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Health Sector Budget 2025: सरकार का आकलन; डे केयर सेंटर से कैंसर मरीजों के बचेंगे 10000 करोड़

परीक्षित निर्भय, अमर उजाला Published by: दीपक कुमार शर्मा Updated Mon, 03 Feb 2025 06:32 AM IST
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सार

अध्ययन के मुताबिक, देश में कैंसर की सर्जरी के लिए करीब दो से पांच लाख रुपये, कीमोथेरेपी के प्रति चक्र के लिए 50 हजार से एक लाख रुपये और रेडियोथेरेपी के प्रति चक्र के लिए करीब तीन से पांच हजार रुपये प्रति मरीज खर्च होते हैं। इसमें मरीज की यात्रा, ठहरने और भोजन से जुड़ा खर्च शामिल नहीं है। 

Budget 2025 for Health Sector cancer patients savings of over 10k crore govt prediction
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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देश के 700 जिलों में डे केयर कैंसर सेंटर शुरू होने से रोगियों की लंबी दूरी कम होगी। साथ ही, कैंसर मरीजों को सालाना 10,000 करोड़ रुपये की बचत भी होगी। यह आकलन केंद्र सरकार ने इस घोषणा से पहले दिल्ली एम्स, आईसीएमआर और चंडीगढ़ पीजीआई के अध्ययनों की समीक्षा के बाद निकाला। इसके मुताबिक, एक कैंसर मरीज को इलाज के लिए बड़े अस्पताल तक जाना पड़ता है। उसके साथ कम-से-कम एक तीमारदार जरूर होता है। यात्रा के साथ इलाज पूरा होने तक इनके अस्पताल के आसपास ठहरने और भोजन में करीब 65 से 70 हजार रुपये प्रति मरीज खर्च होते हैं। 

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अब घर के नजदीक डे केयर सेंटर शुरू होने से मरीजों की यह पूरी रकम बचेगी और शाम को इलाज लेकर मरीज अपने घर भी जा सकेगा। अध्ययन के मुताबिक, देश में कैंसर की सर्जरी के लिए करीब दो से पांच लाख रुपये, कीमोथेरेपी के प्रति चक्र के लिए 50 हजार से एक लाख रुपये और रेडियोथेरेपी के प्रति चक्र के लिए करीब तीन से पांच हजार रुपये प्रति मरीज खर्च होते हैं। इसमें मरीज की यात्रा, ठहरने और भोजन से जुड़ा खर्च शामिल नहीं है। अध्ययन जेब से खर्च (ओओपीई) को लेकर यह भी पता चला है कि ओपीडी में परामर्श के लिए प्रति रोगी 8,053 और अस्पताल में भर्ती होने पर औसत 39,085 रुपये का खर्च आता है। इसमें निजी अस्पताल शामिल नहीं है, जहां मरीज का खर्च कई गुना अधिक होता है। इसी तरह, भयावह स्वास्थ्य खर्च (सीएचई) की बात करें तो यह आर्थिक रूप से संपन्न मरीजों की तुलना में गरीब रोगियों के लिए 7.4 गुना अधिक है।

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  • 49% राशि मरीजों की जेब से जाती है देश के कुल स्वास्थ्य खर्च की, मरीज के ठहरने और खाने पर खर्च होते हैं 65-70 हजार

बचत को ऐसे समझें
सरकार का आकलन बताता है कि लक्षण मिलने के बाद निदान (बायोप्सी, पैट स्कैन आदि) के लिए मरीजों को बड़े अस्पताल में जाना पड़ता है। यहां तक आने की यात्रा, रुकने की व्यवस्था, भोजन इत्यादि पर प्रति रोगी खर्च 65 से 70 हजार रुपये है। सालाना मिलने वाले कुल 15 लाख रोगियों से इसकी गणना करें तो यह खर्च 9,075 से 10,500 करोड़ रुपये तक है। यह बचत इसलिए संभव होगी, क्योंकि जिला अस्पतालों में डे केयर कैंसर सेंटर शुरू होने से वहां निदान, कीमोथेरेपी और भोजन निशुल्क होगा। गरीब रोगियों के लिए दवाएं निशुल्क उपलब्ध होगीं।


अभी की योजनाओं से ऐसे लाभ
केंद्र सरकार का दावा है कि अलग-अलग स्वास्थ्य योजनाओं के जरिये हर साल मरीजों को करोड़ों रुपये की बचत हो रही है, जिसमें अब डे केयर कैंसर सेंटर भी शामिल होंगे। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम (पीएमएनडीपी) के तहत देश के कवर किए गए 748 जिलों में 1,575 डायलिसिस केंद्र संचालित हैं, जहां हर साल 26.49 लाख किडनी मरीज निशुल्क डायलिसिस ले रहे हैं। 2014 से अब तक इन केंद्रों पर 3.17 करोड़ डायलिसिस चक्र कराए गए हैं। इससे 8,000 करोड़ की शुद्ध बचत हुई है। इसके अलावा, डायलिसिस खर्च भी जोड़ें तो यह बचत 16,000 करोड़ रुपये है।

  • प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) के तहत 2018 से अब तक मरीजों को 1.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत हुई है। आरि्थक सर्वेक्षण 2024-25 में कहा गया है, यह बचत इसलिए है क्योंकि इन रोगियों को इलाज के लिए कोई शुल्क नहीं देना पड़ा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने अगस्त, 2024 में संसद को बताया था, जन औषधि के जरिये अब तक देशभर में मरीजों को 28,000 करोड़ की बचत हुई है।
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