Emergency: ज्योतिरादित्य सिंधिया ने याद किए 'दादी के संघर्ष'; कांग्रेस का तीखा सवाल– पिता को क्यों भुला दिया?
आपातकाल की 50वीं बरसी पर इसके इतिहास को लेकर राजनीतिक बयानबाजी अपने चरम पर है। एक ओर भाजपा ने कांग्रेस की आलोचना की और आपातकाल को लोकतंत्र की हत्या बताया। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने इसे झूठा इतिहास करार दिया और कई सारे सवाल भी उठाए। इसी सिलसिले में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांग्रेस नेता पवन खेड़ा के बीच भी तनातनी देखने को मिली। आइए जानते है किसने क्या कहा?

विस्तार
आपातकाल की 50वीं बरसी पर केंद्र सरकार की तरफ से ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाया जा रहा है। इस मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं आपातकाल के समय को याद करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा। इसी सिलसिले में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी दादी विजया राजे सिंधिया को याद करते हुए कहा कि उन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष किया और कभी झुकी नहींं। सिंधिया के इस बयान पर कांग्रेस ने भी जोरदार पलटवार किया। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने सिंधिया से पूछा कि क्या वह भाजपा का प्रचार करने के लिए अपने पिता माधवराव सिंधिया को पूरी तरह भुला देंगे?

सिंधिया ने अपनी दादी को किया याद?
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि उनकी दादी ने राजसी जीवन छोड़कर जनता की सेवा का रास्ता चुना। उन्होंने दावा किया कि आपातकाल के दौरान उन्हें जेल में डाला गया, यातनाएं दी गईं, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और लोकतंत्र के प्रति अपनी आस्था बनाए रखी।
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कांग्रेस ने किया पलटवार
सिंधिया के इस बयान पर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने निशाना साधा। खेड़ा ने सिंधिया पर कटाक्ष करते हुए कहा कि प्रिय महाराज, आप अपने पूज्य पिताजी का कभी जिक्र क्यों नहीं करते? क्या भाजपा का प्रचार करते हुए आप उन्हें पूरी तरह भुला देंगे? अपने बयान में खेड़ा ने याद दिलाया कि माधवराव सिंधिया 1980 में इंदिरा गांधी की सरकार में सांसद बने थे और हमेशा आरएसएस के खिलाफ रहे।
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खेड़ा ने आरएसएस पर भी साधा निशाना
इसके साथ ही पवन खेड़ा ने एक और पोस्ट में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आपातकाल के समय के आरएसएस प्रमुख बालासाहेब देवरस ने इंदिरा गांधी को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उन्हें बधाई दी थी और खुद को विरोध आंदोलन से अलग कर लिया था। खेड़ा ने आगे कहा कि पिता मच्छर नहीं मार पाए, बेटा खुद को योद्धा बताता है। आरएसएस का पूरा संघर्ष चावल के एक दाने पर लिखा जा सकता है।
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