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Jaishankar: 'हमारी कोशिश दोस्ती बढ़ाने और समस्याओं को कम करने की है', विदेश मंत्री जयशंकर का बयान
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: नितिन गौतम
Updated Sat, 18 Jan 2025 03:07 PM IST
सार
विदेश मंत्री ने कहा कि मुश्किल परिस्थितियों में भी अपने विकास की रफ्तार को बनाए रखना भारत के लिए बड़ी चुनौती है। इसके लिए आंतरिक विकास के साथ ही आधुनिकीकरण करने और बाहरी जोखिम को कम करने की जरूरत है।
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एस. जयशंकर, विदेश मंंत्री
- फोटो : X / @DrSJaishankar
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विस्तार
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर शनिवार को 19वें 'नानी ए पालकीवाला मेमोरियल लेक्चर' में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में भारतीय विदेश नीति के विभिन्न पहलुओं पर बात की। साथ ही बीते 10 वर्षों में भारतीय कूटनीति के दृष्टिकोण को भी रेखांकित किया। विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया इस वक्त बाजार संसाधनों और वित्तीय संस्थानों को हथियार बनाए जाने की चुनौती का सामना कर रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि भारत की कोशिश ज्यादा से ज्यादा दोस्त बनाने और समस्याओं को कम करने की है।
'मुश्किल हालात में विकास दर को बनाए रखना चुनौती'
विदेश मंत्री ने कहा कि 'मुश्किल परिस्थितियों में भी अपने विकास की रफ्तार को बनाए रखना भारत के लिए बड़ी चुनौती है। इसके लिए आंतरिक विकास के साथ ही आधुनिकीकरण करने और बाहरी जोखिम को कम करने की जरूरत है। घरेलू स्तर पर हमने स्थिर राजनीतिक स्थायित्व, समावेशी विकास और लगातार सुधारों से बेहतर काम किया है। हालांकि हमें उत्पादन, खाद्य और स्वास्थ्य सुरक्षा पर और ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही मजबूत सहयोग संबंध बनाने की भी जरूरत है ताकि हम और प्रतिस्पर्धी बन सकें।'
विदेश मंत्री बोले- उभरती हुई प्रौद्योगिकी तकनीक के विकास में पीछे न रहें
विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा कि रणनीतिक स्वायत्ता बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि 'भारत को अहम और उभरती हुई प्रौद्योगिकी तकनीक के विकास में पीछे नहीं रहना चाहिए। भारत गैर पश्चिम हो सकता है, लेकिन रणनीतिक हितों को ध्यान में रखते हुए ये ध्यान रखा जाना चाहिए कि भारत पश्चिम विरोधी न बने।' जयशंकर ने कहा कि भारत की दुनिया में छवि एक विश्वबंधु देश, सहयोगी और दोस्त की है। हमारी कोशिश है कि दोस्तों की संख्या को बढ़ाया जाए और समस्याओं को कम से कम किया जाए। भारत के हितों को ध्यान में रखकर ही ये किया जा सकता है। विदेश मंत्री ने भारत की कूटनीतिक सफलता का जिक्र करते हुए कहा कि ध्रुवीकृत दुनिया में भारत की मतभेदों को पाटने की क्षमता सबके सामने आई है। बीते दशक में हमने कई मोर्चों पर प्रगति की है। अपने रिश्तों को विविध तौर पर बेहतर किया है। साथ ही क्षेत्रीय देशों के साथ भी संबंधों को सुधारा गया है। भारत की कूटनीतिक क्षमता विस्तार हुआ है और खाड़ी देशों, अफ्रीका और कैरेबियाई देशों में इसका फल भी मिला है।
रूस के साथ भारत के रिश्तों की अहमियत पर बोले विदेश मंत्री
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि 'रूस की भारत की विदेश नीति में काफी अहमियत है। कई उतार-चढ़ाव के बावजूद 1945 से दोनों देशों के रिश्ते स्थिर रहे हैं। दशकों से भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा में भी रूस की अहम भूमिका रही है। रूस अब अपना फोकस एशिया की तरफ कर रहा है, ऐसे में भारत और रूस के संबंध मजबूत होना स्वभाविक है। भारत और रूस के मजबूत संबंध वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिरता के लिए जरूरी हैं। दोनों देशों में कनेक्टिविटी की भी अपार संभावना है। रूस यूक्रेन युद्ध में भी भारत ने हमेशा बातचीत और कूटनीति से विवाद सुलझाने की बात कही है। युद्ध के मैदान से कभी भी कोई विवाद नहीं सुलझ सकता।'
पाकिस्तान पर साधा निशाना
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत अपने पड़ोसी देशों की मदद पूरी उदारता के साथ कर रहा है। जिसके तहत पड़ोसी देशों को आर्थिक मदद, ऊर्जा सहायता, रेल और सड़क संपर्क की मदद दी जा रही है। पड़ोसी देशों के साथ भारत का कारोबार, निवेश भी बढ़ा है। विदेश मंत्री ने कहा कि श्रीलंका को साल 2023 में चार अरब डॉलर की आर्थिक मदद दी थी। बांग्लादेश के हालात पर उन्होंने कहा कि 'राजनीतिक घटनाक्रम के चलते परिस्थितियां जटिल हुई हैं। पाकिस्तान एक अपवाद रहा है और हमारे पड़ोस में अभी भी सीमा पार आतंकवाद एक समस्या बना हुआ है, लेकिन ये कैंसर अब पाकिस्तान को ही नुकसान पहुंचा रहा है। पूरे महाद्वीप के साझा हित हैं कि पाकिस्तान अब इस दृष्टिकोण को छोड़ दे।'
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'मुश्किल हालात में विकास दर को बनाए रखना चुनौती'
विदेश मंत्री ने कहा कि 'मुश्किल परिस्थितियों में भी अपने विकास की रफ्तार को बनाए रखना भारत के लिए बड़ी चुनौती है। इसके लिए आंतरिक विकास के साथ ही आधुनिकीकरण करने और बाहरी जोखिम को कम करने की जरूरत है। घरेलू स्तर पर हमने स्थिर राजनीतिक स्थायित्व, समावेशी विकास और लगातार सुधारों से बेहतर काम किया है। हालांकि हमें उत्पादन, खाद्य और स्वास्थ्य सुरक्षा पर और ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही मजबूत सहयोग संबंध बनाने की भी जरूरत है ताकि हम और प्रतिस्पर्धी बन सकें।'
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विदेश मंत्री बोले- उभरती हुई प्रौद्योगिकी तकनीक के विकास में पीछे न रहें
विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा कि रणनीतिक स्वायत्ता बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि 'भारत को अहम और उभरती हुई प्रौद्योगिकी तकनीक के विकास में पीछे नहीं रहना चाहिए। भारत गैर पश्चिम हो सकता है, लेकिन रणनीतिक हितों को ध्यान में रखते हुए ये ध्यान रखा जाना चाहिए कि भारत पश्चिम विरोधी न बने।' जयशंकर ने कहा कि भारत की दुनिया में छवि एक विश्वबंधु देश, सहयोगी और दोस्त की है। हमारी कोशिश है कि दोस्तों की संख्या को बढ़ाया जाए और समस्याओं को कम से कम किया जाए। भारत के हितों को ध्यान में रखकर ही ये किया जा सकता है। विदेश मंत्री ने भारत की कूटनीतिक सफलता का जिक्र करते हुए कहा कि ध्रुवीकृत दुनिया में भारत की मतभेदों को पाटने की क्षमता सबके सामने आई है। बीते दशक में हमने कई मोर्चों पर प्रगति की है। अपने रिश्तों को विविध तौर पर बेहतर किया है। साथ ही क्षेत्रीय देशों के साथ भी संबंधों को सुधारा गया है। भारत की कूटनीतिक क्षमता विस्तार हुआ है और खाड़ी देशों, अफ्रीका और कैरेबियाई देशों में इसका फल भी मिला है।
#WATCH | Mumbai: EAM S Jaishankar says, "... Russia has long held importance for India's foreign policy. Despite all the ups and downs that the world has seen since 1945, this is one relationship that has largely held steady. For decades, Russia has had a salience in India's… pic.twitter.com/SuDW9KcD20
— ANI (@ANI) January 18, 2025
रूस के साथ भारत के रिश्तों की अहमियत पर बोले विदेश मंत्री
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि 'रूस की भारत की विदेश नीति में काफी अहमियत है। कई उतार-चढ़ाव के बावजूद 1945 से दोनों देशों के रिश्ते स्थिर रहे हैं। दशकों से भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा में भी रूस की अहम भूमिका रही है। रूस अब अपना फोकस एशिया की तरफ कर रहा है, ऐसे में भारत और रूस के संबंध मजबूत होना स्वभाविक है। भारत और रूस के मजबूत संबंध वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिरता के लिए जरूरी हैं। दोनों देशों में कनेक्टिविटी की भी अपार संभावना है। रूस यूक्रेन युद्ध में भी भारत ने हमेशा बातचीत और कूटनीति से विवाद सुलझाने की बात कही है। युद्ध के मैदान से कभी भी कोई विवाद नहीं सुलझ सकता।'
पाकिस्तान पर साधा निशाना
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत अपने पड़ोसी देशों की मदद पूरी उदारता के साथ कर रहा है। जिसके तहत पड़ोसी देशों को आर्थिक मदद, ऊर्जा सहायता, रेल और सड़क संपर्क की मदद दी जा रही है। पड़ोसी देशों के साथ भारत का कारोबार, निवेश भी बढ़ा है। विदेश मंत्री ने कहा कि श्रीलंका को साल 2023 में चार अरब डॉलर की आर्थिक मदद दी थी। बांग्लादेश के हालात पर उन्होंने कहा कि 'राजनीतिक घटनाक्रम के चलते परिस्थितियां जटिल हुई हैं। पाकिस्तान एक अपवाद रहा है और हमारे पड़ोस में अभी भी सीमा पार आतंकवाद एक समस्या बना हुआ है, लेकिन ये कैंसर अब पाकिस्तान को ही नुकसान पहुंचा रहा है। पूरे महाद्वीप के साझा हित हैं कि पाकिस्तान अब इस दृष्टिकोण को छोड़ दे।'