MEA: संघर्ष विराम, मध्यस्थता में ट्रंप की भूमिका...परमाणु धमकी; विक्रम मिस्री ने समिति को दी ये जानकारियां
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को संसदीय समिति को ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद के घटनाक्रम को लेकर विस्तार से जानकारी दी। उस दौरान उन्होंने पहलगाम हमले को लेकर सामने आई जानकारियां भी समिति के सामने रखीं।
विस्तार
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सरकारी सूत्रों के मुताबिक, विदेश सचिव ने संसदीय पैनल को बताया कि पहलगाम हमले की जांच से पता चला है कि आतंकवादियों ने पाकिस्तान में बैठे मास्टरमाइंड से संपर्क किया था। इसके साथ ही विक्रम मिस्री ने जानकारी दी कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा वांछित आतंकवादी पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहे हैं, भारत के खिलाफ हिंसा भड़का रहे हैं। आतंकवाद के पनाहगाह के रूप में पाकिस्तान का पिछला रिकॉर्ड दुनिया देख चुकी है, जो ठोस तथ्यों और साक्ष्यों पर आधारित है।
सूत्रों ने यह भी बताया कि पाकिस्तान में आतंकियों, सैन्य खुफिया एजेंसियों और नागरिक प्रशासन के बीच गहरा गठजोड़ है, जो भारत के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा रहा है। विदेश सचिव ने संसदीय समिति को यह भी बताया कि भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लगातार संबंधित पक्षों को पाकिस्तान प्रायोजित सीमा-पार आतंकवाद के खतरे के बारे में जागरूक कर रहा है। विदेश सचिव ने कहा कि किसी अन्य देश को जम्मू-कश्मीर के मुद्दों पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है।
संघर्ष विराम में अमेरिका भूमिका नहीं
करीब दो घंटे तक चली बैठक में विदेश सचिव से सबसे अधिक सवाल संघर्ष विराम में अमेरिकी मध्यस्थता के संदर्भ पूछे गए। सूत्रों के मुताबिक, विदेश सचिव ने संघर्ष विराम में अमेरिका या किसी अन्य देश की भूमिका से इन्कार किया। उन्होंने सरकार का रुख दोहराते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच सभी तरह की सैन्य कार्रवाई रोकने का निर्णय द्विपक्षीय स्तर पर ही लिया गया था। संघर्ष विराम का प्रस्ताव पाकिस्तान की ओर से आया था।
सैन्य कार्रवाई की पाक को पूर्व सूचना नहीं दी गई
विदेश सचिव ने यह भी स्पष्ट किया कि आतंकियों के ठिकानों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के बारे में पाकिस्तान को कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई थी। उन्होंने कहा कि आतंकियों के खिलाफ शुरुआती मगर सटीक सैन्य हमले के बाद इसकी जानकारी पाकिस्तान को दी गई। पड़ोसी देश को बताया गया कि भारत ने किसी देश के खिलाफ नहीं बल्कि आतंकियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की है। दरअसल, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान का हवाला देते हुए दावा किया कि कि सैन्य कार्रवाई की पूर्व सूचना पाकिस्तान को दी गई थी। विदेश सचिव ने कहा कि विदेश मंत्री के बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया जा रहा है।
परमाणु हमले के संकेत नहीं
मिस्री ने समिति को यह भी बताया कि भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष पारंपरिक ही रहा। पड़ोसी देश की तरफ से कोई ऐसा संकेत नहीं मिला कि वह परमाणु हमला भी कर सकता है। एक सदस्य की ओर से भारत के खिलाफ तुर्किये के प्रतिकूल रुख के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि तुर्किये कभी भारत का समर्थक नहीं रहा है। कुछ सांसदों ने सवाल किया कि क्या पाकिस्तान ने संघर्ष के दौरान चीनी प्लेटफॉर्मों का इस्तेमाल था, मिस्री ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि भारत ने पाकिस्तानी हवाई ठिकानों पर हमला किया था।
संसदीय समिति ने सर्वसम्मति से विदेश सचिव को ट्रोल करने की निंदा की
विदेश मामलों पर संसद की स्थायी समिति ने सर्वसम्मति से विदेश सचिव विक्रम मिस्री को ट्रोल करने की निंदा की और उनके पेशेवर आचरण की प्रशंसा की है। बता दें कि, भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को सभी सैन्य कार्रवाइयों को रोकने के लिए हुए समझौते के बाद विदेश सचिव को सोशल मीडिया पर भारी ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा। हालांकि, उन्हें राजनीतिक नेताओं, पूर्व नौकरशाहों और रक्षा दिग्गजों से समर्थन मिला था।
एक सदस्य की ओर से भारत के खिलाफ तुर्किये के प्रतिकूल रुख के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि तुर्किये कभी भारत का समर्थक नहीं रहा है। कुछ सांसदों ने सवाल किया कि क्या पाकिस्तान ने संघर्ष के दौरान चीनी प्लेटफॉर्मों का इस्तेमाल था, मिस्री ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि भारत ने पाकिस्तानी हवाई ठिकानों पर हमला किया था।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता में विदेश मामलों पर संसद की स्थायी समिति की बैठक में तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी, कांग्रेस के राजीव शुक्ला और दीपेंद्र हुड्डा, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अपराजिता सारंगी एवं अरुण गोविल आदि ने भाग लिया।यह बैठक भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पहलगाम हमले का बदला लेने के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू करने और उसके बाद दोनों देशों के बीच हुए सैन्य संघर्ष की पृष्ठभूमि में हुई। भारत और पाकिस्तान 10 मई को सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए सहमत हुए थे।