सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   India News ›   BSP lost its fascination with Brahmins? Know Mayawati's new strategy, through which preparation for 2024

Mayawati: क्या ब्राह्मणों से बसपा का मोह भंग हो गया? 2024 फतह करने के लिए मायावती ने बनाई यह खास रणनीति

Himanshu Mishra हिमांशु मिश्रा
Updated Sun, 20 Nov 2022 04:14 PM IST
सार

सवाल है कि क्या बसपा का ब्राह्मण वोटर्स से मोह भंग हो गया है? बसपा सुप्रीमो कि नई रणनीति क्या है, जिसके जरिए 2024 लोकसभा चुनाव फतह करने की तैयारी है? आइए समझते हैं... 

विज्ञापन
BSP lost its fascination with Brahmins? Know Mayawati's new strategy, through which preparation for 2024
बसपा प्रमुख मायावती। - फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

यूपी चुनाव में मिली हार के बाद मायावती नए सिरे से पार्टी को मजबूत बनाने में जुटी हैं। उन्होंने संगठन में बड़े स्तर पर बदलाव किया है। यही नहीं, दलित-ब्राह्मण गठजोड़ की बात करने वाली मायावती अब ब्राह्मणों से दूर होते दिख रहीं हैं। जबकि 2007 में इसी फार्मूले से मायावती ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। 
Trending Videos


ऐसे में सवाल है कि क्या बसपा का ब्राह्मण वोटर्स से मोह भंग हो गया है? बसपा सुप्रीमो कि नई रणनीति क्या है, जिसके जरिए 2024 लोकसभा चुनाव फतह करने की तैयारी है? आइए समझते हैं... 
विज्ञापन
विज्ञापन

 

क्यों कहा जा रहा कि बसपा का ब्राह्मणों से मोह भंग हो गया? 
इसे समझने के लिए हमने वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद कुमार सिंह से बात की। उन्होंने कहा, ' यूपी चुनाव में बसपा के चुनावी अभियान की बागडोर एक तरह से सतीश मिश्र के हाथ में थी। सतीश मिश्र का पूरा परिवार पार्टी के लिए चुनाव प्रचार में उतरा हुआ था लेकिन नतीजे काफी अलग मिले। चुनाव में बसपा सिर्फ एक सीटही जीत सकी। इसके बाद से मायावती ने ब्राह्मण नेताओं से दूरी बनाना शुरू कर दिया। यहां तक की मायावती ने अपने सबसे करीबी नेता सतीश चंद्र मिश्रा को भी नजरअंदाज करना शुरू कर दिया है। सतीश चंद्र मिश्र के सबसे करीबी पूर्व मंत्री नकुल दुबे को पार्टी से बाहर कर दिया गया। उसके बाद नकुल कांग्रेस में चले गए।'

प्रमोद आगे बताते हैं, 'मई में यूपी की दो लोकसभा सीटों के उपचुनाव के लिए 40 स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी हुई थी, जिसमें सतीश चंद्र मिश्र को जगह नहीं दी गई थी। सतीश मिश्र का राज्यसभा का कार्यकाल भी खत्म हो गया। चूंकि बीएसपी के पास महज एक ही विधायक है, इसलिए उनके अगले पांच वर्ष तक राज्यसभा या विधान परिषद जाने की कोई गुंजाइश भी नहीं दिखती। सतीश चंद्र मिश्र को दिल्ली एमसीडी और गुजरात चुनाव से भी दूर रखा जा रहा है। दोनों चुनाव के लिए स्टार प्रचारकों की सूची में भी सतीश चंद्र मिश्र का नाम नहीं है। इससे काफी हद तक साफ होता है कि मायावती किस रणनीति पर काम कर रहीं हैं।' 
 

क्यों खास रहे हैं सतीश मिश्र?
सतीश चंद्र मिश्र मायावती के पुराने सहयोगी रहे हैं। मुश्किल दौर में भी सतीश चंद्र मिश्र ने मायावती का साथ नहीं छोड़ा। वह पहली बार 2002 में भाजपा के सहयोग से बनी बसपा सरकार में एडवोकेट जनरल बने। उसके बाद 2003 में सरकार गिर गई लेकिन सतीश ने मायावती का साथ नहीं छोड़ा। वह मायावती को मुकदमों में सलाह देने के साथ ही पार्टी में रणनीतिकार भी बन गए।

जब 2007 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनी तो सतीश चंद्र मिश्र का कद और बढ़ गया। इस जीत का श्रेय सतीश चंद्र मिश्र की सोशल इंजिनियरिंग को गया। 2012 में पार्टी को हार मिली लेकिन सतीश चंद्र मायावती के खास सलाहकार बने रहे। विधान सभा चुनाव 2022 में भी उसी सोशल इंजिनियरिंग को दोहराने की जिम्मेदारी सतीश चंद्र मिश्र को दी गई थी। इसके लिए अगस्त 2021 से ही ब्राह्मण सम्मेलन करने शुरू कर दिए। हालांकि, नतीजे बसपा के पक्ष में नहीं रहे। इसके बाद से मायावती और बसपा ने सतीश चंद्र मिश्र से दूरी बनानी शुरू कर दी। 
 

तो अब मायावती की नई रणनीति क्या है? 
वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद कुमार सिंह कहते हैं, 'मायावती सोशल इंजीनियरिंग की रणनीति छोड़कर अब पुराने ट्रैक पर लौटने की कोशिश कर रहीं हैं। इस बार चुनाव में मुसलमान वोटर्स ने एकजुट होकर समाजवादी पार्टी को वोट किया। इसके चलते बसपा को काफी नुकसान उठाना पड़ गया। यही कारण है कि अब मायावती दलित-मुसलमान गठजोड़ बनाने की कोशिश में जुटी हैं। मुसलमान वोटर्स को अपने साथ लाने के लिए लगातार  बयान दे रहीं हैं। दिल्ली एमसीडी के लिए 40 स्टार प्रचारकों की जो सूची जारी हुई है, उसमें एक भी ब्राह्मण नेता शामिल नहीं हैं। 

उन्होंने आगे कहा, '2022 विधानसभा चुनाव के बाद मुस्लिम वोटर्स भी सपा से नाराज बताये जा रहें हैं। मायावती इस नाराजगी का फायदा उठाना चाहती हैं। इसके जरिए 2024 लोकसभा चुनाव फतह करने की तैयारी है।'
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed