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India China: भारत-चीन के बीच कूटनीतिक वार्ता, विदेश मंत्रालय ने कहा- देशों के संबंध मजबूत करने पर हुई चर्चा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: बशु जैन
Updated Thu, 05 Dec 2024 08:53 PM IST
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सार
भारत और चीन के संबंध 2020 के जून में गलवान घाटी में हुई घातक झड़प के बाद काफी बिगड़ गए थे। यह झड़प दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष थी। 21 अक्तूबर को भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गश्त और सैनिकों को अलग करने के लिए एक समझौता किया। इससे चार साल से चले आ रहे गतिरोध को समाप्त करने में सफलता मिली।

भारत चीन
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
सीमा पर विवाद और सैन्य झड़पों को रोकने के लिए गुरुवार को भारत और चीन ने कूटनीतिक वार्ता की। इसमें पूर्वी लद्दाख में एलएसी से दोनों देशों की सेनाओं के पीछे हटने के बाद संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की गई। इसके साथ ही दोनों पक्षों ने सीमा प्रश्न को लेकर अगली विशेष प्रतिनिधियों (एसआर) की बैठक की तैयारी की। यह वार्ता भारत-चीन सीमा विवाद दूर करने के लिए परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) के तहत हुई थी।
पूर्वी लद्दाख में एलएसी से दोनों सेनाओं के पीछे हटने के बाद यह परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की पहली बैठक थी। विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों पक्षों ने हाल ही में हुए समझौते पर हो रही कार्रवाई की पुष्टि की। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने सीमा क्षेत्रों की स्थिति की समीक्षा की। साथ ही 2020 जैसी घटनाएं दोबारा न हो, इस पर जोर दिया। मंत्रालय ने कहा कि वार्ता में राजनयिक और सैन्य स्तर पर नियमित आदान-प्रदान और संपर्क के महत्व पर प्रकाश डाला गया। साथ ही दोनों सरकारों के बीच द्विपक्षीय समझौतों, प्रोटोकॉल, सहमति के मुताबिक सीमा प्रबंधन और शांति बनाए रखने पर सहमति जताई। चीनी प्रतिनिधिमंडल ने विदेश सचिव विक्रम मिस्री से मुलाकात की।
गलवान घाटी में झड़प के बाद से बिगड़े थे हालात
भारत और चीन के संबंध 2020 के जून में गलवान घाटी में हुई घातक झड़प के बाद काफी बिगड़ गए थे। यह झड़प दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष थी। 21 अक्तूबर को भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गश्त और सैनिकों को अलग करने के लिए एक समझौता किया। इससे चार साल से चले आ रहे गतिरोध को समाप्त करने में सफलता मिली।
दोनों देश कर चुके 20 दौर की वार्ता
जी-20 में भारत-चीन सीमा प्रश्न पर विशेष प्रतिनिधियों को जल्द मिलने और एलएसी से जुड़े मुद्दों को हल करने के प्रयास जारी रखने पर पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग से बात की थी। भारत की ओर से इस संवाद के विशेष प्रतिनिधि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल हैं, जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व विदेश मंत्री वांग यी करते हैं। यह विशेष प्रतिनिधि तंत्र 2003 में बनाया गया था, और तब से अब तक 20 दौर की वार्ता हो चुकी है। अंतिम बैठक 2019 में हुई थी।

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पूर्वी लद्दाख में एलएसी से दोनों सेनाओं के पीछे हटने के बाद यह परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की पहली बैठक थी। विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों पक्षों ने हाल ही में हुए समझौते पर हो रही कार्रवाई की पुष्टि की। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने सीमा क्षेत्रों की स्थिति की समीक्षा की। साथ ही 2020 जैसी घटनाएं दोबारा न हो, इस पर जोर दिया। मंत्रालय ने कहा कि वार्ता में राजनयिक और सैन्य स्तर पर नियमित आदान-प्रदान और संपर्क के महत्व पर प्रकाश डाला गया। साथ ही दोनों सरकारों के बीच द्विपक्षीय समझौतों, प्रोटोकॉल, सहमति के मुताबिक सीमा प्रबंधन और शांति बनाए रखने पर सहमति जताई। चीनी प्रतिनिधिमंडल ने विदेश सचिव विक्रम मिस्री से मुलाकात की।
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गलवान घाटी में झड़प के बाद से बिगड़े थे हालात
भारत और चीन के संबंध 2020 के जून में गलवान घाटी में हुई घातक झड़प के बाद काफी बिगड़ गए थे। यह झड़प दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष थी। 21 अक्तूबर को भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गश्त और सैनिकों को अलग करने के लिए एक समझौता किया। इससे चार साल से चले आ रहे गतिरोध को समाप्त करने में सफलता मिली।
दोनों देश कर चुके 20 दौर की वार्ता
जी-20 में भारत-चीन सीमा प्रश्न पर विशेष प्रतिनिधियों को जल्द मिलने और एलएसी से जुड़े मुद्दों को हल करने के प्रयास जारी रखने पर पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग से बात की थी। भारत की ओर से इस संवाद के विशेष प्रतिनिधि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल हैं, जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व विदेश मंत्री वांग यी करते हैं। यह विशेष प्रतिनिधि तंत्र 2003 में बनाया गया था, और तब से अब तक 20 दौर की वार्ता हो चुकी है। अंतिम बैठक 2019 में हुई थी।