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ईडी के छापों से खुला राज, जेट एयरवेज के संस्थापक ने टैक्स चोरी योजनाओं से विदेश भेजे थे अरबों रुपये
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Nilesh Kumar
Updated Sun, 25 Aug 2019 06:42 AM IST
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Naresh Goyal jet airways
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जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल ने देश और विदेश में अपनी बहुत सारी कंपनियां बनाकर टैक्स चोरी की दर्जनों योजनाओं का एक ‘ढांचा’ तैयार किया था और इससे बड़े पैमाने पर बचने वाले पैसे को विदेशों में स्थानांतरित कर दिया। हालांकि इस रकम की सही संख्या का पता नहीं लगा है, लेकिन इतना माना जा रहा है कि गोयल ने अरबों रुपये बचाकर विदेश भेजे थे।
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इसके सबूत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरफ से शुक्रवार को गोयल और उसके साझीदारों के मुंबई व दिल्ली स्थित दर्जन भर ठिकानों पर की गई छापेमारी में मिले हैं। ईडी ने शनिवार को एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि इस छापामारी अभियान के दौरान अपराध साबित करने वाले विभिन्न दस्तावेज और डिजिटल सबूत मिले हैं। इन दस्तावेजों को जब्त करने के साथ ही आगे जांच की जा रही है। ईडी का कहना है कि विदेश की कई कंपनियां ‘अपरोक्ष’ तरीके से गोयल के नियंत्रण में हैं। इनमें से कई कंपनियां टैक्स हैवन देशों में स्थापित हैं।
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ईडी के मुताबिक, इनमें से बहुत सारी विदेश कंपनियाें को विभिन्न एयरलाइन लीज एग्रीमेंट, एयरक्राफ्ट मेंटिनेंस एग्रीमेंट आदि के जरिए फर्जी और ज्यादा भुगतान किए जाने के सबूत मिले हैं। गोयल द्वारा अपने ही समूह की दुबई स्थित कंपनी को जेट एयरवेज का एक्सक्लूसिव ओवरसीज जनरल सेल्स एजेंट बनाकर इनफ्लेटिड कमीशन (एक रुपये के काम के बदले 100 रुपये के बिल का भुगतान) के जरिए करोड़ों रुपये भेजने के सबूत मिले हैं।
जांच एजेंसी के मुताबिक, विदेश में इन सभी कंपनियों के बैंक खातों का संचालन गोयल के पास ही होने की संभावना भी सामने आई है। प्रथम दृष्टया इन भुगतान के जरिए विदेश मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेरा) के प्रावधानों का उल्लंघन स्पष्ट दिखाई दे रहा है।
आइल ऑफ मैन स्थित कंपनी है प्रमुख निशाने पर
ईडी के मुताबिक, गोयल ने 19 निजी कंपनियों का साम्राज्य खड़ा किया हुआ था, जिनमें से 5 विदेश में पंजीकृत हैं। एजेंसी की निगाह सबसे ज्यादा ब्रिटिश क्षेत्र के स्वायत्त क्षेत्र आइल ऑफ मैन स्थित टेल विंड्स कॉरपोरेशन पर टिकी हुई हैं। एजेंसी का मानना है कि यही कंपनी जेट एयरवेज के कामकाज को नियंत्रित करती थी। यह कंपनी गोयल ने 1992 में बनाई थी।
ईडी ने शुक्रवार को इस कंपनी में गोयल के साझीदार व निवेशक हसमुख दीपचंद गार्दी के ठिकानों पर भी छापा मारा था। बता दे ंकि फिलहाल दुबई में रहने वाले गार्दी का नाम ‘पनामा पेपरलीक’ में भी सामने आया था। एजेंसी को संदेह है कि गार्दी ने अवैध धंधों से जुटाए धन को टेल विंड्स के जरिए काले से सफेद करने के लिए निवेशित किया है।