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DANICS/DASS: दिल्ली सरकार के फैसले से दो सेवाओं के बीच स्थापित संबंध टूटने का खतरा, MHA ने चेताया
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सार
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली के मुख्य सचिव से इस बाबत क्लेरिफिकेशन मांगा है। ये पद क्यों और किससे पूछकर सृजित किए गए हैं। क्या इसके लिए दिल्ली हाईकोर्ट की रिट पेटिशन, गृह मंत्रालय और डीओपीटी के निर्देशों का पालन किया गया है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय
- फोटो : ANI

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विस्तार
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) के एक फैसले से दिल्ली, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह सिविल सेवा (दानिक्स) और दिल्ली प्रशासन अधीनस्थ सेवा (डीएएसएस) के अधिकारियों के बीच स्थापित संबंध टूटने का खतरा पैदा हो गया है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, डीओपीटी और दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देशों से परे जाकर 'डीएएसएस' में सीनियर स्केल पर 217 पद सृजित कर दिए। इसके चलते केंद्रीय गृह मंत्रालय को हस्तक्षेप करना पड़ा। एक अप्रैल को केंद्रीय गृह सचिव ने दिल्ली के मुख्य सचिव के साथ बैठक की। इस मामले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट की रिट पेटिशन संख्या 11537/2018 का हवाला दिया गया। इसके बाद सात अप्रैल को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली के मुख्य सचिव को एक पत्र लिख कर याद दिलाया गया कि यह निर्णय हाईकोर्ट के निर्देशानुसार नहीं है। डीएएसएस, में जो कार्मिक पहले से ही 6600 के ग्रेड पे में हैं, उनमें से ही सीमित अफसरों को सीनियर स्केल में पदोन्नत किया जाना चाहिए।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली के मुख्य सचिव से इस बाबत क्लेरिफिकेशन मांगा है। ये पद क्यों और किससे पूछकर सृजित किए गए हैं। क्या इसके लिए दिल्ली हाईकोर्ट की रिट पेटिशन, गृह मंत्रालय और डीओपीटी के निर्देशों का पालन किया गया है। दिल्ली सरकार में 6600 ग्रेड पे वाले पद उन्हीं को दिए जाते हैं, जो पहले से ही मॉडिफाइड एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन (एमएसीपी) के तहत 6600 वाले ग्रेड पे में काम कर रहे हैं। इस संबंध में जेएस यूटी, दिल्ली के मुख्य सचिव और डीएएसएस एसोसिएशन के बीच 24 मई 2023 को बैठक हुई थी। उसमें भी यही बात कही गई थी। अब दिल्ली सरकार ने कहा है कि अब दिल्ली सरकार ने कहा है, 6600 वाला ग्रेड पे सभी को दिया जाएगा। यानी एमएसीपी और बिना एमएसीपी के तहत आने वालों को यह फायदा मिलेगा। अभी तक जो चलन रहा है, उसके मुताबिक, दानिक्स के मुकाबले डीएएसएस निचली सर्विस है। इन्हें ग्रेड पे तो मिल जाता है, लेकिन पद नहीं मिलता। अगर डीएएसएस में उक्त ग्रेड में आने के बाद किसी अधिकारी की सर्विस बचती है तो उसे पदोन्नति दी जाती है। उस अधिकारी को डीएएसएस छोड़कर दानिक्स में आना पड़ता है। अब दिल्ली सरकार ने डीएएसएस में ही 217 पद सृजित कर दिए।
इससे डीएएसएस अधिकारी, दानिक्स में भी जा सकता है और डीएएसएस में भी पदोन्नति ले सकता है। जानकारों का कहना है कि ये एक समानांतर सेवा खड़ी करने का प्रयास हो रहा है। इससे एक गलत परंपरा विकसित होगी। डीएएसएस में 217 पद किससे पूछ कर सृजित किए गए हैं। ये एमएचए के दिशा निर्देशों का उल्लंघन है। ये पद बिना अप्रूवल के पद सृजित कर दिए गए। इसके लिए बाकायदा एनओसी लेनी होती है। डीओपीटी के नियम भी नहीं माने गए। इस फैसले के बाद अब डीएएसएस के अधिकारी, सेल्स टैक्स अफसर, एसडीएम, रजिस्ट्रार, चुनाव अधिकारी और सहायक आयुक्त बन जाएंगे। ये पद दानिक्स में आते हैं।
जानकारों के मुताबिक, दिल्ली की डीएएसएस और दानिक्स सेवाओं के बीच चल रहे विवाद में अब एक नया मोड़ आ गया है। गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार को 217 डीएएसएस अधिकारियों की पदोन्नति के फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है। मंत्रालय ने इस फैसले को संवैधानिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन बताया है। मुख्य सचिव को भेजे पत्र में एमएचए ने कहा कि एसडीएम स्तर की ग्रुप ए पोस्ट को डीएएसएस कैडर में शामिल करना, वो भी डीओपीटी, व्यय विभाग और डीओएलए जैसी प्रमुख संस्थाओं से परामर्श लिए बिना ही।
इतना ही नहीं, यह फैसला राष्ट्रपति की स्वीकृति के बिना लिया गया है। इससे दोनों सेवाओं के बीच स्थापित संबंध टूटने का खतरा पैदा हो गया है। एक अहम बैठक में गृह मंत्रालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश का भी हवाला दिया था, जिसमें ऐसे पद केवल उन्हीं अधिकारियों के लिए सीमित करने को कहा गया था जो पहले से ही एमएसीपी के तहत उस वेतनमान में हैं। इसके बावजूद दिल्ली सरकार ने सभी अधिकारियों को इस लाभ का विस्तार दे दिया। दानिक्स एसोसिएशन का कहना है कि एसडीएम, सेल्स टैक्स अधिकारी, रजिस्ट्रार और असिस्टेंट कमिश्नर जैसे पदों को डीएएसएस में शामिल करने का मतलब एक समानांतर सेवा बनाने का प्रयास है। इससे न केवल आईएएस–दानिक्स–डीएएसएस की स्थापित संरचना को नुकसान पहुंचेगा, बल्कि प्रशासनिक अनुशासन और संघीय व्यवस्था को भी चोट पहुंचेगी।
दानिक्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, यह पहली बार है जब भारत में एक अधीनस्थ सेवा में ग्रुप ए स्तर के पद बनाए गए हैं, वो भी बिना डीओपीटी के दिशानिर्देशों का पालन किए। गृह मंत्रालय ने चेताया है कि इस प्रकार के निर्णय, अन्य केंद्र शासित प्रदेशों में भी समान मांगों को जन्म दे सकते हैं, जिससे पूरे कैडर प्रबंधन ढांचे में असंतुलन पैदा होगा। दूसरी तरफ डीएएसएस वाले चाहते हैं कि उन्हें दानिक्स से अलग कर दिया जाए। उन्हें दानिक्स में शामिल न कर डीएएसएस की पोस्ट को सीनियर स्केल में एड कर दें। अनेक डीएएसएस अधिकारी, कैडर डी लिंक करना चाहते हैं।
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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली के मुख्य सचिव से इस बाबत क्लेरिफिकेशन मांगा है। ये पद क्यों और किससे पूछकर सृजित किए गए हैं। क्या इसके लिए दिल्ली हाईकोर्ट की रिट पेटिशन, गृह मंत्रालय और डीओपीटी के निर्देशों का पालन किया गया है। दिल्ली सरकार में 6600 ग्रेड पे वाले पद उन्हीं को दिए जाते हैं, जो पहले से ही मॉडिफाइड एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन (एमएसीपी) के तहत 6600 वाले ग्रेड पे में काम कर रहे हैं। इस संबंध में जेएस यूटी, दिल्ली के मुख्य सचिव और डीएएसएस एसोसिएशन के बीच 24 मई 2023 को बैठक हुई थी। उसमें भी यही बात कही गई थी। अब दिल्ली सरकार ने कहा है कि अब दिल्ली सरकार ने कहा है, 6600 वाला ग्रेड पे सभी को दिया जाएगा। यानी एमएसीपी और बिना एमएसीपी के तहत आने वालों को यह फायदा मिलेगा। अभी तक जो चलन रहा है, उसके मुताबिक, दानिक्स के मुकाबले डीएएसएस निचली सर्विस है। इन्हें ग्रेड पे तो मिल जाता है, लेकिन पद नहीं मिलता। अगर डीएएसएस में उक्त ग्रेड में आने के बाद किसी अधिकारी की सर्विस बचती है तो उसे पदोन्नति दी जाती है। उस अधिकारी को डीएएसएस छोड़कर दानिक्स में आना पड़ता है। अब दिल्ली सरकार ने डीएएसएस में ही 217 पद सृजित कर दिए।
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इससे डीएएसएस अधिकारी, दानिक्स में भी जा सकता है और डीएएसएस में भी पदोन्नति ले सकता है। जानकारों का कहना है कि ये एक समानांतर सेवा खड़ी करने का प्रयास हो रहा है। इससे एक गलत परंपरा विकसित होगी। डीएएसएस में 217 पद किससे पूछ कर सृजित किए गए हैं। ये एमएचए के दिशा निर्देशों का उल्लंघन है। ये पद बिना अप्रूवल के पद सृजित कर दिए गए। इसके लिए बाकायदा एनओसी लेनी होती है। डीओपीटी के नियम भी नहीं माने गए। इस फैसले के बाद अब डीएएसएस के अधिकारी, सेल्स टैक्स अफसर, एसडीएम, रजिस्ट्रार, चुनाव अधिकारी और सहायक आयुक्त बन जाएंगे। ये पद दानिक्स में आते हैं।
जानकारों के मुताबिक, दिल्ली की डीएएसएस और दानिक्स सेवाओं के बीच चल रहे विवाद में अब एक नया मोड़ आ गया है। गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार को 217 डीएएसएस अधिकारियों की पदोन्नति के फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है। मंत्रालय ने इस फैसले को संवैधानिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन बताया है। मुख्य सचिव को भेजे पत्र में एमएचए ने कहा कि एसडीएम स्तर की ग्रुप ए पोस्ट को डीएएसएस कैडर में शामिल करना, वो भी डीओपीटी, व्यय विभाग और डीओएलए जैसी प्रमुख संस्थाओं से परामर्श लिए बिना ही।
इतना ही नहीं, यह फैसला राष्ट्रपति की स्वीकृति के बिना लिया गया है। इससे दोनों सेवाओं के बीच स्थापित संबंध टूटने का खतरा पैदा हो गया है। एक अहम बैठक में गृह मंत्रालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश का भी हवाला दिया था, जिसमें ऐसे पद केवल उन्हीं अधिकारियों के लिए सीमित करने को कहा गया था जो पहले से ही एमएसीपी के तहत उस वेतनमान में हैं। इसके बावजूद दिल्ली सरकार ने सभी अधिकारियों को इस लाभ का विस्तार दे दिया। दानिक्स एसोसिएशन का कहना है कि एसडीएम, सेल्स टैक्स अधिकारी, रजिस्ट्रार और असिस्टेंट कमिश्नर जैसे पदों को डीएएसएस में शामिल करने का मतलब एक समानांतर सेवा बनाने का प्रयास है। इससे न केवल आईएएस–दानिक्स–डीएएसएस की स्थापित संरचना को नुकसान पहुंचेगा, बल्कि प्रशासनिक अनुशासन और संघीय व्यवस्था को भी चोट पहुंचेगी।
दानिक्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, यह पहली बार है जब भारत में एक अधीनस्थ सेवा में ग्रुप ए स्तर के पद बनाए गए हैं, वो भी बिना डीओपीटी के दिशानिर्देशों का पालन किए। गृह मंत्रालय ने चेताया है कि इस प्रकार के निर्णय, अन्य केंद्र शासित प्रदेशों में भी समान मांगों को जन्म दे सकते हैं, जिससे पूरे कैडर प्रबंधन ढांचे में असंतुलन पैदा होगा। दूसरी तरफ डीएएसएस वाले चाहते हैं कि उन्हें दानिक्स से अलग कर दिया जाए। उन्हें दानिक्स में शामिल न कर डीएएसएस की पोस्ट को सीनियर स्केल में एड कर दें। अनेक डीएएसएस अधिकारी, कैडर डी लिंक करना चाहते हैं।