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ED: 17000 करोड़ की धोखाधड़ी मामले में ईडी ने अनिल अंबानी से की 10 घंटे पूछताछ, फिर से किया जा सकता है तलब
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: राहुल कुमार
Updated Tue, 05 Aug 2025 10:06 PM IST
सार
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को रिलायंस समूह के अध्यक्ष अनिल अंबानी से उनके समूह की कंपनियों के खिलाफ कथित तौर पर करोड़ों रुपये के ऋण धोखाधड़ी मामले में लगभग 10 घंटे तक पूछताछ की।
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उद्योगपति अनिल अंबानी
- फोटो : पीटीआई
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विस्तार
उद्योगपति अनिल अंबानी मंगलवार को 17 हजार करोड़ रुपये के बैंक ऋण धोखाधड़ी से जुड़े धन शोधन मामले में दिल्ली स्थित ईडी कार्यालय में पेश हुए। वह सुबह करीब 11 बजे मध्य दिल्ली स्थित केंद्रीय जांच एजेंसी के कार्यालय पहुंचे। ईडी ने अनिल अंबानी से लगभग 10 घंटे तक पूछताछ की।
मंगलवार को सुबह लगभग 10:50 बजे अनिल अंबानी दिल्ली स्थित केंद्रीय जांच एजेंसी के कार्यालय पहुंचे और लगभग 9 बजे वह ईडी के ऑफिस से बाहर निकले। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अनिल अंबानी के बयान धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज किए गए हैं। उन्होंने बताया कि उनसे लगभग एक दर्जन सवाल पूछे गए। माना जा रहा है कि अंबानी ने किसी भी गड़बड़ी से इनकार किया और कहा कि उनकी कंपनियों ने नियामकों को अपनी वित्तीय स्थिति के बारे में समय पर जानकारी दी है।
अनिल अंबानी के जवाबों से सहमत नहीं हुई ईडी
सूत्रों ने बताया कि एजेंसी के जांचकर्ता अनिल अंबानी के जवाबों से सहमत नहीं हैं और उन्हें फिर से तलब किया जा सकता है।बता दें कि समन 24 जुलाई को मुंबई में एजेंसी की ओर से उनके व्यावसायिक समूह के अधिकारियों सहित 50 कंपनियों और 25 लोगों के 35 परिसरों की तलाशी लेने के बाद जारी किया गया था।
यह कार्रवाई रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (आर इंफ्रा) सहित अनिल अंबानी की कई समूह कंपनियों की ओर से वित्तीय अनियमितताओं और सामूहिक ऋण डायवर्जन से संबंधित है। पहला आरोप 2017 और 2019 के बीच यस बैंक की ओर से अनिल अंबानी की समूह कंपनियों को दिए गए लगभग 3,000 करोड़ रुपये के अवैध ऋण डायवर्जन से संबंधित है। ईडी को संदेह है कि ऋण दिए जाने से ठीक पहले यस बैंक के प्रवर्तकों ने अपनी कंपनियों में धन प्राप्त किया था। एजेंसी रिश्वत और ऋण के इस गठजोड़ की जांच कर रही है। सूत्रों ने बताया कि कुछ अघोषित विदेशी बैंक खातों और संपत्तियों के अलावा आरकॉम और केनरा बैंक के बीच 1,050 करोड़ रुपये से अधिक की बैंक ऋण धोखाधड़ी भी ईडी की जांच के दायरे में है। रिलायंस म्यूचुअल फंड ने भी एटी-1 बॉन्ड में 2,850 करोड़ रुपये का निवेश किया है। एजेंसी को इसमें 'क्विड प्रो क्वो' (वित्तीय गड़बड़ी) का संदेह है।
समूह के प्रवक्ता ने गड़बड़ी से किया इनकार
रिलायंस समूह के प्रवक्ता ने किसी भी गड़बड़ी से इन्कार किया है। कहा कि 10 हजार करोड़ रुपये की राशि किसी अज्ञात व्यक्ति को हस्तांतरित करने का आरोप 10 साल पुराना है। कंपनी ने अपने वित्तीय विवरणों में बताया है कि उसका बकाया केवल 6,500 करोड़ रुपये के आसपास है। रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने लगभग छह महीने पहले, 9 फरवरी, 2025 को इस मामले का सार्वजनिक रूप से खुलासा किया था।
लुकआउट सर्कुलर भी जारी
इससे पहले उद्योगपति अनिल अंबानी के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) भी जारी किया गया था। लुकआउट सर्कुलर के बाद वह अदालत के अनुमित के बिना भारत से बाहर नहीं जा सकते हैं। ईडी ने यह कदम ऐसे वक्त उठाया था, जब केंद्रीय एजेंसी ने मामले में पूछताछ के लिए अनिल अंबानी को दिल्ली स्थित ईडी मुख्यालय में तलब किया। यह जांच संदिग्ध वित्तीय अनियमितताओं और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत संभावित उल्लंघनों से संबंधित है।
पिछले सप्ताह ईडी ने कई स्थानों पर की थी छापेमारी
पिछले सप्ताह संघीय एजेंसी ने उनके व्यावसायिक समूह की कई कंपनियों और अधिकारियों के 35 ठिकानों पर छापे मारे थे। ये परिसर 50 कंपनियों और 25 लोगों से जुड़े थे, जिनमें अनिल अंबानी समूह की कंपनियों के कई अधिकारी भी शामिल थे। 24 जुलाई को शुरू हुई यह कार्रवाई तीन दिन तक चली थी।
मंगलवार को सुबह लगभग 10:50 बजे अनिल अंबानी दिल्ली स्थित केंद्रीय जांच एजेंसी के कार्यालय पहुंचे और लगभग 9 बजे वह ईडी के ऑफिस से बाहर निकले। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अनिल अंबानी के बयान धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज किए गए हैं। उन्होंने बताया कि उनसे लगभग एक दर्जन सवाल पूछे गए। माना जा रहा है कि अंबानी ने किसी भी गड़बड़ी से इनकार किया और कहा कि उनकी कंपनियों ने नियामकों को अपनी वित्तीय स्थिति के बारे में समय पर जानकारी दी है।
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अनिल अंबानी के जवाबों से सहमत नहीं हुई ईडी
सूत्रों ने बताया कि एजेंसी के जांचकर्ता अनिल अंबानी के जवाबों से सहमत नहीं हैं और उन्हें फिर से तलब किया जा सकता है।बता दें कि समन 24 जुलाई को मुंबई में एजेंसी की ओर से उनके व्यावसायिक समूह के अधिकारियों सहित 50 कंपनियों और 25 लोगों के 35 परिसरों की तलाशी लेने के बाद जारी किया गया था।
यह कार्रवाई रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (आर इंफ्रा) सहित अनिल अंबानी की कई समूह कंपनियों की ओर से वित्तीय अनियमितताओं और सामूहिक ऋण डायवर्जन से संबंधित है। पहला आरोप 2017 और 2019 के बीच यस बैंक की ओर से अनिल अंबानी की समूह कंपनियों को दिए गए लगभग 3,000 करोड़ रुपये के अवैध ऋण डायवर्जन से संबंधित है। ईडी को संदेह है कि ऋण दिए जाने से ठीक पहले यस बैंक के प्रवर्तकों ने अपनी कंपनियों में धन प्राप्त किया था। एजेंसी रिश्वत और ऋण के इस गठजोड़ की जांच कर रही है। सूत्रों ने बताया कि कुछ अघोषित विदेशी बैंक खातों और संपत्तियों के अलावा आरकॉम और केनरा बैंक के बीच 1,050 करोड़ रुपये से अधिक की बैंक ऋण धोखाधड़ी भी ईडी की जांच के दायरे में है। रिलायंस म्यूचुअल फंड ने भी एटी-1 बॉन्ड में 2,850 करोड़ रुपये का निवेश किया है। एजेंसी को इसमें 'क्विड प्रो क्वो' (वित्तीय गड़बड़ी) का संदेह है।
समूह के प्रवक्ता ने गड़बड़ी से किया इनकार
रिलायंस समूह के प्रवक्ता ने किसी भी गड़बड़ी से इन्कार किया है। कहा कि 10 हजार करोड़ रुपये की राशि किसी अज्ञात व्यक्ति को हस्तांतरित करने का आरोप 10 साल पुराना है। कंपनी ने अपने वित्तीय विवरणों में बताया है कि उसका बकाया केवल 6,500 करोड़ रुपये के आसपास है। रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने लगभग छह महीने पहले, 9 फरवरी, 2025 को इस मामले का सार्वजनिक रूप से खुलासा किया था।
लुकआउट सर्कुलर भी जारी
इससे पहले उद्योगपति अनिल अंबानी के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) भी जारी किया गया था। लुकआउट सर्कुलर के बाद वह अदालत के अनुमित के बिना भारत से बाहर नहीं जा सकते हैं। ईडी ने यह कदम ऐसे वक्त उठाया था, जब केंद्रीय एजेंसी ने मामले में पूछताछ के लिए अनिल अंबानी को दिल्ली स्थित ईडी मुख्यालय में तलब किया। यह जांच संदिग्ध वित्तीय अनियमितताओं और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत संभावित उल्लंघनों से संबंधित है।
पिछले सप्ताह ईडी ने कई स्थानों पर की थी छापेमारी
पिछले सप्ताह संघीय एजेंसी ने उनके व्यावसायिक समूह की कई कंपनियों और अधिकारियों के 35 ठिकानों पर छापे मारे थे। ये परिसर 50 कंपनियों और 25 लोगों से जुड़े थे, जिनमें अनिल अंबानी समूह की कंपनियों के कई अधिकारी भी शामिल थे। 24 जुलाई को शुरू हुई यह कार्रवाई तीन दिन तक चली थी।