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Lateral Entry: लैटरल एंट्री भर्ती व्यवस्था की सरकार कर रही समीक्षा, हितधारकों से बातचीत जारी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली। Published by: निर्मल कांत Updated Tue, 30 Dec 2025 06:34 PM IST
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सार

Lateral Entry:केंद्र सरकार सीधी भर्ती की जरूरतों और प्रभावों पर संबंधित मंत्रालयों और विभागों से परामर्श कर रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दी कि अब तक करीब 60 अधिकारियों को इस प्रक्रिया से नियुक्त किया गया है, जिनमें से 38-40 अधिकारी विभिन्न मंत्रालयों में काम कर रहे हैं।  

Centre in consulting with stakeholders on lateral entry requirement, impact: DoPT Secretary
डीओपीटी - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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केंद्र सरकार सीधी भर्ती की जरूरतों और इसके प्रभावों को लेकर संबंधित पक्षों से परामर्श कर रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। केंद्र सरकार में 2018 से सीधी भर्ती की प्रक्रिया शुरू की गई, ताकि विशेष परियोजनाओं के लिए ऐसे लोग नियुक्त किए जा सकें जिनके पास निजी क्षेत्र या किसी विशेष क्षेत्र में विशेषज्ञता और ज्ञान हो। 
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कर्मचारी और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) की सचिव रचना शाह ने बताया कि अब तक तीन चरणों में करीब 60 अधिकारियों को सीधी भर्ती के माध्यम से नियुक्त किया गया है, जो संयुक्त सचिव और उप सचिव/निदेशक स्तर पर हैं। इनमें से करीब 38 से 40 अधिकारी विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में काम कर रहे हैं और योगदान दे रहे हैं। शाह ने कहा, हम संबंधित मंत्रालयों और विभागों के साथ परामर्श और चर्चा कर रहे हैं।
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जब उनसे पूछा गया कि क्या सरकार सीधी भर्ती के लिए नए नियम या प्रक्रियाएं बना रही है, तो उन्होंने कहा कि अगर मंत्रालयों और विभागों से परामर्श के दौरान कोई जरूरत सामने आती है या योजना की समीक्षा और संशोधन की जरूरत होती है, तो उसे लागू किया जा सकता है। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, हम वर्तमान में यह देख रहे हैं कि मंत्रालयों और विभागों पर इस पहल का क्या प्रभाव है और उनकी क्या जरूरतें हैं। 

केंद्र सरकार के निर्देश के बाद संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने पिछले साल अगस्त में सीधी भर्ती के जरिये सरकारी विभागों में अहम पदों को भरने की अपनी विज्ञप्ति रद्द कर दी थी। यह राजनीतिक विवाद का कारण बना, क्योंकि उन पदों के लिए आरक्षण की सुविधा नहीं थी। यूपीएससी ने 17 अगस्त 2024 को 45 पदों के लिए भर्ती की अधिसूचना जारी की थी। इनमें संयुक्त सचिव के 10 पदों और निदेशक या उप सचिव 35 पदों पर सीधी भर्ती होनी थी। हालांकि, इस फैसले की विपक्षी दलों ने आलोचना की और कहा कि यह ओबीसी, एससी और एसटी वर्गों के आरक्षण अधिकारों को कमजोर करता है।

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