देश का तापमान 21वीं सदी के अंत तक 4.4 डिग्री तक बढ़ जाएगा, आज जारी हो सकती है रिपोर्ट
21वीं सदी के अंत तक देश का तापमान औसतन 4.4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा। साथ ही गर्म हवा के थपेड़े (लू) भी तीन से चार गुना तक बढ़ जाएंगे। यह झुलसाने वाली तस्वीर सरकार की एक रिपोर्ट से सामने आई है। सरकार ने पर्यावरण में हो रहे बदलाव और देश में इसके असर पर यह रिपोर्ट तैयार की है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन मंगलवार को यह रिपोर्ट जारी कर सकते हैं।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, 1901 से 2018 के दौरान ग्रीन हाउस गैसों के चलते देश के औसत तापमान में 0.7 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हुई। इस रिपोर्ट को मंत्रालय के अधीन पुणे स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटेरोलॉजी, सेंटर फॉर क्लाइमेट चेंज रिसर्च द्वारा तैयार किया गया है।
इसके मुताबिक, पिछले तीस सालों यानी 1986 से 2015 के दौरान सबसे गर्म दिन और सबसे ठंडी रात के तापमान में क्रमश: 0.63 डिग्री सेल्सियस और 0.40 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हुई। अगर दिन और रात का तापमान ऐसे ही बढ़ता रहा तो सदी के अंत तक सबसे गर्म दिन और सबसे ठंडी रात का तापमान 4.7 डिग्री सेल्सियस और 5.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार गर्म दिन और गर्म रातों की घटना की आवृत्ति 55 प्रतिशत और 70 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। पर्यावरण में बदलाव का असर पूरे भारत खास तौर से गंगा व सिंधु नदी के मैदानी इलाकों में देखने को मिलेगा। अप्रैल-जून के दौरान गर्म हवा के थपेड़े तीन से चार गुना अधिक होंगे
देश में अप्रैल-जून के दौरान गर्म हवा के थपेड़ों या लू में 21वीं सदी के अंत तक तीन से चार गुना अधिक होने का अनुमान है। लू की औसत अवधि भी लगभग दोगुनी होने का अनुमान है।
- मानसून में आई 6 प्रतिशत की गिरावट
देश में मानसून की वर्षा (जून से सितंबर) में 1951 से 2015 तक लगभग 6 प्रतिशत की गिरावट आई है। भारत-गंगा के मैदानों और पश्चिमी घाटों पर उल्लेखनीय कमी आई है।
- हिंद महासागर के एसएसटी में औसतन एक डिग्री की बढ़ोतरी
रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंद महासागर के समुद्री सतह तापमान (एसएसटी) में 1951 से 2015 के दौरान औसतन एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है, जोकि वैश्विक औसत एसएसटी वार्मिंग से 0.7 डिग्री सेल्सियस अधिक है। समुद्री सतह के तापमान का हिंद महासागर पर प्रभाव पड़ता है।
उत्तर हिंद महासागर में समुद्र स्तर 1874-2004 के दौरान प्रति वर्ष 1.06-1.75 मिलीमीटर की दर से बढ़ गया है और पिछले ढाई दशकों (1993-2017) में 3.3 मिलीमीटर प्रति वर्ष तक बढ़ गया है, जो वैश्विक माध्य समुद्र तल वृद्धि की वर्तमान दर के बराबर है। रिपोर्ट के मुताबिक, 21वीं सदी के अंत में एनआईओ में समुद्र का स्तर 1986-2005 के औसत के लगभग 300 मिलीमीटर तक बढ़ सकता है।