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सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी: 'मंदिर का पैसा अराध्य का है, बैंकों को बचाने के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते'
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: राहुल कुमार
Updated Fri, 05 Dec 2025 03:49 PM IST
सार
सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि किसी मंदिर-देवता की संपत्ति के रूप में मानी जाने वाली धनराशि का उपयोग आर्थिक संकट से जूझ रहे सहकारी बैंकों को संभालने के लिए नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी सहकारी बैंकों की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान की।
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सुप्रीम कोर्ट (फाइल तस्वीर)
- फोटो : ANI
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विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि किसी मंदिर के अराध्य के धन का उपयोग वित्तीय संकटग्रस्त सहकारी बैंकों को सहारा देने के लिए नहीं किया जा सकता। सीजेआई सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने यह कड़ी टिप्पणियां कुछ सहकारी बैंकों द्वारा दायर अपील पर सुनवाई के दौरान कीं। अपील में केरल हाईकोर्ट के उस निर्देश को चुनौती दी गई थी, जिसमें बैंकों से थिरुनेल्ली मंदिर देवास्वोम को जमा राशि लौटाने को कहा गया था।
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सीजेआई की सख्त टिप्पणी
न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मंदिर का धन वहां के अराध्य का है और इसलिए इस धन को केवल मंदिर के हितों के लिए ही बचाया, संरक्षित और उपयोग किया जाना चाहिए तथा यह किसी सहकारी बैंक के लिए आय या जीवनयापन का स्रोत नहीं बन सकता। मनंतवाडी को-ऑपरेटिव अर्बन सोसाइटी लिमिटेड और थिरुनेल्ली सर्विस को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिकाएं दायर की थी जिसपर सीजेआई की पीठ ने सुनवाई की।
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सुप्रीम कोर्ट की बैंकों को फटकार
हाईकोर्ट ने पांच सहकारी बैंकों को निर्देश दिया था कि वे देवस्वओम की सावधि जमा राशि को बंद कर दो महीने के भीतर पूरी राशि वापस कर दें, क्योंकि बैंकों ने परिपक्व जमा राशि जारी करने से बार-बार इनकार कर दिया था। पीठ ने बैंकों की इस दलील से असहमति जताई कि उच्च न्यायालय के अचानक दिये गए निर्देश से कठिनाइयां पैदा हो रही हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि बैंकों को लोगों के बीच अपनी विश्ववसनीयता स्थापित करनी चाहिए। पीठ ने सहकारी बैंकों को कहा, अगर आप ग्राहकों से जमा आकर्षित कराने में अक्षम हैं तो यह आपकी समस्या है। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
यह मामला थिरुनेल्ली देवस्वोम की उस याचिका से उत्पन्न हुआ था, जिसमें कई सहकारी बैंकों द्वारा बार-बार अनुरोध के बावजूद मंदिर की सावधि जमा राशि न लौटाने की शिकायत की गई थी। बता दें कि हाईकोर्ट ने थिरुनेल्ली सर्विस को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सुशीला गोपालन स्मारक महिला सहकारी सोसायटी लिमिटेड, मनंथवाडी को-ऑपरेटिव रूरल सोसाइटी लिमिटेड, मनंथवाडी को-ऑपरेटिव अर्बन सोसाइटी लिमिटेड और वायनाड टेंपल एम्प्लॉइज़ को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड को दो महीने के भीतर धनराशि लौटाने का निर्देश दिया था।