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जलवायु परिवर्तन: अनुमान से अधिक तेजी से पिघल रहे ग्लेशियर, बिना बर्फ दिखने लगीं एंडीज पर्वत की चट्टानें
अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
Published by: दीपक कुमार शर्मा
Updated Sun, 04 Aug 2024 05:03 AM IST
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सार
बोस्टन कॉलेज के शोधकर्ताओं ने साइंस जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा है कि इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि ये ग्लेशियर पिछले 11,000 सालों की तुलना में अब बहुत छोटे हो गए हैं। वैज्ञानिकों ने पूर्वानुमान लगाया है कि ग्लेशियर पिघलेंगे या पीछे हटेंगे, क्योंकि उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में तापमान बढ़ रहा है।

ग्लेशियर (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो : Istock
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विस्तार
दुनियाभर में ग्लेशियर अनुमान से अधिक तेजी से पिघल रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण पेरू के एंडीज पर्वत की प्राचीन काल से बर्फ से ढकी चट्टानें अब बिना बर्फ के दिखने लगी हैं। होलोसीन युग यानी 11,700 सालों से अधिक पुराने उष्णकटिबंधीय ग्लेशियर अब सिकुड़ गए हैं। इससे पता चलता है कि उष्णकटिबंधीय इलाके पहले से ही होलोसीन युग की सीमाओं को पार कर चुके हैं।

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बोस्टन कॉलेज के शोधकर्ताओं ने साइंस जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा है कि इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि ये ग्लेशियर पिछले 11,000 सालों की तुलना में अब बहुत छोटे हो गए हैं। वैज्ञानिकों ने पूर्वानुमान लगाया है कि ग्लेशियर पिघलेंगे या पीछे हटेंगे, क्योंकि उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में तापमान बढ़ रहा है। एंडीज पर्वत में चार ग्लेशियरों के आस-पास की चट्टानों के नमूनों के विश्लेषण से पता चलता है कि ग्लेशियरों के पीछे हटने की घटना बहुत तेजी से हो रही है। इस तरह ग्लेशियरों के पीछे हटने का बड़ा कारण तापमान में वृद्धि है। रिपोर्ट के अनुसार कम बर्फबारी या बादलों के आवरण में बदलाव के विपरीत उष्णकटिबंधीय इलाके पहले से ही अपने होलोसीन सीमा से बाहर और एंथ्रोपोसीन में पहुंच कर गर्म हो चुके हैं।
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रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के अधिकतर ग्लेशियर अनुमान से कहीं ज्यादा तेजी से पीछे हट रहे हैं। यह जलवायु में बदलाव के कारण होने वाली एक गंभीर घटना है। दुनियाभर में पिछली सदी से ग्लेशियर पीछे हट रहे हैं लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि पिछले कई सहस्राब्दियों में प्राकृतिक उतार-चढ़ाव की सीमा की तुलना में इस समय पीछे हटने की दर क्या है। टीम ने यह जानने का प्रयास किया कि पिछले 11,000 सालों में उनकी सीमा की तुलना में आज उष्णकटिबंधीय ग्लेशियर कितने छोटे रह गए हैं।
वैज्ञानिकों ने मौका मुआयना कर निकाला निष्कर्ष
शोधकर्ताओं ने कोलंबिया, पेरू और बोलीविया की यात्रा की, ताकि उष्णकटिबंधीय एंडीज में फैले चार पिघलते ग्लेशियरों के रसायन विज्ञान को मापा जा सके। दो दुर्लभ समस्थानिक (आइसोटोप), बेरिलियम-10 और कार्बन-14 की सतहों में तब बनते हैं जब वे बाहरी अंतरिक्ष से ब्रह्मांडीय विकिरण के संपर्क में आते हैं। चट्टानों के इन समस्थानिकों की मात्रा को मापकर यह निर्धारित किया जा सकता है कि अतीत में ये चट्टानें कितने समय तक बिना बर्फ के रहीं थीं जो हमें बताता है कि ग्लेशियर आज की तुलना में कितनी बार इनका आकार घटा।