G20 Y20: युवाओं के सहारे साकार होंगे G20 के सपने, नई दुनिया के मानक हो रहे तैयार
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विस्तार
जी-20 दुनिया के आर्थिक-सामरिक तौर पर बेहद सक्षम देशों का एक सामूहिक मंच मात्र नहीं है। यह सबल देशों का एक ऐसा साझा मंच भी है जिसके जरिए उन मूल्यों की पहचान की जा रही है जिन्हें अपनाकर इस दुनिया को सबके लिए ज्यादा बेहतर जगह बनाया जा सके। चूंकि, जी-20 के ये लक्ष्य आने वाले समय में युवा आबादी के जरिए ही जमीन पर उतारे जाएंगे, इन सपनों को साकार करने में युवाओं की भूमिका सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है।
जी-20 पर आयोजित हो रहे कार्यक्रमों यह बात स्पष्ट तौर पर देखने को मिल रही है कि सभी देश दुनिया की बढ़ती समस्याओं पर लगभग एक मत हैं। पर्यावरण प्रदूषण, पृथ्वी का तापमान कम करने और विकास के लिए सबको एक समान अवसर उपलब्ध कराने पर मोटे तौर पर आम सहमति देखने को मिल रही है। पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि पृथ्वी को बचाने के लिए बेहतर तकनीकी को शून्य या न्यूनतम दरों पर गरीब देशों से साझा किया जाना चाहिए, जिससे वे भी विकास के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा में भी साझीदार की भूमिका निभा सकें।
भुवनेश्वर में जी-20 पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ओडिशा के राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 से ही युवाओं को केंद्रित करते हुए विकास की अनेक योजनाओं की शुरुआत की है। इन योजनाओं का अर्थ केवल युवाओं को रोजगार देने तक सीमित नहीं है। इसका वृहद अर्थ युवा आबादी को एक ऐसी दुनिया बनाने के लिए तैयार करना भी है, जहां सबके लिए विकास के समान अवसर हों। उन्होंने कहा कि दुनिया से गैरबराबरी और असमानता दूर करने के लिए नई दुनिया के जिम्मेदार देशों को आगे आना चाहिए।
प्रो. गणेशी लाल ने कहा कि दुनिया के विकास की संकल्पना सबको साथ लेकर आगे चलने में ही समाहित हो सकती है। विकास की ऐसी अवधारणा लंबे समय में फलीभूत नहीं हो सकती, जिसमें एक सशक्त देश या संगठन किसी दूसरे समूह के अधिकारों का हनन करता हो। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकास की संकल्पना में 'सबका साथ, सबका विश्वास और सबका प्रयास' समाहित है।
पर्यावरण हितैषी हो विकास
G20 में युवाओं (Y20) की इसी भूमिका को रेखांकित करते हुए कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (KIIT) के संस्थापक अच्युत सामंत ने कहा कि किसी राष्ट्र-समाज की सफलता के लिए उसके युवाओं का तकनीकी ज्ञान से दक्ष होना बेहद महत्त्वपूर्ण है। इसके लिए जी-20 देशों को आपस में तकनीकी सहयोग बढ़ाने के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार करना चाहिए। विशेषकर उन तकनीकी चीजों को साझा करने को बढ़ावा दिया जाना चाहिए जिनसे दुनिया के प्रदूषण और तापमान को कम करने में मदद मिल सके।
सामाजिक मूल्यों को समाहित करे विकास
कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (KISS) के जरिए लगभग 40 हजार आदिवासी बच्चों को पूर्णतः निःशुल्क शिक्षा दिला रहे बीजू जनता दल के सांसद अच्युत सामंत ने कहा कि किसी देश का विकास उसके अपने सामाजिक मूल्यों को आधार बनाकर ही हासिल किया जा सकता है। यदि विकास के मानक समाज के सामाजिक मूल्यों से टकराएंगे तो समाज उन्हें स्वीकार नहीं करेगा और ऐसे में बदलाव की कोई कोशिश साकार नहीं होगी। इसलिए आवश्यक है कि विकास के मानक समाज और प्रकृति की आधारभूत सोच से पूरी तरह तारतम्य बिठाकर ही आगे बढ़ाए जाएं।
विकसित देशों की जिम्मेदारी भी तय हो
युवा पत्रकारों को संबोधित करते हुए देश के प्रमुख पत्रकार प्रभु चावला ने कहा कि जब भी पर्यावरण की बात होती है, इसकी जिम्मेदारी सबसे ज्यादा भारत जैसे विकासशील देशों पर डाल दी जाती है। विकसित देश अपनी तकनीकी की आड़ में अपनी जिम्मेदारियों से बचना चाहते हैं। भारत जैसे देश आज भी प्रति व्यक्ति के संदर्भ में सबसे कम ऊर्जा खपत कर रहे हैं, इसके बाद भी कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए उन्हीं पर सबसे ज्यादा दबाव डाला जाता है।
उन्होंने कहा कि इस बात के पर्याप्त आधार हैं कि विशेष ताकतों के इशारे पर भारत की नदियों पर बनाए जाने वाले बांधों के बिजली घरों के विरोध में धरना-प्रदर्शन आयोजित कर इसे रोकने के प्रयास किए गए। यही विरोध कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों के मामले में नहीं किए गए जबकि इनसे सबसे ज्यादा प्रदूषण पैदा होता है। उन्होंने कहा कि हमें विकास भी करना है और पृथ्वी के पर्यावरण को बचाने में अपनी भूमिका भी निभानी है। लेकिन इसके लिए जोर-जबरदस्ती कर विकास को प्रभावित नहीं किया जा सकता। इसके लिए स्वैच्छिक तकनीकी सहयोग का सहारा लिया जाना चाहिए।
संगीत भी बना रहा भारत की पहचान
तीन बार ग्रैमी अवार्ड जीतकर भारत का नाम दुनिया में गर्व से ऊंचा करने वाले संगीतकार और गायक रिक्की केज ने कहा कि आज भारत का संगीत पूरी दुनिया में सुना जा रहा है। यह भी अपने आपमें एक सशक्त जरिया है, जिसके माध्यम से हम पूरी दुनिया को अपनी सभ्यता-संस्कृति को सब लोगों तक पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि युवा प्रतिभाओं को इन क्षेत्रों में आकर दुनिया को अपनी अनूठी ज्ञान-भक्ति-संगीत की परंपरा को दिखाना चाहिए।