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कहां से चुनाव लड़ेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी? ये कारण तय करेंगे सीट का नाम
अमित शर्मा, नई दिल्ली
Published by: Amit Sharma
Updated Thu, 24 Jan 2019 08:04 PM IST
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Narendra Modi
- फोटो : PTI
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के चुनाव में पूर्वांचल को अपनी राजनीति का केंद्र बनाया था। उन्होंने वाराणसी से चुनाव लड़ा था और भारी मतों से विजयी रहे थे। साल 2019 का चुनाव आते ही उनकी सीट को लेकर एक बार फिर कयासबाजी शुरु हो गई है। खबर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर वाराणसी से ही चुनाव लड़ेंगे।
प्रधानमंत्री ने पिछले चुनाव में गुजरात की वडोदरा सीट से भी चुनाव लड़ा था, और उन्हें उसमें भी जीत हासिल हुई थी, लेकिन चुनाव के बाद उन्होंने वाराणसी सीट को ही बनाए रखा था और वड़ोदरा से इस्तीफा दे दिया था।
वडोदरा की तर्ज पर प्रधानमंत्री इस बार वाराणसी के अलावा एक अन्य सीट से भी चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन वह सीट कौन सी होगी, इस पर बाद में फैसला लिया जाएगा। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि दूसरी सीट का फैसला रणनीतिक आधार पर लिया जाएगा। यानी प्रधानमंत्री को उस जगह से चुनाव लड़ाएगी जहां से उनके चुनाव लड़ने पर एक बड़ा संदेश जाए और पार्टी को चुनाव में बेहतर लाभ हो सके।
अगर इस लिहाज से देखें तो पार्टी पश्चिम बंगाल या उड़ीसा से प्रधानमंत्री को चुनाव लड़ाने पर विचार कर सकती है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि पार्टी को इस बार उत्तर प्रदेश में कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है। सपा-बसपा गठबंधन ने पार्टी के लिए कड़ी चुनौती पेश की है। इधर, कांग्रेस के द्वारा प्रियंका गांधी को पार्टी का महासचिव बनाकर पूर्वी उत्तरप्रदेश की जिम्मेदारी दी गई है। इससे भी भाजपा की मुश्किलें बढ़ रही हैं।
अगर कांग्रेस प्रियंका गांधी को रायबरेली या वाराणसी से चुनाव लड़ाने की रणनीति बनाती है, जैसा कि उसके कार्यकर्ताओं के द्वारा लगातार मांग की जा रही है, तो इससे भाजपा को नुकसान होना तय है। जाहिर है कि भाजपा ऐसी हालत में उत्तरप्रदेश के अपने संभावित नुकसान को पश्चिम बंगाल या उड़ीसा जैसे राज्यों से पूरा करने की कोशिश करेगी। इस लिहाज से कयास लगाया जा रहा है कि भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इन्हीं राज्यों में से कहीं से चुनाव लड़ा सकती है।
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प्रधानमंत्री ने पिछले चुनाव में गुजरात की वडोदरा सीट से भी चुनाव लड़ा था, और उन्हें उसमें भी जीत हासिल हुई थी, लेकिन चुनाव के बाद उन्होंने वाराणसी सीट को ही बनाए रखा था और वड़ोदरा से इस्तीफा दे दिया था।
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वडोदरा की तर्ज पर प्रधानमंत्री इस बार वाराणसी के अलावा एक अन्य सीट से भी चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन वह सीट कौन सी होगी, इस पर बाद में फैसला लिया जाएगा। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि दूसरी सीट का फैसला रणनीतिक आधार पर लिया जाएगा। यानी प्रधानमंत्री को उस जगह से चुनाव लड़ाएगी जहां से उनके चुनाव लड़ने पर एक बड़ा संदेश जाए और पार्टी को चुनाव में बेहतर लाभ हो सके।
अगर इस लिहाज से देखें तो पार्टी पश्चिम बंगाल या उड़ीसा से प्रधानमंत्री को चुनाव लड़ाने पर विचार कर सकती है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि पार्टी को इस बार उत्तर प्रदेश में कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है। सपा-बसपा गठबंधन ने पार्टी के लिए कड़ी चुनौती पेश की है। इधर, कांग्रेस के द्वारा प्रियंका गांधी को पार्टी का महासचिव बनाकर पूर्वी उत्तरप्रदेश की जिम्मेदारी दी गई है। इससे भी भाजपा की मुश्किलें बढ़ रही हैं।
अगर कांग्रेस प्रियंका गांधी को रायबरेली या वाराणसी से चुनाव लड़ाने की रणनीति बनाती है, जैसा कि उसके कार्यकर्ताओं के द्वारा लगातार मांग की जा रही है, तो इससे भाजपा को नुकसान होना तय है। जाहिर है कि भाजपा ऐसी हालत में उत्तरप्रदेश के अपने संभावित नुकसान को पश्चिम बंगाल या उड़ीसा जैसे राज्यों से पूरा करने की कोशिश करेगी। इस लिहाज से कयास लगाया जा रहा है कि भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इन्हीं राज्यों में से कहीं से चुनाव लड़ा सकती है।