{"_id":"68f8350d76758feae10ca538","slug":"decreasing-oxygen-in-oceans-and-rising-temperatures-are-rapidly-increasing-mercury-poisoning-scientists-warn-2025-10-22","type":"story","status":"publish","title_hn":"Mercury: समुद्रों में घटती ऑक्सीजन और तापमान वृद्धि से तेजी से बढ़ रहा मर्करी का जहर, वैज्ञानिकों ने चेताया","category":{"title":"India News","title_hn":"देश","slug":"india-news"}}
Mercury: समुद्रों में घटती ऑक्सीजन और तापमान वृद्धि से तेजी से बढ़ रहा मर्करी का जहर, वैज्ञानिकों ने चेताया
अमर उजाला नेटवर्क
Published by: लव गौर
Updated Wed, 22 Oct 2025 07:06 AM IST
सार
जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्रों में घटती ऑक्सीजन और बढ़ता तापमान ऐसी परिस्थितियां बना रहे हैं, जिनमें मर्करी (पारा) का रूपांतरण घातक मिथाइलमर्करी में तेजी से हो रहा है। यह जहरीला न्यूरोटॉक्सिन समुद्री खाद्य शृंखला के जरिए अंततः मनुष्य तक पहुंच सकता है।
विज्ञापन
वैज्ञानिकों ने चेताया...जहरीली हो रही समुद्री खाद्य शृंखला
- फोटो : अमर उजाला प्रिंट
विज्ञापन
विस्तार
जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्रों में घटती ऑक्सीजन और बढ़ता तापमान ऐसी परिस्थितियां बना रहे हैं, जिनमें मर्करी (पारा) का रूपांतरण घातक मिथाइलमर्करी में तेजी से हो रहा है। यह जहरीला न्यूरोटॉक्सिन समुद्री खाद्य शृंखला के जरिए अंततः मनुष्य तक पहुंच सकता है।
जर्नल नेचर वाटर में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार समुद्रों में ऑक्सीजन की कमी से मर्करी का मिथाइलमर्करी में रूपांतरण तेज हो सकता है। यह यौगिक अत्यंत विषैला होता है और समुद्री प्लैंकटन से लेकर बड़ी मछलियों तक, हर स्तर पर जैव संचय (बायोएकम्युमुलेशन) के जरिए इसकी सांद्रता बढ़ती जाती है। परिणामस्वरूप, यह समुद्री भोजन के माध्यम से मनुष्य तक पहुंचकर गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है।
स्वीडन की उमेआ यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने ब्लैक सी (काला सागर) की तलछट में संरक्षित 13,500 साल पुराने डीएनए का विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि 9,000 से 5,500 वर्ष पहले, जब समुद्र के पानी में ऑक्सीजन का स्तर गिरा, तब कुछ विशेष सूक्ष्मजीवों ने अजैविक मर्करी को मिथाइलमर्करी में परिवर्तित करना शुरू किया।
इन सूक्ष्मजीवों में एचजीसीए नामक जीन पाए गए। यही जीन मिथाइलमर्करी बनाने की क्षमता से जुड़े हैं। उस दौर में तापमान और आर्द्रता दोनों अधिक थे, जो आज की जलवायु परिस्थितियों से काफी मिलते-जुलते हैं। ब्लैक सी का प्राचीन रिकॉर्ड स्पष्ट संकेत देता है कि जब समुद्र सांस रोकता है, तब विषैली रासायनिक प्रक्रियाएं सक्रिय हो जाती हैं। यदि आने वाले वर्षों में ऑक्सीजन-रहित क्षेत्र और फैले, तो यह प्रक्रिया और तीव्र होगी।
Trending Videos
जर्नल नेचर वाटर में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार समुद्रों में ऑक्सीजन की कमी से मर्करी का मिथाइलमर्करी में रूपांतरण तेज हो सकता है। यह यौगिक अत्यंत विषैला होता है और समुद्री प्लैंकटन से लेकर बड़ी मछलियों तक, हर स्तर पर जैव संचय (बायोएकम्युमुलेशन) के जरिए इसकी सांद्रता बढ़ती जाती है। परिणामस्वरूप, यह समुद्री भोजन के माध्यम से मनुष्य तक पहुंचकर गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है।
विज्ञापन
विज्ञापन
स्वीडन की उमेआ यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने ब्लैक सी (काला सागर) की तलछट में संरक्षित 13,500 साल पुराने डीएनए का विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि 9,000 से 5,500 वर्ष पहले, जब समुद्र के पानी में ऑक्सीजन का स्तर गिरा, तब कुछ विशेष सूक्ष्मजीवों ने अजैविक मर्करी को मिथाइलमर्करी में परिवर्तित करना शुरू किया।
इन सूक्ष्मजीवों में एचजीसीए नामक जीन पाए गए। यही जीन मिथाइलमर्करी बनाने की क्षमता से जुड़े हैं। उस दौर में तापमान और आर्द्रता दोनों अधिक थे, जो आज की जलवायु परिस्थितियों से काफी मिलते-जुलते हैं। ब्लैक सी का प्राचीन रिकॉर्ड स्पष्ट संकेत देता है कि जब समुद्र सांस रोकता है, तब विषैली रासायनिक प्रक्रियाएं सक्रिय हो जाती हैं। यदि आने वाले वर्षों में ऑक्सीजन-रहित क्षेत्र और फैले, तो यह प्रक्रिया और तीव्र होगी।