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Rajnath Singh: गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव में पहुंचे रक्षा मंत्री, कहा- सहयोग, चर्चा व बातचीत की दिशा में अहम कदम

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पणजी Published by: ज्योति भास्कर Updated Mon, 30 Oct 2023 04:45 PM IST
सार

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने "गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव" को संबोधित किया। उन्होंने इस आयोजन को आपसी सहयोग, चर्चा और बातचीत की दिशा में एक अहम कदम करार दिया।

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Defence Minister Rajnath Singh Goa Maritime Conclave cooperation and collaboration step
गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह - फोटो : social media
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विस्तार
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गोवा दौरे पर पहुंचे। उन्होंने गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव में अपने संबोधन में कहा कि समुद्र प्राचीन काल से हमारे इतिहास को आकार दे रहा है। उन्होंने कहा कि आज भी समुद्र हमारे जीवन को प्रभावित कर रहा है और भविष्य में भी यह हमारे भाग्य को आकार देगा। रक्षा मंत्री ने कहा, "मुझे यह कहने में कोई झिझक नहीं है कि यदि हम सहयोग करते हैं तो हमारे क्षेत्र का भविष्य बहुत बड़ा है।" 
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उन्होंने कहा कि गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव हिंद महासागर क्षेत्र के निवासियों के रूप में सहयोग, चर्चा और बातचीत की दिशा में उठाया गया एक बेहद जरूरी कदम है। राजनाथ सिंह ने कहा, "हम सभी जानते हैं कि मानव और महासागरों के बीच संबंध बहुआयामी हैं। ये अक्सर दोहरी प्रकृति की विशेषता होती है। इसमें निर्भरता के साथ-साथ संरक्षण और शोषण भी शामिल होता है।
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अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानूनों का सम्मान 
रक्षा मंत्री राजनाथ के अनुसार, "महासागरों ने हमेशा मानव कल्पना को आकर्षित किया है। महासागर निर्विवाद रूप से राजसी और जबरदस्त हैं। उनका विशाल आकार चौतरफा सम्मान और प्रशंसा का कारण बनता है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानूनों का सम्मान किए जाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें अपनी सामान्य प्राथमिकताओं पर काम करना होगा और सहमत होना होगा। एक स्वतंत्र, खुली और नियमों से बंधी समुद्री व्यवस्था हम सभी के लिए प्राथमिकता है। ऐसी समुद्री व्यवस्था में "सही हो सकता है" का कोई स्थान नहीं है। 

रक्षा मंत्री ने कहा, जैसा कि 41 साल पहले संयुक्त राष्ट्र से कानून बनाया गया जिसे यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन ऑन दी लॉ एंड दी सी (यूएनसीएलओएस), 1982 कहा गया है, यह सभी देशों का आदर्श होना चाहिए। बता दें कि नेवल वॉर कॉलेज, गोवा के तत्वावधान में भारतीय नौसेना 29 से 31 अक्टूबर तक गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव-2023 का चौथा संस्करण आयोजित कर रही है।

राजनाथ सिंह ने कहा, "कैदी की दुविधा की अवधारणा, जब अंतरराष्ट्रीय संबंधों के क्षेत्र में लागू की जाती है, तो अलग-अलग हालात में स्थितियों की व्याख्या और विश्लेषण हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि देशों को रणनीतिक निर्णय लेने की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिए, जब दो या दो से अधिक देश हथियारों की होड़ में शामिल होते हैं, तो वे आपसी भय और अविश्वास से बाहर अक्सर ऐसा करते हैं। 

उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में देशों के सामने चुनौती ऐसे समाधान खोजने की है जो सहयोग को बढ़ावा दें, विश्वास बहाल करें और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में कैदी की दुविधा से जुड़े जोखिमों को कम करें। रक्षा मंत्री के अनुसार, देशों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपने बीच विश्वास बनाएं ताकि इष्टतम तरीके से काम किया जा सके। राजनाथ सिंह ने दोहराया कि देशों के बीच सहयोगात्मक बातचीत संभव है।

रक्षा मंत्री ने कहा, हम जिन खतरों का सामना कर रहे हैं वे दायरे और प्रभाव में अति-राष्ट्रीय ( supra-national) हैं। उन्हें संबोधित करने के राष्ट्रीय प्रयासों का वास्तव में सीमित प्रभाव होगा। उन्होंने क्षेत्रीय चुनौतियों के बारे में कहा, "मेरी सबसे अच्छी समझ के अनुसार, बहु-राष्ट्रीय, सहयोगात्मक शांति बहाली के माध्यम से चुनौतियों को प्रबंधित किया जा सकता है।

गौरतलब है कि भारतीय नौसेना की पहल- गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव (जीएमसी) के चौथे संस्करण में हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) के 12 देशों की नौसेनाओं के प्रमुख/समुद्री बलों के प्रमुख भाग ले रहे हैं। इनमें बांग्लादेश, कोमोरोस, इंडोनेशिया, मेडागास्कर, मलेशिया, मालदीव, मॉरीशस, म्यांमार, सेशेल्स, सिंगापुर, श्रीलंका और थाईलैंड शामिल हैं। कॉन्क्लेव के इस संस्करण का विषय है "हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा: सामान्य समुद्री प्राथमिकताओं को सहयोगात्मक शांत रूपरेखा में परिवर्तित करना।"

भारत की तरफ से दक्षिणी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर-इन-चीफ, वाइस एडमिरल एमए हम्पीहोली ने साझा भविष्य के लिए आईओआर में सभी की संयुक्त क्षमता का उपयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने इसके लिए भारतीय नौसेना की पहल में उनकी भागीदारी के लिए सभी प्रतिनिधिमंडलों को धन्यवाद दिया। उन्होंने सुरक्षित और समावेशी आईओआर के प्रति भारतीय नौसेना की निरंतर प्रतिबद्धता पर भी जोर दिया।
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