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India-China Ties: 'टैरिफ-व्यापार युद्ध के खिलाफ मुखर हों भारत-चीन', राजदूत फेइहोंग ने रखा चार सूत्रीय प्रस्ताव
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक कुमार शर्मा
Updated Wed, 24 Sep 2025 01:20 AM IST
सार
चीन के राजदूत जू फीहोंग ने कहा कि भारत-चीन को आधिपत्य, सत्ता की राजनीति और हर तरह के टैरिफ व व्यापार युद्ध का विरोध करना चाहिए। उन्होंने सीमा विवाद को रिश्तों पर हावी न होने देने की बात कही। साथ ही कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार 102 अरब डॉलर तक पहुंचा है। इसके अलावा, चीन ने भारतीय नागरिकों को 2.65 लाख से अधिक वीजा जारी किए हैं।
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जू फीहोंग, राजदूत, चीन
- फोटो : ANI/ X/@China_Amb_India
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विस्तार
चीन और भारत को आधिपत्य, सत्ता की राजनीति और किसी भी तरह के टैरिफ तथा व्यापार युद्ध का कड़ा विरोध करना चाहिए। यह बात मंगलवार को चीन के राजदूत जू फीहोंग ने कही। उनका यह बयान उस समय आया है, जब नई दिल्ली और ट्रंप प्रशासन के रिश्तों में खटास है, क्योंकि अमेरिका ने भारतीय सामानों पर टैरिफ बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया है।
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एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजदूत ने भारत-चीन संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए चार सूत्रीय प्रस्ताव रखा, जिसमें आपसी सम्मान और विश्वास की भावना से एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करने का 'सही तरीका' खोजना शामिल है।
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सीमा विवाद को मौजूदा रिश्तों पर हावी नहीं होने देना चाहिए
जू ने कहा कि दोनों देशों को सीमा विवाद को मौजूदा रिश्तों पर हावी नहीं होने देना चाहिए और द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाना चाहिए, क्योंकि इसमें 'बेहद संभावनाएं' हैं। उनकी यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की चीन के तियानजिन शहर में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के इतर हुई मुलाकात के तीन हफ्ते बाद आई है।
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वैश्विक दक्षिण के साझा हितों की करें रक्षा
बीते कुछ महीनों में, दोनों देशों ने अपने रिश्तों को पटरी पर लाने के लिए कई कदम उठाए हैं। ये रिश्ते जून 2020 में गलवां घाटी में भारत-चीन सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद गंभीर तनाव में आ गए थे। चीन की 76वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित समारोह में जू ने कहा, 'यह बेहद जरूरी है कि भारत और चीन आधिपत्यवाद, सत्ता की राजनीति और किसी भी तरह के टैरिफ व व्यापार युद्ध का डटकर विरोध करें। संयुक्त रूप से वैश्विक दक्षिण के साझा हितों की रक्षा करें और मानवता के साझा भविष्य वाले समुदाय का निर्माण करें।'
भारत-चीन संबंधों का वैश्विक और रणनीतिक महत्व
तियानजिन में मोदी-शी की मुलाकात का जिक्र करते हुए राजदूत फीहोंग ने कहा कि चीन भारत के साथ मिलकर दोनों नेताओं की साझा समझ के आधार पर संबंधों को 'स्वस्थ और स्थिर विकास की राह' पर ले जाने को तैयार है। उन्होंने कहा, 'दो प्राचीन सभ्यताओं और बड़े विकासशील देशों के रूप में भारत-चीन संबंध द्विपक्षीय दायरे से परे हैं और इनका वैश्विक व रणनीतिक महत्व है।'
लगातार बढ़ रहा भारत-चीन का आर्थिक और व्यापारिक सहयोग
राजदूत फीहोंग ने आगे कहा, 'दोनों पक्षों को ऊंचा लक्ष्य रखना चाहिए, दीर्घकालिक योजना बनानी चाहिए और आपसी सम्मान, विश्वास, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व, समान विकास और साझा सहयोग की भावना में सही रास्ता तलाशना चाहिए।' राजदूत ने बताया कि भारत-चीन का आर्थिक और व्यापारिक सहयोग लगातार बढ़ रहा है और इसमें काफी संभावना है। उन्होंने कहा, 'जनवरी से अगस्त के बीच दोनों देशों के बीच माल व्यापार 10.4 फीसदी बढ़कर 102 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया।'
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भारतीय नागरिकों को जारी किए 2,65,000 से अधिक वीजा
उन्होंने यह भी बताया कि 22 सितंबर तक भारत में चीनी दूतावास और वाणिज्य दूतावासों ने भारतीय नागरिकों को 2,65,000 से अधिक वीजा जारी किए हैं। उन्होंने कहा, 'हम भारत के साथ सभी स्तरों और सभी क्षेत्रों में मित्रवत आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और आपसी समझ व दोस्ती को गहरा करने के लिए तैयार हैं।' जू ने कहा कि मतभेदों को संवाद के जरिये दूर करना हमेशा से भारत-चीन रिश्तों को आगे बढ़ाने की कुंजी रहा है।