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ED: शराब सिंडिकेट के शीर्ष पर थे पूर्व सीएम के बेटे चैतन्य बघेल, कहां निवेश हुए अपराध की आय के 2500 करोड़
डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Thu, 13 Nov 2025 03:24 PM IST
सार
छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले की जांच में कई बड़े खुलासे हो रहे हैं। पीएमएलए के तहत की गई जांच से पता चला है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल, शराब सिंडिकेट के शीर्ष पर काम कर रहे थे। मुख्यमंत्री के बेटे के रूप में उनकी स्थिति ने उन्हें शराब सिंडिकेट का नियंत्रक और अंतिम अधिकारी बना दिया।
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शराब घोटाले में चैतन्य बघेल की मुश्किलें बढ़ीं
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले की जांच में कई बड़े खुलासे हो रहे हैं। पीएमएलए के तहत की गई जांच से पता चला है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल, शराब सिंडिकेट के शीर्ष पर काम कर रहे थे। मुख्यमंत्री के बेटे के रूप में उनकी स्थिति ने उन्हें शराब सिंडिकेट का नियंत्रक और अंतिम अधिकारी बना दिया। शराब घोटाले में लगभग 2200 करोड़ रुपये की अपराध की आय (पीओसी) हुई। इस अपराध की आय को कई जगहों पर निवेश किया गया। ईडी ने अब चैतन्य बघेल की 61.20 करोड़ रुपये की संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क किया है। इसमें 59.96 करोड़ रुपये मूल्य के 364 आवासीय भूखंड और कृषि भूमि के रूप में अचल संपत्तियां व 1.24 करोड़ रुपये मूल्य की बैंक बैलेंस/सावधि जमा के रूप में चल संपत्तियां शामिल हैं।
पीएमएलए के तहत की गई जांच से पता चला है कि भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल, शराब सिंडिकेट के शीर्ष नियंत्रक के तौर पर काम कर रहे थे। मुख्यमंत्री का बेटा होना, उनकी इस स्थिति के चलते चैतन्य बघेल, टॉप पर आ गए। वह सिंडिकेट द्वारा एकत्र किए गए सभी अवैध धन के 'हिसाब' (खातों) को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार थे। ऐसे धन (पीओसी) के संग्रह, चैनलाइजेशन और वितरण से संबंधित सभी प्रमुख निर्णय उनके निर्देशों के तहत लिए गए थे।
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पीएमएलए के तहत की गई जांच से पता चला है कि भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल, शराब सिंडिकेट के शीर्ष नियंत्रक के तौर पर काम कर रहे थे। मुख्यमंत्री का बेटा होना, उनकी इस स्थिति के चलते चैतन्य बघेल, टॉप पर आ गए। वह सिंडिकेट द्वारा एकत्र किए गए सभी अवैध धन के 'हिसाब' (खातों) को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार थे। ऐसे धन (पीओसी) के संग्रह, चैनलाइजेशन और वितरण से संबंधित सभी प्रमुख निर्णय उनके निर्देशों के तहत लिए गए थे।
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ईडी की जांच ने आगे स्थापित किया है कि वह पीओसी का प्राप्तकर्ता था, जिसे उसने अपने रियल एस्टेट व्यवसाय के माध्यम से बढ़ाया। अपराध की आय को बेदाग संपत्ति के रूप में पेश किया। चैतन्य बघेल ने शराब घोटाले से उत्पन्न पीओसी का उपयोग अपने स्वामित्व वाली कंपनी मेसर्स बघेल डेवलपर्स के तहत अपनी रियल एस्टेट परियोजना 'विट्ठल ग्रीन' के विकास के लिए किया। चैतन्य बघेल को ईडी ने इस साल 18 जुलाई को गिरफ्तार किया था।
इससे पहले, इस मामले में अनिल टुटेजा (पूर्व आईएएस), अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, अनवर ढेबर, अरुण पति त्रिपाठी (आईटीएस) और कवासी लखमा (विधायक और छत्तीसगढ़ के तत्कालीन आबकारी मंत्री) को ईडी ने गिरफ्तार किया था।
इससे पहले, इस मामले में अनिल टुटेजा (पूर्व आईएएस), अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, अनवर ढेबर, अरुण पति त्रिपाठी (आईटीएस) और कवासी लखमा (विधायक और छत्तीसगढ़ के तत्कालीन आबकारी मंत्री) को ईडी ने गिरफ्तार किया था।
यहां बता दें कि 61.20 करोड़ रुपये की वर्तमान कुर्की, लगभग 215 करोड़ रुपये मूल्य की अचल संपत्तियों की पूर्व में की गई कुर्की का ही एक हिस्सा है। ईडी ने छत्तीसगढ़ राज्य में शराब घोटाले में आईपीसी, 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत एसीबी/ईओडब्ल्यू, रायपुर, छत्तीसगढ़ द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर उक्त मामले की जांच शुरू की थी। अनुसूचित अपराधों के कारण 2500 करोड़ रुपये की अपराध आय (पीओसी) अर्जित हुई है।