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Keshav Maurya on SIR: Angered by his opponents, Keshav Prasad Maurya issued a major warning to Rahul and Akhil
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Keshav Maurya on SIR: विरोधियों पर भड़के केशव प्रसाद ने मौर्य राहुल-अखिलेश को दी ये बड़ी चेतावनी
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: भास्कर तिवारी Updated Fri, 05 Dec 2025 03:55 PM IST
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SIR के मुद्दे पर विपक्ष ने मोर्चा खोल रखा है, तो वहीं सत्ताधारी दल के नेता विपक्ष के नीयत पर सवाल उठा रहे हैं।जबकि विपक्षी दलों के नेता सरकार के दावों को मानने के लिए तैयार नहीं है। यही कारण है कि इस मामले पर सियासी जंग छिड़ी हुई है. वहीं उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, "राहुल गांधी, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, इनका जो लगातार गैर जिम्मेदाराना बयान है, इन्होंने स्वंय तो SIR के अभियान में अपने कार्यकर्ताओं को लगाया हुआ है और बाहर इसका विरोध भी कर रहे हैं। वो जनता को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे भाजपा समर्थक मतदाता SIR का हिस्सा ना बनें लेकिन मैं सबसे अपील करूंगा कि BLO अपने कर्तव्य का पालन करें और मतदाता अपना SIR फॉर्म समय से भरने का काम करें। यह प्रक्रिया बहुत अच्छे ढंग से चल रही है
केशव प्रसाद मौर्य ने स्पष्ट किया है कि SIR (Special Intensive Revision) निर्वाचन आयोग की एक नियमित और संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसका मुख्य उद्देश्य सही और शुद्ध मतदाता सूची तैयार करना है। इस प्रक्रिया के तहत मृतकों, स्थान बदल चुके लोगों, और फर्जी/घुसपैठिए मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जाते हैं, जबकि 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके युवाओं के नाम जोड़े जाते हैं।
उन्होंने विपक्ष के इस अभियान के विरोध को उनकी बौखलाहट का परिणाम बताया है। मौर्य का कहना है कि जो दल फर्जी मतदाताओं के सहारे राजनीति करते हैं, उन्हें इस अभियान से नुकसान होने का डर है, इसलिए वे "मन में चोर" होने के कारण इसका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सपा, कांग्रेस और टीएमसी जैसे दल रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करते रहे हैं और SIR उनके लिए खतरा है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव के इस बयान पर कि "वोट नहीं तो आरक्षण नहीं", केशव प्रसाद मौर्य ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है और वे अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं। मौर्य ने जोर देकर कहा कि SIR एक चुनावी प्रक्रिया है, जिसका आरक्षण खत्म करने या संविधान से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अखिलेश यादव खुद को 2027 में सत्ता के करीब देख रहे थे, लेकिन बिहार चुनाव के नतीजों के बाद उनकी यह संभावना 2047 तक समाप्त हो गई है।
उप मुख्यमंत्री ने मतदाता सूची के पुनरीक्षण का काम कर रहे बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) से भी खास अपील की है। उन्होंने बीएलओ से कहा है कि वे कांग्रेस नेता राहुल गांधी, अखिलेश यादव और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जैसे नेताओं के बहकावे में न आएं और हिम्मत के साथ अपने कर्तव्य का पालन करें। उन्होंने बीएलओ की आत्महत्या की खबरों पर दुख व्यक्त किया और कहा कि आत्महत्या किसी समस्या का समाधान नहीं है, और यह अभियान लोकतंत्र की मजबूती के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
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