Indigo Crisis: इंडिगो की लापरवाही...दादागिरी या दबाव की रणनीति, जानें फ्लाइट रद्द होने के पीछे क्या है गेम?
इंडिगो की अबतक सैकड़ों उड़ानें रद्द हो चुकी हैं। जिसके चलते हजारों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अचानक आए इस संकट के लिए एविएशन सेक्टर के जानकार इंडिगो को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
विस्तार
इन दिनों देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो गहरे संकट में है। कई दिनों से उसकी सैकड़ों फ्लाइटें लगातार रद्द हो रही हैं, जिससे बड़े एयरपोर्ट्स पर अफरा-तफरी का माहौल है। कई जगह गुस्साए यात्रियों ने हंगामा भी किया। फ्लाइट कैंसिल होने के बाद यात्रियों को दूसरी उड़ानें बुक करने के लिए कई गुना ज्यादा किराया चुकाना पड़ रहा है। एविएशन सेक्टर के जानकार भी इस संकट के लिए इंडिगो को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि यह पूरी स्थिति एयरलाइन की लापरवाही का नतीजा है, जिसे आम यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। समय रहते इंडिगो तैयारी कर लेती तो हालात इतने नहीं बिगड़ते।
इंडिगो संकट पर अमर उजाला डिजिटल ने इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स की एविएशन एंड टूरिज्म एक्सपर्ट कमेटी के चेयरमैन डॉ.सुभाष गोयल से बातचीत की। उन्होंने कहा कि इंडिगो की यह पूरी रणनीति सरकार पर दबाव बनाने की है, क्योंकि उसे पता है कि देश में सबसे बड़ा एयरक्राफ्ट बेड़ा उसके पास है और घरेलू उड़ानों में उसका हिस्सा 60 प्रतिशत से ज्यादा है। उनका कहना है कि फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन के नए नियम लागू होने के बाद बाकी सभी एयरलाइंस ने अपना स्टाफ बढ़ा लिया, लेकिन इंडिगो ने ऐसा नहीं किया। जब सरकार ने दबाव बनाया तो कंपनी ने संचालन कम करना और ठप्प करना शुरू कर दिया,जिससे यात्रियों की दिक्कतें बढ़ीं।
डॉ. गोयल बताते है कि, इंडिगो को समय रहते पायलट और क्रू की अतिरिक्त भर्ती करनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज किया। इंडिगो को भरोसा था कि काम चल जाएगा। लेकिन जब वह काम नहीं चल सका तो उन्होंने दबाव और दादागिरी से काम चलाने की रणनीति अपनाई। थोड़े दिन उन्होंने अपना काम दादागिरी के साथ चला भी लिया। लेकिन यात्रियों की परेशानी बढ़ी तो सरकार को ही अपना फैसला लेना पड़ा। साफ तौर पर दिखाई दे रहा है कि यह दबाव बनाने का तरीका है। सरकार को ऐसी एयरलाइन कंपनियों की ऐसी रणनीतियों के आगे नहीं झुकना चाहिए। आज यात्रियों की दिक्कतों को देखते हुए डीजीसीए और एफडीटीएल नियमों में ढील जरूर दी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि एयरलाइंस भविष्य में भी ऐसा नाटक दोहराती रहें। सरकार को ऐसे कदम पहले ही उठाने चाहिए जिससे भविष्य में कोई भी एयरलाइन ऑपरेशनल दबाव बनाकर यात्रियों को परेशान न करे।
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उन्होंने कहा, इस पूरे घटनाक्रम से इंडिगो की गुडविल को बड़ा नुकसान हुआ है। इंडिगो अगर इसी क्रू के साथ व्यवस्थित तरीके से काम करेगी तो लंबे समय में उसे फायदा भी मिलेगा। लेकिन आज आम यात्रियों को जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई कौन करेगा? गोयल कहते है, हाल ही में हुई दुर्घटनाओं को देखते हुए मंत्रालय और डीजीसीए ने जो नियम बनाए है, वह सही है। इसमें उनकी कोई गलती नहीं है। पूरी चूक इंडिगो की है क्योंकि उन्होंने पायलट और क्रू की संख्या नहीं बढ़ाई। इंडिगो जितने फ्लाइट ऑपरेशन जारी रख सकती थी उन्हें कम से कम उतने तो जारी रखने चाहिए थे। ताकि यात्रियों की परेशानी कम होती,लेकिन एयरलाइन ने अपनी मनमर्जी से एक के बाद एक उड़ानें रद्द कर दीं। इसका खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ा।
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