कोरोना वैक्सीन : तीसरे चरण में चीन की चार वैक्सीन, जानें और किन देशों में क्या है स्थिति?
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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ, हर्षवर्धन ने हाल में कहा था कि वो 2021 में जुलाई तक 25 करोड़ लोगों को वैक्सीन उपलब्ध करा देंगे। देश और दुनिया में कोरोना वैक्सीन को लेकर बहुत तेजी से काम चल रहा है लेकिन फिर भी कई देश चीन में विकसित हो रही कोरोना वैक्सीन से पीछे हैं।
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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ, हर्षवर्धन ने हाल में कहा था कि वो 2021 में जुलाई तक 25 करोड़ लोगों को वैक्सीन उपलब्ध करा देंगे। देश और दुनिया में कोरोना वैक्सीन को लेकर बहुत तेजी से काम चल रहा है लेकिन फिर भी कई देश चीन में विकसित हो रही कोरोना वैक्सीन से पीछे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सितंबर की अपनी रिपोर्ट में बताया था कि दुनिया में कुल 176 देशों में कोरोना वैक्सीन को बनाने की कवायद चल रही है। मौजूदा समय में मात्र 11 वैक्सीन ऐसी हैं, जो परीक्षण के तीसरे चरण में पहुंच चुकी हैं। इस चरण में सबसे ज्यादा वक्त लगता है क्योंकि हजारों की संख्या में मरीजों पर वैक्सीन का परीक्षण किया जाता है।
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वहीं बिना तीसरे चरण के ट्रायल के अपनी वैक्सीन को कारगार बताने वाले रूस की वैक्सीन को मेडिकल जर्नल द लैंसेट ने काफी हद तक असरदार बताया है। लैंसेट की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक स्पुतनिक वी के परीक्षण में हिस्सा लेने वाले सभी मरीजों में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हुई हैं और किसी में कोई साइट इफेक्ट भी देखने को नहीं मिला है। आइए जानते हैं कि इस समय वो 11 वैक्सीन कौन-सी हैं जो तीसरे चरण में हैं...
किस देश की कितनी वैक्सीन तीसरे चरण में पहुंचीं?
साइनोफार्मा, इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजी के साथ मिलकर वैक्सीन बना रही है। चीनी सेना ने इसे सीमित उपयोग के लिए मंजूरी दे दी है। इसके अलावा चीनी कंपनी सिनोवैक बायोटेक एक दूसरी वैक्सीन तैयार कर रही है, इसकी तीसरे चरण का परीक्षण शुरू हो चुका है और इमरजेंसी अप्रूवल मिल चुका है।
वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स, साइनोफार्मा के साथ मिलकर वैक्सीन बना रहा है। यूएई ने इस इमरजेंसी अप्रूवल दे दिया है। वहीं चीन की चौथी वैक्सीन पर बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट काम कर रहा है। इस वैक्सीन को भी इमरजेंसी अप्रूवल मिल चुका है।
अमेरिका की तीन वैक्सीन, परीक्षण के तीसरे चरण में
अमेरिका में मॉडर्ना सहित तीन टीके ट्रायल के तीसरे चरण में पहुंच चुके हैं। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की सहायता से मॉडर्ना वैक्सीन विकसित की जा रही है। इसके अलावा अमेरिकी शहर मैरीलैंड स्थित नोवावैक्स कंपनी भी नोवावैक्स नाम से वैक्सीन बना रही है।
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वहीं अमेरिका की तीसरी वैक्सीन भी तीसरे चरण में है। इन दोनों कंपनियों के अलावा अमेरिका की जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी भी वैक्सीन बना रही है, हालांकि कंपनी ने अपनी वैक्सीन विकसित करने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है।
जर्मनी की एक वैक्सीन तीसरे चरण में पहुंची
जर्मन कंपनी बायोएनटेक, बायोएनटेक नाम से वैक्सीन बना रही है। इस वैक्सीन को न्यूयॉर्क की कंपनी फाइजर और चीनी दवा निर्माता कंपनी फोसुन फार्मा एक साथ मिलकर बना रहे हैं।
रूस की स्पुतनिक वी तीसरे चरण में
रूस के गामेलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट की ओर से इस वैक्सीन को तैयार किया जा रहा है। हालांकि बिना तीसरे चरण के परीक्षण के इस वैक्सीन को इस्तेमाल करना शुरू कर दिया गया है। अब इस वैक्सीन का तीसरे चरण का परीक्षण किया जा रहा है।
ब्रिटेन की एस्ट्राजेनेका वैक्सीन भी रेस में शामिल
ब्रिटिश-स्वीडिश कंपनी एस्ट्राजेनेका इस वैक्सीन को विकसित कर रही है। एस्ट्राजेनेका कंपनी के साथ ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी भी मिलकर काम कर रही है।
ऑस्ट्रेलिया की बार्क भी तीसरे चरण में पहुंची
मुर्धोच चिल्ड्रेन रिसर्च इंस्टीट्यूट बार्क के नाम से एक कोरोना वैक्सीन तैयार कर रही है, जो मौजूदा समय में तीसरे चरण के परीक्षण में पहुंच चुकी है।
दुनियाभर में वैक्सीन को लेकर क्या स्थिति है?
चीन की वैक्सीन बाकी देशों से आगे कैसे?
चीन की चार कंपनियों की वैक्सीन तीसरे चरण के परीक्षण में हैं। इसमें सबसे खास बात यह है कि चारों वैक्सीन को इमरजेंसी में इस्तेमाल करने के लिए मंजूरी मिल गई है। हाल ही में चीन ने कोविड-19 वैक्सीन एलायंस को-वैक्स को ज्वाइन किया है। इसका मुख्य उद्देश्य 2021 के अंत तक 200 करोड़ वैक्सीन उपलब्ध कराना है और 12 गरीब और कमजोर देशों को देना है।
चीन ने दावा किया है कि वह नवंबर 2020 के अंत तक एक सुरक्षित वैक्सीन तैयार कर लेगा। इसके अलावा को-वैक्स एलायंस के तहत जिन नौ कोरोना वैक्सीन को कोविड-19 के इलाज के लिए चुना गया है, उनमें से दो चीन की हैं।
वैक्सीन बनाने की स्थिति में कहां खड़ा है भारत?
भारतीय कंपनियों ने ब्रिटेन की एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड और रूस की गामेलेया इंस्टीट्यूट के साथ समझौता किया है। भारत में एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का उत्पादन पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया करेगा।
वैक्सीन को जल्द बनाने की होड़ क्यों?
दुनिया में कई सरकारों और दवा निर्माता कंपनियों को वैक्सीन बनाने की जल्दी इसलिए है क्योंकि अब देश में 24 घंटे में संक्रमण के मामलों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हो रही है। नौ अक्तूबर को पूरी दुनिया में एक दिन में 3,38,779 मामले सामने आए। इनमें अकेले 96,996 मामले यूरोप से हैं।
इसके अलावा दो अक्तूबर को एक दिन में सर्वाधिक मामले देखने को मिले थे। इस समय में भारत, ब्राजील और अमेरिका से भी ज्यादा मामले दर्ज किए जा रहे हैं। दुनिया में अब तक 3.70 करोड़ से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं और साढ़े दस लाख से ज्यादा मरीजों की मौत हो चुकी है।
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