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राष्ट्रपति ने खारिज की पहली दया याचिका, अभियुक्त ने 7 लोगों को जला कर मार डाला था
एजेंसी, नई दिल्ली
Updated Mon, 04 Jun 2018 12:46 AM IST
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रामनाथ कोविंद
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने अपने सामने आई पहली दया याचिका को खारिज कर दिया है। इस मामले में मौत की सजा पाए अभियुक्त ने भैंस चोरी को लेकर एक परिवार के सात लोगों को जला कर मार डाला था।
जानकारी के मुताबिक दोषी जगत राय ने वर्ष 2006 में बिहार के वैशाली जिले के राघोपुर में विजेंद्र महतो और उसके परिवार के छह अन्य लोगों की नृशंस हत्या कर दी थी। महतो ने वर्ष 2005 में अपनी भैंस चोरी की रिपोर्ट लिखवाई थी, जिसमें जगत राय, वजीर राय और अजय राय को नामजद किया गया था। अभियुक्त ने महतो पर केस वापस लेने का दबाव बनाया। नहीं मानने पर राय ने महतो के घर में आग लगा दी। इसमें महतो की पत्नी और पांच बच्चों की जल कर मौत हो गई, जबकि आग में गंभीर रूप से झुलसे विजेंद्र महतो की कुछ महीने बाद मौत हो गई।
इस जुर्म में पहले स्थानीय कोर्ट और हाईकोर्ट ने मौत की सजा सुनाई। वर्ष 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने भी मौत की सजा पर मुहर लगा दी। राष्ट्रपति सचिवालय भेजा गया। राष्ट्रपति कार्यालय ने गृह मंत्रालय से सुझाव मांगे और मंत्रालय ने पिछले साल 12 जुलाई को अपनी राय भेज दी। सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रपति ने 23 अप्रैल को दया याचिका खारिज कर दी। कोविंद के राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने पहली दया याचिका पर फैसला दिया है। राष्ट्रपति सचिवालय के पास कोई अन्य दया याचिका लंबित नहीं है।
अनुच्छेद 72 में सजा माफी का अधिकार
संविधान के अनुच्छेद 72 में राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि वह किसी अपराध में किसी भी व्यक्ति की सजा को माफ कर सकता है या कम कर सकता है। चाहे वह मौत की सजा ही क्यों न हो।
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जानकारी के मुताबिक दोषी जगत राय ने वर्ष 2006 में बिहार के वैशाली जिले के राघोपुर में विजेंद्र महतो और उसके परिवार के छह अन्य लोगों की नृशंस हत्या कर दी थी। महतो ने वर्ष 2005 में अपनी भैंस चोरी की रिपोर्ट लिखवाई थी, जिसमें जगत राय, वजीर राय और अजय राय को नामजद किया गया था। अभियुक्त ने महतो पर केस वापस लेने का दबाव बनाया। नहीं मानने पर राय ने महतो के घर में आग लगा दी। इसमें महतो की पत्नी और पांच बच्चों की जल कर मौत हो गई, जबकि आग में गंभीर रूप से झुलसे विजेंद्र महतो की कुछ महीने बाद मौत हो गई।
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इस जुर्म में पहले स्थानीय कोर्ट और हाईकोर्ट ने मौत की सजा सुनाई। वर्ष 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने भी मौत की सजा पर मुहर लगा दी। राष्ट्रपति सचिवालय भेजा गया। राष्ट्रपति कार्यालय ने गृह मंत्रालय से सुझाव मांगे और मंत्रालय ने पिछले साल 12 जुलाई को अपनी राय भेज दी। सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रपति ने 23 अप्रैल को दया याचिका खारिज कर दी। कोविंद के राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने पहली दया याचिका पर फैसला दिया है। राष्ट्रपति सचिवालय के पास कोई अन्य दया याचिका लंबित नहीं है।
अनुच्छेद 72 में सजा माफी का अधिकार
संविधान के अनुच्छेद 72 में राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि वह किसी अपराध में किसी भी व्यक्ति की सजा को माफ कर सकता है या कम कर सकता है। चाहे वह मौत की सजा ही क्यों न हो।