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Jaishankar: विदेश मंत्री ने वैश्विक स्वास्थ्य सहयोग पर दिया जोर, कहा- हम अगली चुनौती के लिए तैयार रहें

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: बशु जैन Updated Sat, 22 Feb 2025 08:39 PM IST
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सार

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को 12वें अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संवाद सम्मेलन में वैश्विक स्वास्थ्य सहयोग पर जोर दिया। विदेश मंत्री ने कहा कि हम सभी स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों को मजबूत करना चाहते हैं। रोगी सुरक्षा को बढ़ाना चाहते हैं और सस्ती पहुंच सुनिश्चित करना चाहते हैं। अगर हम और अधिक निकटता से सहयोग करेंगे तो ये लक्ष्य बेहतर तरीके से हासिल किए जा सकेंगे।

Foreign Minister laid emphasis on global health cooperation, said- we should be ready for the next challenge
विदेश मंत्री एस जयशंकर। - फोटो : ANI/वीडियो ग्रैब
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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को 12वें अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संवाद सम्मेलन में वैश्विक स्वास्थ्य सहयोग पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कोविड काल हम सभी के लिए वास्तव में सीखने का अनुभव था। हमें अगली चुनौती के लिए तैयार रहना चाहिए। सम्मेलन में उन्होंने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में भारत के प्रयासों को लेकर बात की। विदेश मंत्री ने कहा कि आज के समय में स्वास्थ्य सेवा एक मौलिक अधिकार है। यह सिर्फ एक विशेषाधिकार नहीं है। ग्लोबल साउथ अनिश्चित आपूर्ति श्रृंखलाओं और वैश्विक अर्थव्यवस्था की अनिश्चितताओं का बंधक नहीं हो सकता।
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उन्होंने कहा कि हम सभी स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों को मजबूत करना चाहते हैं। रोगी सुरक्षा को बढ़ाना चाहते हैं और सस्ती पहुंच सुनिश्चित करना चाहते हैं। अगर हम और अधिक निकटता से सहयोग करेंगे तो ये लक्ष्य बेहतर तरीके से हासिल किए जा सकेंगे। दुनिया के लिए मेरा संदेश अंतरराष्ट्रीय भागीदारी के महत्व का होगा। मुझे यकीन है कि हम सभी एक मजबूत उद्देश्य, अधिक जागरूकता, साझा अनुभव और निश्चित रूप से एक बेहतर नेटवर्क के साथ मिलकर काम करने का संकल्प लेकर यहां से जाएंगे। 
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डॉ. एस जयशंकर - फोटो : एएनआई
भारत की स्वास्थ्य योजनाओं की दी जानकारी
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस, पर्यावरण के लिए जीवनशैली पहल- LIFE पहल और अधिक पौष्टिक प्रथा जैसे बाजरा के सेवन को बढ़ावा दिया है। भारत ने अपनी प्रगति और उदाहरण के माध्यम से काफी योगदान दिया। आयुष्मान भारत पहल आज दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजना है। हमारे लगभग 750 मिलियन नागरिकों को आभा आईडी प्राप्त हुई है। उनके पास 360,000 स्वास्थ्य सुविधाओं और 570,000 स्वास्थ्य पेशेवरों तक पहुंच है। प्रति व्यक्ति आय के स्तर पर इतने बड़े पैमाने पर ऐसा करना वास्तव में डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की शक्ति का प्रमाण है। यह मोदी सरकार की सुशासन के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। अब तक कई नागरिकों के लिए पुरानी बीमारियों के इलाज के लिए आवश्यक दवाओं की लागत भी चिंता का विषय थी। हमने 14,000 जन औषधि केंद्रों के माध्यम से यह दिखाया कि देखभाल की नीतियों और स्मार्ट इन्वेंट्री के प्रबंधन से आम आदमी के लिए दवाओं की लागत कम हो सकती है।

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एस. जयशंकर, विदेश मंत्री - फोटो : ANI
पारंपरिक चिकित्सा और आयुर्वेद को दिया बढ़ावा
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि जब हम राष्ट्रीय प्रगति की दोहरी शक्तियों के रूप में परंपरा और प्रौद्योगिकी के बीच संतुलन बनाने का प्रयास कर रहे हैं, तो स्वाभाविक है कि हम अपने लोगों के स्वास्थ्य के लिए अपनी विरासत और संस्कृति की प्रासंगिकता का पता लगाएंगे। इसी तरह की स्थिति में अन्य समाजों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। कोविड के दौरान निवारक स्वास्थ्य सेवा वसूली और कल्याण के लिए पारंपरिक चिकित्सा की उपयोगिता और प्रभावकारिता का अधिक स्पष्ट अहसास हुआ। भारत को गुजरात में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर ऑफ ट्रेडिशनल मेडिसिन की मेजबानी करने का सौभाग्य प्राप्त है। सरकार के रूप में प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए हमने आयुष नामक एक विभाग बनाया। हम इस क्षेत्र में भी अधिक से अधिक अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आशा करते हैं। मानव कल्याण के एकीकृत दृष्टिकोण में भी इसकी सराहना की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि हील इन इंडिया पहल के माध्यम से हमारी सरकार चिकित्सा मूल्य, यात्रा को बढ़ावा देने और विदेशी मरीजों के लिए भारत में इलाज कराना आसान बनाने के लिए काम कर रही है। 

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एस जयशंकर - फोटो : एएनआई (फाइल)
सबके सहयोग की जरूरत
विदेश मंत्री ने कहा कि केवल वैश्विक दक्षिण को ही मजबूत चिकित्सा साझेदारी की आवश्यकता नहीं है, बल्कि वैश्विक उत्तर को भी इसकी जरूरत है। वैश्विक उत्तर, उत्तरी अमेरिका, यूरोप, जापान और सुदूर पूर्व के बहुत से देशों में डॉक्टरों, नर्सों और स्वास्थ्य कर्मियों की भारी कमी है। जब हम आज साझेदारी पर बातचीत करते हैं, तो इसका एक उद्देश्य वास्तव में उनकी बढ़ती स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करने में उनकी मदद करना है, जिसमें स्पष्ट रूप से वृद्ध होती आबादी को ध्यान में रखना होगा।

उन्होंने कहा कि भारत ने गाजा में मानवीय संकट से निपटने के लिए 66.5 टन चिकित्सा आपूर्ति भेजी। इससे कुछ समय पहले सीरिया में अस्पतालों की चिकित्सा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए 1400 किलोग्राम कैंसर रोधी दवाओं की खेप भेजी गई थी। यहां तक कि अफगानिस्तान में भी भारत ने पिछले कुछ वर्षों में 300 टन दवाइयां भेजी हैं। काबुल में हमारे द्वारा बनाए गए एक अस्पताल में विशेषज्ञों को भी भेजा है।

कोरोना ने विकसित की क्षमता
विदेश मंत्री ने कहा कि कोविड का अनुभव कई देशों की राष्ट्रीय क्षमता विकसित करने की याद दिलाता है। यहां भी भारतीय कंपनियों के साथ-साथ स्पष्ट रूप से भारत सरकार ने उत्पादन को स्थानीय बनाने और क्षमताओं को मजबूत करने की मांग की है। हमने ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से अफ्रीका में मेडिकल छात्रों और पैरामेडिक्स को प्रशिक्षित करने के लिए ई-आरोग्य भारती पहल शुरू की है। दवाओं के उत्पादन में विविधता लाने और चिकित्सा पेशेवरों के पैमाने का विस्तार करके, हम वैश्विक दक्षिण की अपनी मुख्य चिंताओं को दूर करने की क्षमता को मजबूत कर रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि भारत ने आज दुनिया भर के 78 देशों में 600 से अधिक महत्वपूर्ण विकास परियोजनाएं शुरू की हैं। उनमें से कई स्वास्थ्य क्षेत्र में हैं। इसके समानांतर भारत के निजी स्वास्थ्य उद्योग ने भी विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में सुविधाओं और क्षमताओं में योगदान दिया है। हम इस उद्योग को एक भागीदार के रूप में महत्व देते हैं। विशेष अस्पतालों से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक हमने व्यापक स्पेक्ट्रम में बदलाव लाने की कोशिश की है।

विकासशील देशों को दी कोविड से निपटने के लिए वैक्सीन
विदेश मंत्री ने कहा कि कोविड के दौरान बड़ी संख्या में विकासशील देशों को या तो हमारी वैक्सीन मैत्री पहल या अन्य वैश्विक कार्यक्रमों के माध्यम से भारत में निर्मित वैक्सीन प्राप्त हुई। यह कई विकसित देशों के विपरीत था, जिन्होंने अपनी आबादी के गुणकों के बराबर वैक्सीन का भंडार कर लिया था। भारतीय चिकित्सा दल कुछ छोटे देशों में दबाव की स्थिति से निपटने के लिए हिंद महासागर क्षेत्र में भी गए थे। लेकिन यह केवल कोविड युग के दौरान किया गया अपवाद नहीं था। वास्तव में, यह पहले और बाद में दुनिया के प्रति हमारे दृष्टिकोण का हिस्सा है। 

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