CWC: कांग्रेस कार्यसमिति के केंद्र में रहे गांधी-नेहरू-पटेल, खरगे ने खोला 'नेहरू-पटेल' की गहरी दोस्ती का राज
कांग्रेस आलाकमान ने मंगलवार को कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए रणनीति पर मंथन किया। इस दौरान जिला इकाइयों को अधिक अधिकार देने सहित संगठनात्मक सुधारों पर भी जोर दिया गया।

विस्तार
गुजरात के अहमदाबाद में हो रही कांग्रेस पार्टी कार्यसमिति 'सीडब्लूसी' की बैठक के केंद्र में 'गांधी-नेहरू-पटेल' रहे। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने खुद नेहरू और पटेल की अटूट दोस्ती के बारे में बताया। उन्होंने पटेल और आरएसएस की विचारधारा पर भी अहम बात कही। खरगे ने कहा, पटेल साहब के प्रति नेहरूजी के मन में अपार आदर था। उनको कुछ सलाह लेनी होती तो वे खुद पटेल जी के घर जाते थे। पटेल जी की सुविधा के लिए सीडब्लूसी की बैठकें उनके निवास पर रखी जाती थीं। सरदार पटेल की विचारधारा, आरएसएस के विचारों के विपरीत थी। उन्होने तो आरएसएस पर बैन लगा दिया था। बतौर खरगे, अब हँसी आती है कि आज उस संस्था के लोग सरदार पटेल की विरासत पर दावा करते हैं।

कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक, सरदार वल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय स्मारक में हो रही है। मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, यह साल महात्मा गांधी जी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने की शताब्दी है। दिसंबर 1924 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, मेरे गृह राज्य कर्नाटक के बेलंगाव कांग्रेस अधिवेशन में अध्यक्ष बने थे। यह शताब्दी समारोह हमने 26 दिसंबर को कर्नाटक में मनाया। गुजरात की धरती पर पैदा हुई तीन महान हस्तियों ने कांग्रेस का नाम दुनिया भर में रोशन किया। दादा भाई नौरोजी, महात्मा गांधी व सरदार वल्लभभाई पटेल-ये तीनों कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रहे। गांधी जी ने हमें अन्याय के खिलाफ सत्य और अहिंसा का हथियार दिया। ये इतना मजबूत वैचारिक हथियार है कि इसके सामने कोई ताकत टिक नहीं सकती। आज सांप्रदायिक बंटवारा करके देश के बुनियादी मसलों से ध्यान भटकाया जा रहा है। दूसरी तरफ 'ओलीग्राफ्कि मोनोपली' देश के संसाधनों पर कब्जा करते हुए शासन को नियंत्रित करने की राह पर हैं। गांधी जी के नेतृत्व में जैसे चम्पारण सत्याग्रह सफल रहा था और उसने गांव-गांव में कांग्रेस की जड़ो को जमाने में मदद की वैसे ही गुजरात में सरदार पटेल के नेतृत्व में चला बारडोली सत्याग्रह और दूसरे किसान आंदोलन इतिहास में अमर हैं। इसी साल 31 अक्टूबर को सरदार पटेल जी की 150 वीं जयंती है। नेहरू जी उनको 'भारत की एकता का संस्थापक' कहते थे। उनकी 150 वीं जयंती हम लोग देश भर में पूरे उल्लास से मनाएंगे।
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उन्होंने कहा कि सरदार साहेब कांग्रेस के अध्यक्ष थे। उनके नेतृत्व में कराची कांग्रेस में मौलिक अधिकारों पर जो प्रस्ताव पारित हुए थे, वह भारतीय संविधान की आत्मा है। सरदार पटेल संविधान सभा की महत्वपूर्ण 'Advisory Committee on Fundamental Rights, Minorities and Tribal and excluded areas' के अध्यक्ष थे। खरगे ने कहा, पिछले कई सालों से कई राष्ट्रीय नायकों को लेकर एक सोचा समझा षड्यंत्र चलाया जा रहा है। 140 सालों से देश में सेवा और संघर्ष के गौरवशाली इतिहास वाली कांग्रेस पार्टी के खिलाफ वातावरण बनाया जा रहा है। ये काम वे लोग कर रहे है जिनके पास अपनी उपलब्धियां दिखाने को कुछ भी नहीं है। आजादी को लड़ाई में अपना योगदान बताने को कुछ भी नहीं है।
खरगे ने आगे कहा, 'वे सरदार पटेल और पंडित नेहरू के संबंधों को ऐसा दिखाने का षडयंत्र करते हैं जैसे दोनों नायक एक दूसरे के खिलाफ थे। जबकि सच्चाई ये है कि वो एक सिक्के के दो पहलू थे। तमाम घटनाएं और दस्तावेज इनके मधुर संबंधों की गवाह हैं। मैं 1937 में गुजरात विद्यापीठ में सरदार पटेल के एकभाषण का ख़ास जिक्र करना चाहूंगा। उस दौरान नेहरू जी कांग्रेस के अध्यक्ष थे और गुजरात के नौजवान चाहते थे कि प्रांतीय चुनाव में प्रचार के लिए नेहरू जी को बुलाया जाए।'
उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने 7 मार्च 1937 को कहा कि 'जिस दिन गुजरात इस चुनाव आंदोलन में विजयी बन कर कांग्रेस के प्रति अपनी वफादारी साबित कर देगा उस दिन हम कांग्रेस अध्यक्ष नेहरू जी का फूलों से स्वागत करेंगे और ह्रदय बिछा कर उनकी आगवानी करेंगे'। नेहरू से सरदार कितना स्नेह करते थे आप इससे समझ सकते हैं। 14 अक्तूबर 1949 को सरदार पटेल ने नेहरू के अभिनंदन ग्रंथ में कहा था कि 'पिछले दो कठिन सालों में नेहरू जी ने देश के लिए जो अथक परिश्रम किया है, वो मुझसे अधिक अच्छी तरह कोई नहीं जानता है। मैंने इस दौरान उनको भारी भरकम उत्तरदायित्व के भार के कारण बड़ी तेजी के साथ बूढे होते देखा है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा कि ये बातें पब्लिक रिकॉर्ड में दर्ज हैं। दोनों के बीच लगभग रोज पत्र-व्यवहार होता था। नेहरू जी तमाम विषयों में उनकी सलाह लेते थे। पटेल साहब के प्रति नेहरूजी के मन में अपार आदर था। उनको कुछ सलाह लेनी होती तो वे खुद पटेल जी के घर जाते थे। पटेल जी की सुविधा के लिए सीडब्लूसी की बैठकें उनके निवास पर रखी जाती थीं। बाबासाहेब डॉ० अम्बेडकर को संविधान सभा का सदस्य बनाने में गाँधी जी और सरदार पटेल की अहम भूमिका थी। डाॅ. अम्बेडकर ने खुद 25 नवंबर 1949 को संविधान सभा के अपने अंतिम भाषण में कहा था कि 'कांग्रेस पार्टी के सहयोग के बिना संविधान नहीं बन सकता था।' जब संविधान बना तो आरएसएस ने गांधी जी, पंडित नेहरु, डॉ० अम्बेडकर और कांग्रेस की बहुत आलोचना की। रामलीला मैदान पर संविधान और इन नेताओं के पुतले जलाए। ये भी कहा कि संविधान में मनुवादी आदर्शों से प्रेरणा नहीं ली गई।
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उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने संसद परिसर में गांधी जी और बाबासाहेब की भव्य मूर्ति को उठा कर एक कोने में डाल कर उनका अपमान किया। गृहमंत्री ने राज्य सभा में ये कह कर बाबासाहेब का मजाक उड़ाया कि आप लोग अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर कहते हैं, अगर इतना नाम भगवान का लेते तो 7 जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता। कांग्रेस पार्टी संविधान और संविधान निर्माताओं दोनों का सम्मान करती है और उसकी रक्षा करना जानती है। सरदार पटेल साहेब हमारे दिलों में बसे हैं, विचारों में बसे हैं। हम उनकी विरासत को आगे बढा रहे हैं। यह बैठक हमने अहमदाबाद में सरदार पटेल म्यूजियम में इसी सोच से रखी है। हम उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
खरगे ने कहा कि आज बीजेपी और संघ परिवार के लोग गाँधी जी से जुड़े संस्थानो पर कब्जा कर उसे उन्ही के वैचारिक विरोधियों को सौंप रहे है। वाराणसी में भी सर्व सेवा संघ पर इन्होने कब्जा कर लिया है। गुजरात विद्यापीठ में क्या हुआ आप लोग जानते ही हैं। गांधीवादी लोग और सहकारिता आंदोलन के लोग मार्जिन्लाइज किये जा रहे हैं। बतौर मल्लिकार्जुन खरगे, ऐसी सोच के लोग गाँधी जी का चश्मा और लाठी तो चुरा सकते हैं। लेकिन उनके आदर्शों पर कभी नहीं चल सकते। गांधी जी की वैचारिक विरासत ही असली पूंजी है जो सिर्फ़ कांग्रेस पार्टी के पास है। कांग्रेस को अपने 140 साल के इतिहास में जिन प्रांतों से सबसे अधिक शक्ति मिली उसमें गुजरात अव्वल है। आज हम फिर से यहां प्रेरणा औऱ शक्ति लेने आए हैं। हमारी असली शक्ति हमारी देश की एकता और अखंडता और सामाजिक न्याय की विचारधारा है।
उन्होंने कहा कि आज उस विचारधारा को आगे बढाने के लिए जरूरी है कि हम सबसे पहले खुद को मज़बूत करें। अपने संगठन को मज़बूत करें। आखिर में मै अपनी बात सरदार पटेल जी के एक कोटेशन से ही समाप्त करूंगा। उन्होंने कहा था कि - 'संगठन के बिना संख्या बल बेकार है। बिना संगठन के संख्या बल असली बल नही है। सूत के धागे अलग-अलग रहते हैं तो अलग बात होती है। पर जब वे बडी संख्या में एकत्र होते हैं तो कपड़े का स्वरूप धारण कर लेते हैं। तब उनकी मजबूती, सुंदरता और उपयोगिता अद्भुत हो जाती है।'
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