Goa: गोवा में विवादास्पद इवेंट पर पुलिस की कार्रवाई, क्रिसमस को अश्लील सामग्री से जोड़ने पर संगठनों का विरोध
गोवा में ‘टेल्स ऑफ कामसूत्र एंड क्रिसमस सेलिब्रेशन’ कार्यक्रम के प्रचार पर भारी विरोध के बाद पुलिस ने इवेंट तुरंत रोकने और सभी विज्ञापन हटाने के आदेश दिए है। क्रिसमस को अशोभनीय थीम से जोड़ने पर लोगों और कुछ संगथनों ने कड़ी आपत्ति जताई है।
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गोवा से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। जहां क्रिसमस को एक अशोभनीय थीम से जोड़ने पर नया विवाद खड़ा हो गया है। इस बात को ऐसे समझिए कि बीते कई दिनों से ‘टेल्स ऑफ कामसूत्र एंड क्रिसमस सेलिब्रेशन’ नाम का एक कार्यक्रम सोशल मीडिया पर खुब प्रचारित किया जा रहा था। इस विज्ञापन में क्रिसमस और कामसूत्र को जोड़कर दिखाया गया, जिस पर लोगों ने भारी नाराजगी जताई। बढ़ते विरोध को देखते हुए गोवा पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और कार्यक्रम को रोकने के आदेश जारी किए। पुलिस ने आयोजकों को साफ निर्देश दिया कि वे इवेंट न करें और सभी विज्ञापन सोशल मीडिया से तुरंत हटाएं। साथ ही, राज्य के सभी पुलिस स्टेशनों को ऐसे आयोजनों पर कड़ी नजर रखने को कहा गया है।
मामले में गोवा के एनजीए ‘अर्ज’ के संस्थापक अरुण पांडे ने शिकायत दर्ज कराई। साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करते हुए कहा कि 'ओशो' के नाम पर क्रिसमस और मेडिटेशन के नाम पर गोवा को गलत तरह से प्रचारित पर्यटन स्थान दिखाना गलत है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि उन्होंने क्राइम ब्रांच में शिकायत दी है और उम्मीद है कि आयोजकों पर सख्त कार्रवाई होगी।
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कैथोलिक संगठनों ने भी जताई आपत्ति
इतना ही नहीं मामले में गोवा कैथोलिक एसोसिएशन ने भी पुलिस में शिकायत की, जिसमें कहा गया कि यह कार्यक्रम धार्मिक भावनाओं को आहत करता है और अश्लीलता को बढ़ावा देता है। दूसरी ओर भारत के कैथोलिक बिशप्स सम्मेलन (सीसीबीआई) के अध्यक्ष और गोवा के आर्चबिशप फिलीपे नेरी कार्डिनल फेराओ ने इस विज्ञापन को गैर-जिम्मेदाराना और बेहद आपत्तिजनक बताया।
उन्होंने कहा कि क्रिसमस ईसाइयों के लिए पवित्र त्योहार है, खुशी, शांति और ईसा मसीह के जन्म की याद का समय है। ऐसे पवित्र मौके को अश्लील और असंबंधित चीजों से जोड़ना बेहद दुखद और आस्था का अपमान है। आर्चबिशप ने आयोजकों और प्रमोटरों से विज्ञापन तुरंत हटाने की अपील की और प्रशासन से मामले की जांच करने को कहा।
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जनता से की ये अपील
आर्चबिशप ने आगे कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी के साथ दूसरों की आस्था का सम्मान करना भी जरूरी है। उन्होंने कैथोलिक समुदाय और आम लोगों से कहा कि वे ऐसे आयोजनों का हिस्सा न बनें जो धार्मिक मूल्यों को ठेस पहुंचाते हों। साथ ही उन्होंने समाज में सम्मान, समझ और सौहार्द बढ़ाने की अपील की।