IndiGo Crisis: इंडिगो मामले में केंद्र सरकार ने दिए उच्च स्तरीय जांच के आदेश, निगरानी के लिए बना नियंत्रण कक्ष
एयरलाइन कंपनी इंडिगो की सेवाओं में आई बाधा के चलते देशभर में उड़ान सेवाओं पर बहुत बुरा असर पड़ा है। देश के कई हवाई अड्डों पर यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है। अब सरकार ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने का आदेश दिया है। इसके साथ ही सरकार की ओर से एक नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किया गया है।
विस्तार
भारत सरकार ने एयरलाइन कंपनी इंडिगो की सेवाओं में आई दिक्कतों की उच्च स्तरीय जांच कराने का फैसला किया है। इसके साथ ही सरकार की ओर से यात्रियों की दिक्कतों को कम करने के लिए 24X7 कंट्रोल रूम बनाया है।इसके अलावा केंद्र सरकार ने इंडिगो को फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन के नए नियमों में राहत दी है। सरकार ने कहा है कि एयर सेफ्टी से कोई समझौता किए बिना, यह फैसला पूरी तरह से यात्रियों के हित में लिया गया है।
इस गड़बड़ी के लिए जिम्मेदारों पर होगी कार्रवाई
उड्डयन मंत्रालय ने कहा है कि भारत सरकार ने इंडिगो की सेवाओं में आई रुकावट की उच्च स्तरीय जांच कराने का फैसला किया है। मंत्रालय ने कहा कि जांच में यह पता लगाया जाएगा कि इंडिगो में क्या गलत हुआ, जहां भी जरूरी होगा वहां जवाबदेही तय की जाएगी और सही कार्रवाई की जाएगी और भविष्य में ऐसी रुकावटों को रोकने के लिए उपाय सुझाए जाएंगे, ताकि यात्रियों को दोबारा ऐसी मुश्किलों का सामना न करना पड़े।
नियंत्रण कक्ष स्थापित किया
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने इंडिगो की चल रही उड़ान सेवा बाधाओं की वास्तविक समय में निगरानी के लिए एक 24×7 नियंत्रण कक्ष (011-24610843, 011-24693963, 096503-91859) स्थापित किया है। मंत्रालय ने कहा कि यह नियंत्रण कक्ष त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई, हितधारकों के बीच प्रभावी समन्वय, और उत्पन्न होने वाले मुद्दों के तत्काल समाधान को सुनिश्चित करेगा। इसका उद्देश्य यात्रियों को होने वाली असुविधा को कम करना और प्रभावित हवाई अड्डों पर सामान्य संचालन को शीघ्र बहाल करना है।
डीजीसीए ने फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन आदेश को स्थगित किया
विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है। मंत्रालय के अनुसार, यह निर्णय केवल यात्रियों के हित में लिया गया है, विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों, छात्रों, मरीजों और उन अन्य व्यक्तियों के लिए जो आवश्यक जरूरतों के लिए समय पर हवाई यात्रा पर निर्भर हैं। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि इस कदम से विमानन सुरक्षा से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा।
मंत्रालय ने आगे कहा, इसके अतिरिक्त कई परिचालन उपाय भी लागू करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि एयरलाइन सेवाएं जल्द से जल्द सामान्य स्थिति में लौट सकें और यात्रियों को होने वाली असुविधा में कमी आए। इन निर्देशों के त्वरित कार्यान्वयन के आधार पर हमें उम्मीद है कि उड़ानों का शेड्यूल कल तक स्थिर होना शुरू हो जाएगा। हमें अनुमान है कि आगामी तीन दिनों में सेवाएं पूरी तरह से बहाल हो जाएंगी।
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क्या हैं FDTL नियम?
पायलट और क्रू सदस्यों के ओवरटाइम और लंबे काम के घंटे देखते हुए नए नियम लागू किए गए हैं। FDTL नियम यह करता है कि एक पायलट कितने समय तक ड्यूटी पर रह सकता है। कितने घंटे उड़ान भर सकता है और दो ड्यूटी के बीच उसे न्यूनतम कितना आराम मिलना चाहिए। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने जनवरी 2024 में अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड और थकान से जुड़े डाटा के आधार पर इन नियमों को अपडेट किया था। जिससे की उड़ान के दौरान सुरक्षा जोखिम को कम किया जा सके।नए नियम के तहत मुख्य बदलाव कुछ इस तरह हैं:
- हर हफ्ते 48 घंटे का लगातार अनिवार्य आराम
- रात में काम करने के घंटे को 00:00-05:00 से बढ़ाकर 00:00-06:00 किया गया
- रात में लैंडिंग सीमा 6 से घटाकर 2 की गई
- लगातार दो नाइट ड्यूटी की अधिकतम सीमा
- थकान संबंधी डाटा की हर तिमाही में रिपोर्टिंग और उसके आधार पर रोस्टर में बदलाव
फिर से चर्चा में क्यों आए ये नियम?
जैसे जैसे एयरलाइंस नए नियमों का पालन कर रहे हैं, पायलट आराम से जुड़े ये नियम उनके ऑपरेशंस पर सीधा असर डाल रहे हैं। नियमों की वजह से एयरलाइंस को ज्यादा पायलटों की जरूरत पड़ रही है। या फिर उन्हें अपने शेड्यूल को दोबारा डिजाइन करना पड़ रहा है। इसी कारण शॉर्ट-टर्म में कैंसिलेशन, देरी और ऑपरेशन कॉस्ट में बढ़ोतरी देखी जा रही है। यही वजह है कि यह मुद्दा सुर्खियों में है।
थकान से जुड़े नियम क्यों महत्वपूर्ण हैं?
वैश्विक एविएशन इंडस्ट्री में पायलट थकान एक बड़ी चुनौती है। सुबह की जल्दी उड़ानें और देर रात की ड्यूटी पायलटों पर अतिरिक्त दबाव डालती हैं। भारत के नए नियम अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हैं। और इन्हें इसलिए लागू किया गया ताकि पायलटों को पर्याप्त आराम मिले और उड़ानों की सुरक्षा बरकरार रहे। हालांकि एयरलाइंस के लिए खुद को इस नियम के तहत इतनी जल्दी ढालना आसान नहीं होगा।
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