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संविधान दिवस: 'गुलामी की मानसिकता को खत्म करता है संविधान', बोलीं राष्ट्रपति मुर्मू; जानें और किसने-क्या कहा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: देवेश त्रिपाठी
Updated Wed, 26 Nov 2025 01:53 PM IST
सार
राज्यसभा के सभापति सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, 2024 में जम्मू-कश्मीर में हुए चुनावों में, बड़ी संख्या में मतदाताओं ने मतदान किया, जिससे दुनिया को लोकतंत्र में हमारी आस्था का एहसास हुआ।
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संविधान दिवस के कार्यक्रम में राष्ट्रपति मुर्मू के साथ पीएम मोदी व अन्य नेता
- फोटो : पीटीआई
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विस्तार
पुराने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में बुधवार को संविधान दिवस समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि आज के दिन 26 नवंबर 1949 में संविधान सभा के सदस्यों ने भारत संविधान के निर्माण का कार्य संपन्न किया था। आज के दिन हम भारत के लोगों ने अपने संविधान को अपनाया था।
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राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, 'स्वाधीनता के बाद संविधान सभा ने भारत की अंतरिम संसद के रूप में भी कर्तव्य का निर्वाहन किया। बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर हमारे संविधान के प्रमुख निर्माता में से थे। बाबा साहब के 125 वीं जयंती के वर्ष में यानी 26 नवंबर 2015 में प्रतिवर्ष संविधान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया था।'
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राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि संविधान राष्ट्र की पहचान की आधारशिला है और गुलामी की मानसिकता को त्यागने तथा राष्ट्रवादी सोच अपनाने का मार्गदर्शक दस्तावेज भी है।
इस दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने तीन तलाक, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), अनुच्छेद 370 समेत कई मुद्दों पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि तीन तलाक से जुड़ी सामाजिक बुराई पर अंकुश लगाकर संसद ने हमारी बहनों और बेटियों के सशक्तिकरण और सामाजिक न्याय की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाए।
उन्होंने कहा कि जीसएटी के रूप में आजादी के बाद सबसे बड़ा कर सुधार देश के आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए लागू किया गया। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के खत्म होने से एक ऐसी बाधा हटी, जो देश के समग्र राजनीतिक एकीकरण में बाधा बन रही थी।
राष्ट्रपति ने कहा, 'नारी शक्ति बंधन अधिनियम महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के एक नए युग की शुरुआत करेगा। इस वर्ष 7 नवंबर से हमारे राष्ट्रगान, वंदे मातरम की रचना के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक राष्ट्रव्यापी स्मरणोत्सव आयोजित किया जा रहा है।'
कार्यक्रम के दौरान उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने कहा, 'महान विद्वानों, ड्राफ्टिंग कमिटी और संविधान सभा के सदस्यों ने करोड़ों भारतीयों की उम्मीदों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए गहरी सोच दी। उनके बिना किसी स्वार्थ के योगदान ने भारत को आज दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बनाया है। हमारा संविधान समझ और अनुभव, त्याग, उम्मीदों और आकांक्षाओं से बना है। हमारे संविधान की आत्मा ने साबित कर दिया है कि भारत एक है और हमेशा एक रहेगा।'
राज्यसभा के सभापति सीपी राधाकृष्णन ने कहा, 'अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, 2024 में जम्मू-कश्मीर में हुए चुनावों में, बड़ी संख्या में मतदाताओं ने मतदान किया, जिससे दुनिया को लोकतंत्र में हमारी आस्था का एहसास हुआ। हाल ही में हुए बिहार चुनावों में, विशेष रूप से महिलाओं की बड़ी संख्या में भागीदारी ने, हमारी मां भारती के लोकतंत्र के मुकुट में एक और अनमोल हीरा जड़ दिया है। संविधान सभा की महिला सदस्यों की ओर से दिया गया योगदान अतुलनीय था।'
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि अगर संविधान का अक्षरशः पालन किया जाए तो भारत 2047 तक एक विकसित देश बन जाएगा। बिरला ने कहा कि 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाना हमारा सामूहिक लक्ष्य है और यह लक्ष्य तभी प्राप्त होगा जब हम संविधान के मूल्यों और आदर्शों को आत्मसात करेंगे।
बिरला ने कहा कि अगर हम संविधान का अक्षरशः पालन करेंगे तो हम भावी पीढ़ियों के लिए एक ऐसे भारत का निर्माण करेंगे जो विकास, न्याय, एकता, मैत्री और मानवता का उदाहरण होगा। उन्होंने कहा कि संविधान एक जीवंत दस्तावेज है, जो प्रत्येक नागरिक की आवश्यकताओं का ध्यान रखता है और इसमें निहित सिद्धांतों का पालन करना हमारा कर्तव्य है।
इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन, पीएम नरेंद्र मोदी, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन हरिवंश, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू, राज्यसभा में सदन के नेता जेपी नड्डा, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और दूसरे सांसदों ने संविधान दिवस पर प्रस्तावना को जोर से पढ़ा।
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