करवाचौथ: दिल्ली-एनसीआर में बादल का पहरा, सुहागिनों ने वीडियो कॉल से चांद देख खोला व्रत
नोएडा में रहने वाली अंजू पांडे ने अमर उजाला को बताया कि रविवार शाम 8:07 बजे करवाचौथ का व्रत खोलने का समय था। इसी दौरान आसमान में बादल छा गए और बारिश होने लगी।
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आज रविवार (24 अक्तूबर) को करवाचौथ के दिन जब सुहागिनों के व्रत खोलने का समय हो रहा था, ठीक उसी समय दिल्ली-एनसीआर के आसमान में बादल छा गए। शाम के समय से ही पूरे दिल्ली-एनसीआर में धीमी-धीमी बारिश शुरू हो गई। आसमान में बादल होने से चांद दिखाई नहीं पड़ा। इससे पूरे दिनभर भूखी-प्यासी रही सुहागिनों को अपना व्रत खोलने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा। वहीं, कुछ सुहागिनों ने तकनीकी से इस समस्या का हल निकाल लिया। लोगों ने दूसरे शहरों में रह रहे अपने रिश्तेदारों से वीडियो कॉल करके चांद देखा और व्रत खोल कर करवा माता से आशीर्वाद प्राप्त किया।
कानपुर का चांद देख खोला व्रत
नोएडा में रहने वाली अंजू पांडे ने अमर उजाला को बताया कि रविवार शाम 8:07 बजे करवाचौथ का व्रत खोलने का समय था। इसी दौरान आसमान में बादल छा गए और बारिश होने लगी। इससे आसमान में चांद दिखाई नहीं पड़ रहा था। उस दौरान कानपुर में अपने भतीजे से बातचीत करते हुए उन्हें पता चला कि कानपुर में आसमान साफ है और चांद दिखाई पड़ रहा है। इसके बाद उन्होंने वीडियो कॉल के माध्यम से ही कानपुर के आसमान में चांद के दर्शन किए और नोएडा में अपना व्रत पूर्ण किया।
गुरुग्राम में ऐसे देखा गया चांद
गुरुग्राम की अनुभूति नागर ने बताया कि उनके शहर में भी आसमान साफ नहीं था और चांद दिखाई नहीं पड़ रहा था। पूरे दिन भूखे-प्यासे रहने के बाद शाम के समय व्रत पूर्ण करने में परेशानी हो रही थी। अपने रिश्तेदारों से बातचीत करते हुए उन्हें पता चला कि कानपुर में आसमान साफ है और चांद दिखाई पड़ रहा है। उन्होंने अपने भाई को वीडियो कॉल की और चांद के दर्शन करके अपना व्रत पूर्ण किया।
इसी प्रकार डॉ. गीता बरनवाल और डॉली वर्मा ने जालंधर में रह रही अपनी दोस्त सरिता शर्मा को वीडियो कॉल की। दोनों ने जालंधर के आसमान में निकले चांद के दर्शन किए और व्रत खोला।
यह है विधान
धार्मिक मान्यता के अनुसार, यदि करवा चौथ के दिन किसी कारण से चंद्र दर्शन न हो सके तो सुहागिनों को भगवान शिव की प्रतिमा में उनके सिर पर अंकित अर्धचंद्र के दर्शन करने चाहिए। इसके बाद अर्घ्य देकर अपना व्रत पूर्ण करना चाहिए। अनेक सुहागिनों ने इसी पौराणिक मान्यता का उपयोग करते हुए अपना व्रत पूर्ण किया।