विनिवेश के लिए एक स्पष्ट रोडमैप प्रदान करेगी।