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Defence: थिएटर कमांड को लेकर आर्मी चीफ का बड़ा खुलासा, कहा- योजना 'मैच्योर' स्टेज में, तीनों चीफ में बनी सहमति
ब्यूरो, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: राहुल कुमार
Updated Wed, 23 Oct 2024 07:26 PM IST
सार
Army chief Upendra Dwivedi: जनरल द्विवेदी ने बताया कि यह योजना 'मैच्योर' स्टेज में पहुंच गई है और जल्द ही इस पर फैसला लेने के लिए इसे सरकार के सामने रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि एकीकृत थिएटर कमांड एक तय समय सीमा में आकार ले रही है।
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Gen Upendra Dwivedi, Admiral Dinesh K Tripathi and Air Marshal AP Singh
- फोटो : ANI
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विस्तार
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने तीनों सेनाओं की इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड बनाए जाने को लेकर पहला आधिकारिक अपडेट दिया है। जनरल द्विवेदी ने कहा कि यह योजना 'मैच्योर' स्टेज में पहुंच गई है और जल्द ही इस पर फैसला लेने के लिए इसे सरकार के सामने रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि एकीकृत थिएटर कमांड एक तय समय सीमा में आकार ले रही है। सैन्य सुधारों के तहत सेना के तीनों अंगों- थलसेना, वायुसेना और नौसेना को मिलाकर एकीकृत थिएटर कमांड बनाए जाने की योजना है, जिसके अगले साल जून 2025 तक पूरा किए जाने की उम्मीद है।
तीनों सेनाध्यक्षों में बनी आम सहमति
नई दिल्ली में यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूशन (यूएसआई) के एक कार्यक्रम में बोलते हुए सेना प्रमुख ने थिएटर कमांड पर बोलते हुए कहा कि देश के पहले सीडीएस जनरल रावत ने एक बेहतरीन नींव रखी और जब जनरल अनिल चौहान ने सीडीएस बने, तो उन्होंने सुनिश्चित किया कि जब सेना के तीनों प्रमुखों और सीडीएस के बीच आम सहमति बन जाएगी, तभी हम इसकी जानकारी दूसरों को देंगे। उन्होंने कहा कि इस योजना को लेकर तीनों सेनाओं के प्रमुखों और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के बीच सहमति बन गई है। और अब हम एक बड़ा स्ट्रक्चर और लगभग हर चीज की योजना बनाने में सक्षम हैं। उन्होंने आगे कहा कि मुझे लगता है कि अब यह योजना 'मैच्योर' स्टेज में है और नीति निर्माताओं के सामने पेश की जा सकती है।
सैन्य सुधारों के तहत सेना के तीनों अंगों- थलसेना, वायुसेना और नौसेना को मिलाकर एकीकृत थिएटर कमांड बनाई जानी है। ताकि तीनों सेनाएं सुरक्षा हालातों को ध्यान में रखते हुए व्यवस्थित तरीके से ऑपरेशन कर सकें। जनरल द्विवेदी ने कहा कि भारत की सुरक्षा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इसे डिजाइन किया जा रहा है और कमांड का उद्देश्य अल्पकालिक खतरों और दीर्घकालिक चुनौतियों दोनों से निपटना है। उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा खतरे की व्यापकता को देखते हुए सशस्त्र बलों के इंटीग्रेटेड रेस्पॉन्स की जरूरत है।
तीनों सेनाओं के कमांडर-इन-चीफ को दी जानकारी
सेना प्रमुख ने यह भी खुलासा किया हमने इस बारे में तीनों सेनाओं के कमांडर-इन-चीफ और देश की राष्ट्रपति को भी जानकारी दे दी गई है। उनसे हमने कई मुद्दों पर चर्चा की और उसके अनुसार तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ मिल कर संयुक्त रूप से इसमें सुधार किया। उन्होंने बताया कि जॉइंटनेस 1.0 में हमने देखा कि कैसे छोटे स्ट्रक्चर या संगठनों को एक साथ जोड़ा जा सकता है। उदाहरण के लिए, निर्देशों के पाठ्यक्रम के साथ ही हमने जॉइंट लॉजिस्टिक नोड्स भी बनाए हैं। तीनों जॉइंट लॉजिस्टिक नोड्स पूरी तरह से काम कर रहे हैं। वहीं अभी पाइपलाइन में चार और बाकी हैं। जिसमें ऑपरेशनल और एडमिनिस्ट्रेटिव कामों के लिए बेस का साझा इस्तेमाल भी शामिल है। उन्होंने बताया कि मुंबई एक ट्राई-स्टेशन के तौर पर उभर रहा है।
हेलीकॉप्टर, मिसाइलों का एक जगह रखरखाव
उन्होंने बताया कि जॉइंटनेस 2.0 में हमने काफी काम किया है। इसें डॉक्टराइन, स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर को शामिल किया गया। इसमें तीनों सेनाओं के इक्विपमेंट्स, हेलीकॉप्टर, मिसाइलों के रखरखाव के लिए जॉइंट एमआरओ (मैंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉलिंग) की भी योजना बनाई गई है। इसका नवीनतम उदाहरण अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर, एएलएच ध्रुव और एके-203 असॉल्ट राइफलें हैं।
वहीं जॉइंटनेस 3.0 को लेकर जनरल द्विवेदी ने कहा कि इसमें सेनाओं के बीच जॉइंटनेस से संबंधित लगभग 200 मुद्दों की पहचान की गई है, और उनमें से लगभग 30 फीसदी का समाधान पहले ही किया जा चुका है। वहीं, हम बाकी दूसरे मुद्दों पर काम कर रहे हैं और शुरुआत में रफ्तार धीमी थी, लेकिन अब इसमें तेजी आएगी। जनरल द्विवेदी के मुताबिक तीनों सेनाओं के बीच एक कॉमन ऑपरेशन प्लानिंग प्रोसेस पर भी काम चल रहा है, जिसमें युद्ध अभ्यास, इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी, कॉमन डिजिटल मैप्स, जिओ-रिफरेंसिंग सिस्टम और यूएवी को शामिल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इंटीग्रेटेड ऑपरेशन के लिए खुफिया जानकारियां जुटाने के संसाधनों को आसान बनाया जा रहा है।
जयपुर और लखनऊ से रखी जाएगी पाकिस्तान पर चीन पर नजर
सैन्य सूत्रों ने बताया कि सरकार को इस साल के अंत तक जॉइंट ट्रेनिंग, एडमिनिस्ट्रेशन और लॉजिस्टिक्स को जोड़ने की प्रक्रिया पूरी कर देगी। हालांकि थिएटराइजेशन की प्रक्रिया को अंतिम रूप देने में थोड़ा वक्त लग जाएगा। वहीं सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान पर नजर रखने के लिए जयपुर में पश्चिमी थिएटर कमांड का मुख्यालय बनाया जा सकता है, जहां सेना की दक्षिण पश्चिमी कमान स्थित है। जबकि लखनऊ में उत्तरी थिएटर कमांड बनाई जा सकती है, जो चीन से लगी सीमाओं पर नजर रखेगी। वहीं समुद्री खतरों से निपटने के लिए मैरीटाइम थिएटर कमांड का बेस कोयंबटूर में बनाए जाने की संभावना है, साथ ही इसमें भारतीय वायुसेना की प्रयागराज-हैडक्वॉर्टर वाली सेंट्रल कमांड और तिरुवनंतपुरम में मौजूद दक्षिणी वायु कमान शामिल होगी। सरकार की योजना गोवा के नजदीक कर्नाटक के कारवार में समुद्री थिएटर कमांड का मुख्यालय बनाने की भी है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इसमें अंतिम फैसला सरकार का होगा। सूत्रों ने बताया कि समुद्री थिएटर कमांड का नेतृत्व किसी नौसेना अधिकारी को दिया जा सकता है, जबकि अन्य दो कमांड में सेना और वायु सेना से बारी-बारी से नियुक्तियां की जाएंगी।
वाइस सीडीएस और डिप्टी सीडीएस की नियुक्ति की योजना
सूत्रों ने बताया कि सरकार इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के अलावा वाइस सीडीएस और डिप्टी सीडीएस की नियुक्ति की भी योजना बना रही है। इनमें वाइस सीडीएस जनरल या समकक्ष रैंक का अधिकारी होगा, रणनीतिक योजनाएं, क्षमता विकास और खरीद-फरोख्त से संबंधित मामलों की देखभाल करेगा। वहीं डिप्टी सीडीएस लेफ्टिनेंट जनरल या समकक्ष रैंक का अधिकारी होगा, जो ऑपरेशंस, इंटेलिजेंस और थिएटरों के बीच कॉर्डिनेशन करेगा। यह पूछने पर कि क्या सीडीएस इन दोनों को लीड करेगा? तो सूत्रों ने इससे इंकार तो नहीं किया, लेकिन यह भी कहा कि संभव है कि सरकार चीफ ऑफ द इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ की पोस्ट को बदल कर चेयरमैन चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीआईएससी) में वाइस सीडीएस की पोस्ट बना दे। वर्तमान में, जनरल अनिल चौहान दोनों पदों पर हैं।
आईएसओ एक्ट को मंजूरी
सरकारी की तरफ से जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक अगस्त, 2023 में संसद द्वारा आईएसओ एक्ट पारित करने के बाद उसे 15 अगस्त, 2023 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी। सरकार ने गैजेट नोटिफिकेशन जारी करके आईएसओ एक्ट को 10 मई, 2024 से प्रभावी बना दिया है। आईएसओ एक्ट कमांडर-इन-चीफ और ऑफिसर-इन-कमांड को उनकी सर्विस से छेड़छाड़ किए बिना अनुशासन और प्रशासन की प्रभावी देखभाल के लिए अधीन सेवारत सेवा कर्मियों पर नियंत्रण रखने का अधिकार देता है। साथ ही, आईएसओ एक्ट ऑर्म्ड फोर्सेज के प्रमुखों को सशक्त बनाएगा, जिससे मामलों का शीघ्रता से निपटारा होगा। वहीं सशस्त्र बल कर्मियों के बीच सामंजस्य और एकजुटता बढ़ेगी।
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तीनों सेनाध्यक्षों में बनी आम सहमति
नई दिल्ली में यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूशन (यूएसआई) के एक कार्यक्रम में बोलते हुए सेना प्रमुख ने थिएटर कमांड पर बोलते हुए कहा कि देश के पहले सीडीएस जनरल रावत ने एक बेहतरीन नींव रखी और जब जनरल अनिल चौहान ने सीडीएस बने, तो उन्होंने सुनिश्चित किया कि जब सेना के तीनों प्रमुखों और सीडीएस के बीच आम सहमति बन जाएगी, तभी हम इसकी जानकारी दूसरों को देंगे। उन्होंने कहा कि इस योजना को लेकर तीनों सेनाओं के प्रमुखों और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के बीच सहमति बन गई है। और अब हम एक बड़ा स्ट्रक्चर और लगभग हर चीज की योजना बनाने में सक्षम हैं। उन्होंने आगे कहा कि मुझे लगता है कि अब यह योजना 'मैच्योर' स्टेज में है और नीति निर्माताओं के सामने पेश की जा सकती है।
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सैन्य सुधारों के तहत सेना के तीनों अंगों- थलसेना, वायुसेना और नौसेना को मिलाकर एकीकृत थिएटर कमांड बनाई जानी है। ताकि तीनों सेनाएं सुरक्षा हालातों को ध्यान में रखते हुए व्यवस्थित तरीके से ऑपरेशन कर सकें। जनरल द्विवेदी ने कहा कि भारत की सुरक्षा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इसे डिजाइन किया जा रहा है और कमांड का उद्देश्य अल्पकालिक खतरों और दीर्घकालिक चुनौतियों दोनों से निपटना है। उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा खतरे की व्यापकता को देखते हुए सशस्त्र बलों के इंटीग्रेटेड रेस्पॉन्स की जरूरत है।
तीनों सेनाओं के कमांडर-इन-चीफ को दी जानकारी
सेना प्रमुख ने यह भी खुलासा किया हमने इस बारे में तीनों सेनाओं के कमांडर-इन-चीफ और देश की राष्ट्रपति को भी जानकारी दे दी गई है। उनसे हमने कई मुद्दों पर चर्चा की और उसके अनुसार तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ मिल कर संयुक्त रूप से इसमें सुधार किया। उन्होंने बताया कि जॉइंटनेस 1.0 में हमने देखा कि कैसे छोटे स्ट्रक्चर या संगठनों को एक साथ जोड़ा जा सकता है। उदाहरण के लिए, निर्देशों के पाठ्यक्रम के साथ ही हमने जॉइंट लॉजिस्टिक नोड्स भी बनाए हैं। तीनों जॉइंट लॉजिस्टिक नोड्स पूरी तरह से काम कर रहे हैं। वहीं अभी पाइपलाइन में चार और बाकी हैं। जिसमें ऑपरेशनल और एडमिनिस्ट्रेटिव कामों के लिए बेस का साझा इस्तेमाल भी शामिल है। उन्होंने बताया कि मुंबई एक ट्राई-स्टेशन के तौर पर उभर रहा है।
हेलीकॉप्टर, मिसाइलों का एक जगह रखरखाव
उन्होंने बताया कि जॉइंटनेस 2.0 में हमने काफी काम किया है। इसें डॉक्टराइन, स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर को शामिल किया गया। इसमें तीनों सेनाओं के इक्विपमेंट्स, हेलीकॉप्टर, मिसाइलों के रखरखाव के लिए जॉइंट एमआरओ (मैंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉलिंग) की भी योजना बनाई गई है। इसका नवीनतम उदाहरण अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर, एएलएच ध्रुव और एके-203 असॉल्ट राइफलें हैं।
वहीं जॉइंटनेस 3.0 को लेकर जनरल द्विवेदी ने कहा कि इसमें सेनाओं के बीच जॉइंटनेस से संबंधित लगभग 200 मुद्दों की पहचान की गई है, और उनमें से लगभग 30 फीसदी का समाधान पहले ही किया जा चुका है। वहीं, हम बाकी दूसरे मुद्दों पर काम कर रहे हैं और शुरुआत में रफ्तार धीमी थी, लेकिन अब इसमें तेजी आएगी। जनरल द्विवेदी के मुताबिक तीनों सेनाओं के बीच एक कॉमन ऑपरेशन प्लानिंग प्रोसेस पर भी काम चल रहा है, जिसमें युद्ध अभ्यास, इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी, कॉमन डिजिटल मैप्स, जिओ-रिफरेंसिंग सिस्टम और यूएवी को शामिल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इंटीग्रेटेड ऑपरेशन के लिए खुफिया जानकारियां जुटाने के संसाधनों को आसान बनाया जा रहा है।
जयपुर और लखनऊ से रखी जाएगी पाकिस्तान पर चीन पर नजर
सैन्य सूत्रों ने बताया कि सरकार को इस साल के अंत तक जॉइंट ट्रेनिंग, एडमिनिस्ट्रेशन और लॉजिस्टिक्स को जोड़ने की प्रक्रिया पूरी कर देगी। हालांकि थिएटराइजेशन की प्रक्रिया को अंतिम रूप देने में थोड़ा वक्त लग जाएगा। वहीं सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान पर नजर रखने के लिए जयपुर में पश्चिमी थिएटर कमांड का मुख्यालय बनाया जा सकता है, जहां सेना की दक्षिण पश्चिमी कमान स्थित है। जबकि लखनऊ में उत्तरी थिएटर कमांड बनाई जा सकती है, जो चीन से लगी सीमाओं पर नजर रखेगी। वहीं समुद्री खतरों से निपटने के लिए मैरीटाइम थिएटर कमांड का बेस कोयंबटूर में बनाए जाने की संभावना है, साथ ही इसमें भारतीय वायुसेना की प्रयागराज-हैडक्वॉर्टर वाली सेंट्रल कमांड और तिरुवनंतपुरम में मौजूद दक्षिणी वायु कमान शामिल होगी। सरकार की योजना गोवा के नजदीक कर्नाटक के कारवार में समुद्री थिएटर कमांड का मुख्यालय बनाने की भी है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इसमें अंतिम फैसला सरकार का होगा। सूत्रों ने बताया कि समुद्री थिएटर कमांड का नेतृत्व किसी नौसेना अधिकारी को दिया जा सकता है, जबकि अन्य दो कमांड में सेना और वायु सेना से बारी-बारी से नियुक्तियां की जाएंगी।
वाइस सीडीएस और डिप्टी सीडीएस की नियुक्ति की योजना
सूत्रों ने बताया कि सरकार इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के अलावा वाइस सीडीएस और डिप्टी सीडीएस की नियुक्ति की भी योजना बना रही है। इनमें वाइस सीडीएस जनरल या समकक्ष रैंक का अधिकारी होगा, रणनीतिक योजनाएं, क्षमता विकास और खरीद-फरोख्त से संबंधित मामलों की देखभाल करेगा। वहीं डिप्टी सीडीएस लेफ्टिनेंट जनरल या समकक्ष रैंक का अधिकारी होगा, जो ऑपरेशंस, इंटेलिजेंस और थिएटरों के बीच कॉर्डिनेशन करेगा। यह पूछने पर कि क्या सीडीएस इन दोनों को लीड करेगा? तो सूत्रों ने इससे इंकार तो नहीं किया, लेकिन यह भी कहा कि संभव है कि सरकार चीफ ऑफ द इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ की पोस्ट को बदल कर चेयरमैन चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीआईएससी) में वाइस सीडीएस की पोस्ट बना दे। वर्तमान में, जनरल अनिल चौहान दोनों पदों पर हैं।
आईएसओ एक्ट को मंजूरी
सरकारी की तरफ से जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक अगस्त, 2023 में संसद द्वारा आईएसओ एक्ट पारित करने के बाद उसे 15 अगस्त, 2023 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी। सरकार ने गैजेट नोटिफिकेशन जारी करके आईएसओ एक्ट को 10 मई, 2024 से प्रभावी बना दिया है। आईएसओ एक्ट कमांडर-इन-चीफ और ऑफिसर-इन-कमांड को उनकी सर्विस से छेड़छाड़ किए बिना अनुशासन और प्रशासन की प्रभावी देखभाल के लिए अधीन सेवारत सेवा कर्मियों पर नियंत्रण रखने का अधिकार देता है। साथ ही, आईएसओ एक्ट ऑर्म्ड फोर्सेज के प्रमुखों को सशक्त बनाएगा, जिससे मामलों का शीघ्रता से निपटारा होगा। वहीं सशस्त्र बल कर्मियों के बीच सामंजस्य और एकजुटता बढ़ेगी।