पहाड़ी इलाकों के लिए 'लाइट टैंक' खरीदने का मामला: नहीं मानी गई चार रक्षा मंत्रियों की ये सलाह
अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ के महासचिव सी.श्रीकुमार बताते हैं, ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड, सरकार के इस फैसले पर हैरान है। जब इन टैंकों को ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड बना सकता है तो इनका टेंडर किस लिए जारी किया गया है। ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के पास इन टैंकों का निर्माण करने के लिए सारी तकनीक मौजूद है...
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बर्फीली पहाड़ियों में भारतीय सेना, दुश्मन को करारा जवाब दे सके, इसके लिए 350 लाइट टैंक (ट्रैक्ड) खरीदे जाने हैं। पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस, प्रणब मुखर्जी, एके एंटनी और मनोहर पर्रिकर ने इस तरह के टैंक, हथियार एवं दूसरे रक्षा उपकरण खरीदने के लिए एक नीति बनाई थी। अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ 'एआईडीईएफ' के महासचिव सी. श्रीकुमार का दावा है कि इन चारों रक्षा मंत्रियों ने यह लिखित आश्वासन दिया था कि इस तरह के मामलों में भारतीय आयुध कारखानों को पहली प्राथमिकता दी जाएगी।
अब डायरेक्टरेट जनरल ऑफ मैकेनाइज्ड फोर्सेस 'डीजीएमएफ' ने साढ़े तीन सौ लाइट टैंक खरीद का ऑर्डर देने के लिए रिक्वेस्ट फॉर इन्फोर्मेशन (ROI) जारी किया है। इसका मतलब है कि अब टैंक खरीद के इस सौदे में निजी कंपनियां भी आ सकती हैं। अगर केंद्र सरकार पूर्व रक्षा मंत्रियों की सलाह मानती तो यह टेंडर जारी करने की बजाए भारतीय आयुध कारखानों को टैंक तैयार करने के लिए सीधा ऑर्डर दे दिया जाता।
एआईडीईएफ के मुताबिक, भारतीय आयुध कारखानों में 40/50 टन तक के टैंक बनाए गए हैं। हाई एल्टीट्यूड, खासतौर से बर्फीले पहाड़ों पर ज्यादा वजन वाले टैंकों को ढोना संभव नहीं हो पाता है, इसलिए अब लाइट टैंक (ट्रैक्ड) खरीदने की योजना बनाई गई है। ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के तहत चेन्नई के अवाडी में स्थित हेवी व्हीकल फैक्ट्री (एचवीएफ) और आयुध निर्माणी मेदक में ये टैंक बनाए जा सकते हैं। यहां पर तैयार किए गए टी-72 और अर्जुन टैंक की मारक क्षमता से सभी परिचित हैं।
सी.श्रीकुमार बताते हैं, ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड, सरकार के इस फैसले पर हैरान है। जब इन टैंकों को ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड बना सकता है तो इनका टेंडर किस लिए जारी किया गया है। ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के पास इन टैंकों का निर्माण करने के लिए सारी तकनीक मौजूद है। अगर जरूरत पड़ती है तो उसके लिए रूस और जर्मनी से विशेषज्ञों की सेवाएं ली जा सकती हैं। इसके लिए रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर दिया जाए। उसमें डीआरडीओ व डीजीएमएफ सहित कई दूसरी शाखाओं के पदाधिकारी शामिल किए जा सकते हैं। इस कमेटी के ज़रिए लाइट टैंक के निर्माण कार्य एवं ट्रायल आदि पर निगरानी रखी जा सकती है।
ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के पास हर तरह की क्षमता है। अगर यह ये सौदा बोर्ड को मिलता है तो तीन साल के भीतर सभी टैंक तैयार कर दिए जाएंगे। एक साल में 100 से 200 टैंक तैयार हो सकते हैं। इस बाबत 'एआईडीईएफ' ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को लिखे पत्र में कहा है कि ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड बहुत जल्द टैंक तैयार करने का कार्य शुरू कर सकता है। पूर्व रक्षा मंत्रियों की सलाह को दरकिनार न किया जाए। यह सौदा डायरेक्ट यानी नोमिनेशन बेसिस पर दिया जाना चाहिए था। प्राइवेट कंपनी को कई तरह की औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी। इसमें दो तीन साल भी लग सकते हैं। ऐसी परिस्थिति में सरकार को यह सौदा ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड को दे देना चाहिए। टैंक के निर्माण के दौरान डीआरडीओ, ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड, डीजीक्यूए व डीजीएमएफ की एक संयुक्त टीम बनाई जा सकती है।
सरकार ने जो टेंडर जारी किया है, उसमें टैंक की कई खासियत बताई हैं। इनमें लाइट टैंक का वजन 25 टन से ज्यादा नहीं हो सकता। यह सभी तरह के क्षेत्रों, जैसे पहाड़, रेगिस्तान, पानी, बर्फ और दलदल आदि में चलने में सक्षम हो। यह टैंक हमारे देश के हर तरह के तापमान में चल सकता है। इसके जरिए मल्टीपल टारगेट शूट किए जा सकते हैं। यह डिजाइन बाद में अपग्रेड भी हो सकता है। इस टैंक में 'रिमोट कंट्रोल वेपन सिस्टम' की खूबियां मौजूद हों। एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल, ऑटो लोडर, हाई डिटेक्शन रिकग्निशन एंड आईडेंटिफिकेशन रेंज व 360 डिग्री तक का अवेयरनेस सिस्टम आदि उपकरण टैंक में लगे रहेंगे। टैंक के चारों तरफ एक मोटी सुरक्षा परत रहती है। एक्पलोसिव रिएक्टिव आर्मर एक तरह का कवच है, जो किसी भी तरह के हथियार के प्रभाव को कम कर देता है। इससे टैंक को नुकसान कम होता है। सीबीआरएन और आईएफडीएसएस टेक्नीक भी लाइट टैंक का हिस्सा है। केमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियो एक्टिव और न्यूक्लियर खतरे से भी यह टैंक खुद को बचा सकता है।
अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ के महासचिव सी.श्रीकुमार कहते हैं, सरकार आयुध कारखानों को बंद करने पर तुली है। इन कारखानों ने भारतीय सेना के लिए हर तरह के रक्षा उपकरण बनाए हैं। देश में 41 आयुध निर्माणियां हैं व सात संगठन हैं। देश के अलग-अलग ऑर्डिनेंस कारखानों में 80 हजार से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे हैं। आर्मी, एयरफोर्स और नेवी से जुड़ी किसी भी आयुध निर्माणी का निजीकरण नहीं किया जाना चाहिए। इस बाबत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से आग्रह किया गया है कि वे टैंक के सौदे पर विचार करें। जब हमारे देश में सारी तकनीक मौजूद हैं तो प्राइवेट कंपनी को यह सौदा किस लिए दिया जा रहा है। प्राइवेट कंपनियां एलएंडटी, टाटा और महेंद्रा इस टैंक निर्माण के सौदे के लिए आगे आ सकती हैं। ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड को ये टैंक तैयार करने का ऑर्डर मिलता है तो बहुत कम समय में भारतीय सेना को लाइट टैंक उपलब्ध करा दिए जाएंगे।