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West Bengal: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मुकुल रॉय की विधानसभा सदस्यता रद्द की, दलबदल कानून के तहत गई विधायकी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कोलकाता
Published by: नितिन गौतम
Updated Thu, 13 Nov 2025 03:18 PM IST
सार
विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी और भाजपा विधायक अंबिका रॉय की याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए रॉय को राज्य विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया।
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टीएमसी नेता मुकुल रॉय
- फोटो : पीटीआई
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विस्तार
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने गुरुवार को दलबदल विरोधी कानून के तहत टीएमसी के वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी। मुकुल रॉय मई 2021 में भाजपा के टिकट पर सदन के लिए चुने गए थे, लेकिन उसी साल अगस्त में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी की मौजूदगी में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए।
भाजपा नेताओं की अपील पर सुनाया फैसला
जस्टिस देबांगसु बसाक की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी और भाजपा विधायक अंबिका रॉय की याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए रॉय को राज्य विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया। अधिकारी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें रॉय को दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराने की उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि भाजपा के टिकट पर चुने जाने के बाद वह सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
ये भी पढ़ें- UP: धमाके से दस दिन पहले दिल्ली में ही था डॉ. आदिल... घर के बाहर कचरे से मिला अहम सबूत; इस फ्लाइट में किया सफर
शुभेंदु अधिकारी ने फैसले पर कहा- सत्य की जीत हुई
हाईकोर्ट के फैसले के बाद विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, 'ऐतिहासिक फैसला है। यह वही याचिका है जो मैंने विपक्ष के नेता की हैसियत से दायर की थी। माननीय अदालत ने मुकुल रॉय को अयोग्य ठहराते हुए स्पीकर द्वारा दिए गए पक्षपाती आदेश को भी रद्द कर दिया है। भले ही देर लगे, लेकिन सत्य की ही जीत होती है। संविधान और दसवीं अनुसूची की मर्यादा को बचाते हुए अदालत ने दलबदल मामलों में स्पीकर की पक्षधरता को स्पष्ट कर दिया है। मैं इस ऐतिहासिक फैसले का स्वागत करता हूं।'
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भाजपा नेताओं की अपील पर सुनाया फैसला
जस्टिस देबांगसु बसाक की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी और भाजपा विधायक अंबिका रॉय की याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए रॉय को राज्य विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया। अधिकारी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें रॉय को दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराने की उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि भाजपा के टिकट पर चुने जाने के बाद वह सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
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शुभेंदु अधिकारी ने फैसले पर कहा- सत्य की जीत हुई
हाईकोर्ट के फैसले के बाद विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, 'ऐतिहासिक फैसला है। यह वही याचिका है जो मैंने विपक्ष के नेता की हैसियत से दायर की थी। माननीय अदालत ने मुकुल रॉय को अयोग्य ठहराते हुए स्पीकर द्वारा दिए गए पक्षपाती आदेश को भी रद्द कर दिया है। भले ही देर लगे, लेकिन सत्य की ही जीत होती है। संविधान और दसवीं अनुसूची की मर्यादा को बचाते हुए अदालत ने दलबदल मामलों में स्पीकर की पक्षधरता को स्पष्ट कर दिया है। मैं इस ऐतिहासिक फैसले का स्वागत करता हूं।'
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