छठ में हलाल सर्टिफिकेट पर मचा बवाल: VHP देगी सनातन प्रतिष्ठान प्रमाणपत्र, संस्थाओं की कार्यशाली पर उठ रहे सवाल
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने हिंदुओं के लिए 'सनातन प्रतिष्ठान सर्टिफिकेट' जारी करने का निर्णय लिया है। संगठन ने कहा है कि छठ महापर्व के दौरान लोगों को पूरी तरह शुद्ध पूजा सामग्री उपलब्ध कराने के लिए यह अभियान शुरू किया गया है। इसके अंतर्गत विहिप पूरी जांच-परख के बाद दुकानों को सनातन प्रतिष्ठान होने का सर्टिफिकेट जारी करेगी।
विस्तार
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वस्तुओं को 'हलाल सर्टिफिकेट' देने की परंपरा का विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि किसी भी वस्तु पर हलाल सर्टिफिकेट नहीं होना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया है कि हलाल सर्टिफिकेट जारी करने से प्राप्त हो रहे पैसे को राष्ट्रविरोधी और आतंकी गतिविधियों में लगाया जा रहा है। योगी के इस बयान पर काफी तीव्र प्रतिक्रिया भी हुई थी। लेकिन इसी बीच विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने हिंदुओं के लिए 'सनातन प्रतिष्ठान सर्टिफिकेट' जारी करने का निर्णय लिया है। संगठन ने कहा है कि छठ महापर्व के दौरान लोगों को पूरी तरह शुद्ध पूजा सामग्री उपलब्ध कराने के लिए यह अभियान शुरू किया गया है। इसके अंतर्गत विहिप पूरी जांच-परख के बाद दुकानों को सनातन प्रतिष्ठान होने का सर्टिफिकेट जारी करेगी।
बड़ा प्रश्न है कि कोई संस्था इस तरह के प्रमाण पत्र कैसे जारी कर सकती है? वस्तुओं की गुणवत्ता या शुद्धता की जांच और प्रमाणीकरण के लिए केंद्र सरकार द्वारा आईएसआई और एफएसएसएआई जैसी संस्थाओं को बनाया गया है। इन संस्थाओं के रहते किसी निजी संस्था द्वारा इस तरह के प्रमाण पत्र जारी करना कितना सही है?
इस्लाम या कुरान में हलाल प्रमाण पत्र देने जैसी कोई व्यवस्था नहीं- जमाते इस्लामी हिंद
जमात-ए-इस्लामी हिंद के राष्ट्रीय सचिव सैयद तनवीर अहमद ने अमर उजाला से कहा कि इस्लाम या कुरान में हलाल प्रमाण पत्र देने जैसी कोई व्यवस्था नहीं है। कुरान में केवल इतना कहा गया है कि खाने के लिए किसी पशु को मारते समय एक विशेष प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। इस प्रक्रिया को हलाल कहा गया है। लेकिन यह कार्य कोई भी व्यक्ति अपने घर में भी कर सकता है। इसके लिए किसी मौलवी का होना अनिवार्य नहीं है। किसी मुस्लिम की दुकान पर भी हलाल सर्टिफिकेट नहीं होता।
सैयद तनवीर अहमद ने कहा कि अरब देशों को सबसे ज्यादा भारत से मांस का निर्यात किया जाता है। मांस के इस व्यापार में भारी संख्या में गैर मुसलमान भी लगे हुए हैं। इन खाड़ी देशों का मुसलमान केवल यह जानना चाहता है कि क्या इस मांस को काटने के लिए हलाल प्रक्रिया का पालन किया गया है, या नहीं। उन्होंने कहा कि केवल यही बात सुनिश्चित करने के लिए खाड़ी के देशों के द्वारा भारत में किसी संस्था या व्यक्ति को नामित कर दिया जाता है जो इनकी तरफ से हलाल सर्टिफिकेट देने का काम करता है। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह व्यापार से जुड़ा हुआ मामला है।
दक्षिण भारत में कई गैर मुस्लिम लोग या कंपनियां मांस के व्यापार में लगी हुई हैं। वे अपने यहां मासिक वेतन पर मौलवी रखती हैं जो पशुओं के मांस कटने के दौरान हलाल प्रक्रिया का पालन करना सुनिश्चित कराते हैं। इससे इन कंपनियों के उत्पादों को खाड़ी देशों में बेचने में कोई परेशानी नहीं होती। यदि इन उत्पादों पर हलाल सर्टिफिकेट न हो तो उपभोक्ता इनकी बजाय किसी दूसरी कंपनी या किसी दूसरे देश का बना सामान खरीदेगा। इससे हमारी कंपनियों को ही नुकसान होगा।
माचिस, चावल या बिल्डिंग का हलाल सर्टिफिकेट क्यों- हलाल नियंत्रण मंच
पूर्व न्यायाधीश और 'हलाल नियंत्रण मंच' के प्रवक्ता पवन कुमार ने अमर उजाला से कहा कि यदि हलाल सर्टिफिकेट का मामला केवल मांस खाने तक सीमित होता, तब इसका कोई विरोध न होता। लेकिन सच्चाई यह है कि आज माचिस, चावल, दाल, कॉफी, चिप्स, नमकीन, पनीर और चीनी-चाय जैसी खाने वाली वस्तुओं के लिए भी हलाल सर्टिफिकेट जारी किये जा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि हिंदू पूजा-पद्धति में उपयोग की जाने वाली वस्तुओं के लिए भी हलाल सर्टिफिकेट जारी हो रहे हैं जिसका इस्लाम या मुसलमान से कोई संबंध नहीं है।
उन्होंने कहा कि, पक्के भवनों, होटलों और रेस्टोरेंट्स को भी हलाल सर्टिफिकेट दिया जा रहा है। यहां तक कि पर्यटन स्थलों के लिए भी हलाल प्रमाणपत्र जारी किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह एक धर्म विशेष की आड़ में अवैध तरीके से अर्थव्यवस्था पर काबू करने की कोशिश है। इसे हर हाल में रोका जाना चाहिए।
'आतंकी गतिविधियों में उपयोग हो रहा हलाल का पैसा'
पवन कुमार (पूर्व न्यायाधीश) ने हलाल विवाद पर बेहद गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि किसी कंपनी को अपने हर उत्पाद के लिए एक साल का हलाल सर्टिफिकेट लेने के लिए 21 हजार रूपये एक साल के लिए वसूला जा रहा है। यदि कंपनी दस उत्पाद बेचती है तो उसे दो लाख रूपये से अधिक हर साल केवल हलाल सर्टिफिकेट लेने के लिए देने पड़ते हैं। बहुत सारे उत्पादों को बनाने वाली बड़ी कंपनियों को इस एवज में भारी रकम खर्च करनी पड़ रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि, हलाल सर्टिफिकेट जारी करने के बदले में कंपनियों से भारी पैसा वसूला जा रहा है और इस बात के प्रमाण मिल चुके हैं कि इस पैसे का दुरुपयोग राष्ट्रविरोधी और आतंकी गतिविधियों में उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसे हर हाल में रोका जाना चाहिए। यह पूरी तरह लोगों की सुरक्षा से जुड़ा मामला है।
इन देशों में बंद हुए हलाल सर्टिफिकेट
किसी भी कंपनी के लिए अपने उत्पादों के लिए हलाल सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य नहीं है। दावा है कि इसका किसी मुस्लिम संस्था से औपचारिक संबंध भी नहीं है। लेकिन इसके बाद भी अपने उत्पादों को बेचने के लिए सभी कंपनियां हलाल सर्टिफिकेट लेने के लिए मजबूर हो रही हैं और इसके बदले में भारी कीमत भी चुका रही हैं।
लेकिन हलाल सर्टिफिकेट को लेकर पूरी दुनिया में विरोध तेज हो रहा है। कई देशों ने अपने यहां हलाल सर्टिफिकेट लेने या जारी करने पर प्रतिबंध लगा दिया है तो कुछ जगहों पर इसे केवल निर्यात तक सीमित कर दिया गया है।
पवन कुमार ने कहा कि हलाल सर्टिफिकेट के नाम पर हो रही साजिश और आतंकी घटनाओं से इसके संबंधों को देखते हुए कई देशों में इसके खिलाफ आवाजें उठ रही हैं। श्रीलंका में 2013 में हलाल सर्टिफिकेट लगाने पर रोक लगा दी गई। हलाल सर्टिफिकेट पर लोगों के विरोध को देखते हुए श्रीलंका के मुस्लिम संगठनों ने आगे बढ़कर स्वयं इस पर प्रतिबंध लगा दिया।
आस्ट्रेलिया ने भी हलाल सर्टिफिकेट लगाना रोक दिया है। यहां केवल निर्यात की जाने वाले मांस पर हलाल सर्टिफिकेट लगाया जाता है, लेकिन यह कार्य सरकारी विभाग के द्वारा किया जा रहा है। बड़ी कंपनियों ने हलाल सर्टिफिकेट के लिए कोई भी शुल्क देने से इनकार कर दिया है। इससे हलाल सर्टिफिकेट जारी कर होने वाली कमाई पर रोक लगी है। उन्होंने कहा कि कनाडा में भी इस मामले पर बहस और जांच चल रही है। उम्मीद है कि जल्द ही कनाडा में भी हलाल सर्टिफिकेट वाली वस्तुओं के आयात पर रोक लग जाएगी।
हम केवल शुद्धता सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे- विहिप
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के इंद्रप्रस्थ प्रांत के मंत्री सुरेंद्र गुप्ता ने अमर उजाला से कहा कि उनका संगठन 'सनातन प्रतिष्ठान सर्टिफिकेट' दे रहा है। लेकिन यह किसी भी तरह से सरकार से इतर समानांतर व्यवस्था बनाने की कोशिश नहीं है। उनकी कोशिश केवल इतनी है कि छठ महापर्व जैसे त्योहारों में शुद्धता का पूरा ध्यान रखा जाता है। लेकिन कई बार ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जहां पदार्थों में 'थूक कर' उसे अशुद्ध करने की कोशिशें हुई हैं। इससे व्रत करने वालों को उसका फल नहीं मिलता। ऐसे में उनकी कोशिश केवल यह है कि पूजा-पाठ के दौरान छठ व्रतधारियों को पूरी तरह शुद्ध पूजा सामग्री मिले।
कोई भी दुकानदार ले सकता है विहिप का स्टिकर
उन्होंने कहा कि विहिप का सनातन प्रतिष्ठान सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए कोई शुल्क नहीं है। यह पूरी तरह निःशुल्क है। जो भी रेहड़ी-पटरी या दुकानों के दुकानदार अपने दुकानों के लिए यह प्रमाण पत्र हासिल करना चाहते हैं, उनकी सूचना पर विहिप की स्थानीय टीम उन उत्पादों के बनने से लेकर पैकेजिंग तक की पूरी व्यवस्था चेक करती है। पूरी व्यवस्था सही पाये जाने पर दुकानदार या दुकान को सनातन प्रतिष्ठान सर्टिफिकेट का स्टिकर दिया जाता है जिसे वे अपने उत्पाद या दुकानों पर लगा सकते हैं। विहिप दिल्ली में 30 स्थानों पर स्टॉल लगाकर छठ व्रत धारियों को पूरी तरह शुद्ध पूजा सामग्री उपलब्ध कराएगी।