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Manipur Violence: 'संविधान से मिलेगा समाधान', मणिपुर में न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह का आशावादी संदेश
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंफाल
Published by: शुभम कुमार
Updated Sun, 23 Mar 2025 03:43 PM IST
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सार
मणिपुर में दिन-प्रतिदिन बढ़ते तनाव के बीच सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह स्थिति पर नियंत्रण की उम्मीद जताई। उन्होंने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि अगर लोग संविधान का पालन करें, तो मुश्किल समय में भी समाधान मिल सकता है।

न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह (बाएं से आखिरी में)
- फोटो : ANI

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विस्तार
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह ने रविवार को मणिपुर में मौजूद चुनौतियों पर काबू पाने की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि अगर लोग संविधान का पालन करें, तो मुश्किल समय में भी समाधान मिल सकता है। बता दें कि मणिपुर उच्च न्यायालय की स्थापना की 12वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह में उन्होंने कहा कि मणिपुर एक छोटा राज्य है और यहां चुनौतियां हैं, लेकिन संविधान हमें मुश्किल वक्त में दिशा दिखाता है।
सविंधान का पालन करने पर जोर
न्यायमूर्ति सिंह ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार को मणिपुर के चुराचांदपुर और बिष्णुपुर जिलों का दौरा किया, जहां उन्होंने लोगों में आशा और सकारात्मकता देखी। उन्होंने कहा कि चुनौतियों का सामना हम संविधान का पालन करके कर सकते हैं। चुराचांदपुर की परंपराएं समृद्ध हैं और वहां का समुदाय जीवंत है।
वकीलों को भी दी ये सीख
इसके साथ ही न्यायमूर्ति सिंह ने लोगों से आह्वान किया कि वे देश को मजबूत बनाने के लिए काम करें और इसे कमजोर करने के लिए कुछ न करें। उन्होंने वकीलों को यह भी कहा कि वे अपनी मेहनत और ईमानदारी से काम करें, क्योंकि मणिपुर जैसे दूर-दराज के राज्य में काम करते हुए भी उनकी मेहनत को पहचान मिलती है।
ये भी पढ़ें:- Nasik Kumbh: '2027 कुंभ मेले की तैयारियां धीमी, लेकिन चुनौतियों से पार पा लेंगे', सीएम फडणवीस का बयान
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों का मणिपुर दौरा
शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों का प्रतिनिधिमंडल मणिपुर पहुंचा और राहत शिविरों का दौरा किया। उन्होंने आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों से बातचीत की और चुराचांदपुर जिले के लामका में वर्चुअली एक कानूनी सेवा शिविर, चिकित्सा शिविर और कानूनी सहायता क्लिनिक का उद्घाटन भी किया।
मणिपुर हिंसा की शुरुआत क्यों हुई, एक नजर
गौरतलब है कि मणिपुर में इम्फाल घाटी के मेइतेई समुदाय और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी-जो समुदाय के बीच 2023 में जातीय संघर्ष भड़क उठा। हिंसा का मुख्य कारण मणिपुर उच्च न्यायालय का वह आदेश था, जिसमें मेइतेई समुदाय को आदिवासी श्रेणी में शामिल करने की बात कही गई थी। इससे मेइतेई समुदाय को आरक्षित वर्ग के फायदे जैसे सरकारी नौकरियों और योजनाओं का लाभ मिल सकता था, लेकिन कुकी-जो समुदाय इस फैसले से असहमत थे और उनका मानना था कि इससे उनके अधिकारों पर खतरा आ सकता है।
ये भी पढ़ें:- विश्व टीबी दिवस: देश में अग्रणी राज्य बना गुजरात, नीति आयोग के टीबी उन्मूलन लक्ष्य का 95% हासिल किया
हालांकि देखा जाए तो मणिपुर में पहले से ही विभिन्न समुदायों के बीच जातीय और राजनीतिक तनाव था। जो कि मई 2023 में यह संघर्ष हिंसा का रूप ले लिया, जिसमें अब तक 250 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग अपने घरों से विस्थापित हो गए हैं।
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सविंधान का पालन करने पर जोर
न्यायमूर्ति सिंह ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार को मणिपुर के चुराचांदपुर और बिष्णुपुर जिलों का दौरा किया, जहां उन्होंने लोगों में आशा और सकारात्मकता देखी। उन्होंने कहा कि चुनौतियों का सामना हम संविधान का पालन करके कर सकते हैं। चुराचांदपुर की परंपराएं समृद्ध हैं और वहां का समुदाय जीवंत है।
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वकीलों को भी दी ये सीख
इसके साथ ही न्यायमूर्ति सिंह ने लोगों से आह्वान किया कि वे देश को मजबूत बनाने के लिए काम करें और इसे कमजोर करने के लिए कुछ न करें। उन्होंने वकीलों को यह भी कहा कि वे अपनी मेहनत और ईमानदारी से काम करें, क्योंकि मणिपुर जैसे दूर-दराज के राज्य में काम करते हुए भी उनकी मेहनत को पहचान मिलती है।
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सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों का मणिपुर दौरा
शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों का प्रतिनिधिमंडल मणिपुर पहुंचा और राहत शिविरों का दौरा किया। उन्होंने आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों से बातचीत की और चुराचांदपुर जिले के लामका में वर्चुअली एक कानूनी सेवा शिविर, चिकित्सा शिविर और कानूनी सहायता क्लिनिक का उद्घाटन भी किया।
मणिपुर हिंसा की शुरुआत क्यों हुई, एक नजर
गौरतलब है कि मणिपुर में इम्फाल घाटी के मेइतेई समुदाय और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी-जो समुदाय के बीच 2023 में जातीय संघर्ष भड़क उठा। हिंसा का मुख्य कारण मणिपुर उच्च न्यायालय का वह आदेश था, जिसमें मेइतेई समुदाय को आदिवासी श्रेणी में शामिल करने की बात कही गई थी। इससे मेइतेई समुदाय को आरक्षित वर्ग के फायदे जैसे सरकारी नौकरियों और योजनाओं का लाभ मिल सकता था, लेकिन कुकी-जो समुदाय इस फैसले से असहमत थे और उनका मानना था कि इससे उनके अधिकारों पर खतरा आ सकता है।
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हालांकि देखा जाए तो मणिपुर में पहले से ही विभिन्न समुदायों के बीच जातीय और राजनीतिक तनाव था। जो कि मई 2023 में यह संघर्ष हिंसा का रूप ले लिया, जिसमें अब तक 250 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग अपने घरों से विस्थापित हो गए हैं।