ऐतिहासिक जीएसटी कानून का रास्ता साफ, एक जुलाई से लागू करने का है लक्ष्य

करीब 14 साल पहले शुरू की गई अप्रत्यक्ष कर सुधार की मुहिम पर लोकसभा ने बुधवार रात सहमति की मुहर लगा दी है। चार पूरक बिलों के लोकसभा में पारित होने के साथ ही देश भर में एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून को लागू करने का रास्ता पूरी तरह से साफ हो गया है। अब मात्र राज्यसभा की औपचारिकताओं के बाद राष्ट्रपति की मुहर लगते ही जीएसटी बिल कानूनी जामा पहन लेगा।

सरकार का नई एकीकृत कर व्यवस्था जीएसटी कानून को 1 जुलाई से लागू करने का लक्ष्य है। बुधवार को जीएसटी से संबंधित चार पूरक बिलों- सेंट्रल जीएसटी, इंटिग्रेटेड जीएसटी, राज्यों को क्षतिपूर्ति दिलाने वाला जीएसटी, और केंद्र शासित प्रदेश जीएसटी बिल को सदन में पेश करने के बाद हुई मैराथन चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि गरीबों के हितों की रक्षा हेतु खाद्यान्न पर किसी प्रकार का कर लगाने का प्रावधान नहीं है।
जबकि लग्जरी और सेहत के लिए हानिकारक वस्तुओं जैसे बीएमडब्ल्यू गाड़ियां अथवा पान मसाला और तंबाकू जैसी चीजों पर बतौर सेस अतिरिक्त कर लगेगा। हालांकि अभी विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं को कर के चार स्लैबों में समाहित करना बाकी है।
मगर सरकार के सूत्रों के अनुसार जरूरत और आम आदमी के इस्तेमाल में आने वाली वस्तुओं के मूल्यों में कमी होने की संभावना है। जबकि लगभग हर प्रकार की सेवाएं, खास कर रेस्टोरेंट में खाना और घूमना-फिरना महंगा होगा।
चर्चा के दौरान वित्त मंत्री ने बताया कि पेट्रोल-डीजल और रियल एस्टेट आदि में सहमति नहीं बन पाने के कारण फिलहाल इन्हें जीएसटी के दायरे में नहीं रखा गया है। मगर इन्हें भविष्य में जीएसटी के दायरे में बगैर किसी संविधान संशोधन के जीएसटी काउंसिल की सहमति से लाया जा सकता है। जीएसटी काउंसिल 29 राज्यों दो केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों की स्थायी संस्था है। जिसमें राज्य का दो तिहाई और केंद्र का एक तिहाई प्रतिनिधित्व होता है।
वित्त मंत्री ने सदन को आश्वस्त किया कि नई कर व्यवस्था के लागू होते ही भांति-भांति के करों से मसलन एक्साइज ड्यूटी, वैट, मनोरंजन कर, लग्जरी कर, एंट्री कर, परचेज कर जैसी चीजें खत्म हो जाएंगी। हालांकि लग्जरी वस्तुओं पर तकरीबन 5 साल तक सेस लगा रह सकता है। जो कि नई व्यवस्था में कर घाटा उठाने वाले राज्यों की क्षतिपूर्ति के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
व्यापारियों और उद्योगों के लिए इस नई व्यवस्था में उन्हें अभी की तरह विभिन्न कर अधिकारियों का सामना नहीं करना होगा। बल्कि एक व्यापारी को सिर्फएक कर अधिकारी से ही डील करना होगा। जिससे कर व्यवस्था बहुत ही सरल और पारदर्शी हो जाएगी।
इसके अलावा एकीकृत बाजार में वस्तु एवं सेवाओं की गतिशीलता सुगम हो जाएगी। इस व्यवस्था से वस्तु एवं सेवाएं जो कई राज्यों से कई तरह के करों का बोझ ढोते हुए उपभोक्ताओं पर आती थी, वह नई व्यवस्था से सस्ती हो जाएगी। क्योंकि इस नई व्यवस्था में करों के ऊपर कर नहीं लगाया जा सकेगा।
बहस के दौरान जेटली ने बताया कि कृषि को बिल में खासकर परिभाषित किया गया है, जिससे इनसे जुड़े किसानों को जीएसटी के पंजीकरण से भी बाहर रखा जाए। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि फार्म क्षेत्र के अधिकांश चीजों पर शून्य कर दर लागू होगा।
अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में सुधार के प्रयास की शुरुआत 2003 में वाजपेयी सरकार ने केलकर टास्क फोर्स बना कर की थी। उसके बाद कांग्रेस की मनमोहन सरकार ने भी इसे लागू करने का प्रयास किया। अंतत: मोदी सरकार को इस बिल को कानूनी रूप देने में सफलता हासिल हुई।
जम्मू-कश्मीर में नहीं लागू होगा जीएसटी कानून
विशेष राज्य का दर्जा होने केकारण जम्मू कश्मीर में जीएसटी कानून तत्काल लागू नहीं होगा। वित्त मंत्री ने कहा कि कर सुधार का लाभ हासिल करने के लिए जम्मू कश्मीर विधानसभा चाहे तो इससे जुड़ा बिल पारित करा कर कानून बना सकती है।
गृहिणियां किस तरह होंगी प्रभावित

जीएसटी के लागू होने से घरेलू महिलाओं का जीवन सुखमय होने वाला है क्योंकि उनके दैनिक जीवन में काम आने वाली अधिकतर वस्तुओं पर या तो इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा या सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
उनके रोज के उपयोग के आटा, दाल, चावल, नमक, तेल आदि पर कोई टैक्स नहीं लगता है। कुछ प्रोसेस्ड चीजों पर कर लगता भी है तो वह मामूली है। देखा जाए तो जीएसटी के लागू होने से परिवहन व्यय घटेगा और इससे गृहणियों के दैनिक उपयोग की चीजें सस्ती होंगी।
किसानों पर क्या होगा असर

वे सस्ते ढुलाई खर्च का लाभ उठा कर वहां अपनी उपज बेचेंगे, जहां उपज की बेहतर कीमत मिलेगी। हालांकि पेट्रोलियम पदार्थों के जीएसटी के दायरे से बाहर रहने की वजह से उर्वरकों के सस्ता होने की संभावना नहीं है क्योंकि रासायनिक उर्वरक बनाने में पेट्रोलियम पदार्थों का इनपुट के रूप में उपयोग होता है। खेती-बाड़ी में काम आने वाले ट्रैक्टर और अन्य तरह की मशीनरी के सस्ता होने की संभावना है।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए क्या है जीएसटी में

वरिष्ठ नागरिकों पर जीएसटी का मिला-जुला असर पड़ेगा। एक तरफ उन्हें दैनिक उपयोग की वस्तुएं सस्ती मिलेंगी तो दूसरी ओर लगभग सभी किस्म की सेवाएं महंगी हो जाएंगी।
इस समय सेवा कर की दर 15 फीसदी है, जो जीएसटी में बढ़ कर 18 फीसदी तक पहुंच जाने की संभावना है। वरिष्ठ नागरिकों की ज्यादा उम्र की वजह से उन्हें ढेर सारे कार्यों के लिए दूसरे की सेवा की आवश्यकता पड़ती है। हालांकि उनके लिए मोटरवाहन खरीदना आसान हो जाएगा क्योंकि उनकी कीमतों में कमी होने की संभावना है।
पेशेवरों को पड़ेगा महंगा

जीएसटी लागू होना चार्टर्ड अकाउंटेंट, चार्टर्ड सेक्रेटरी और कुछ अन्य पेशेवरों को महंगा पड़ेेगा क्योंकि सप्लाई ऑफ सर्विसेज पर जीएसटी लगने से पेशेवर भी इसके दायरे में आएंगे।
इससे कई राज्यों में सेवा दे रहे प्रोफेशनलों को तो कुछ ज्यादा ही परेशानी होगी क्योंकि उन्हें हर राज्य में अलग-अलग रजिस्ट्रेशन कराना होगा। अभी इनका रजिस्ट्रेशन केंद्रीयकृत होता है। यही नहीं, इन्हें रिटर्न भी अलग-अलग राज्य में उसी तरह दाखिल करना होगा, जैसे रजिस्ट्रेशन।
किराना स्टोर वालों पर कैसा होगा असर
किराना स्टोर वालों को जीएसटी लागू होने से फायदा होगा। चूंकि जीएसटी लागू होने से एफएमसीजी क्षेत्र को फायदा होगा, इसलिए माना जा रहा है कि एफएमसीजी वस्तुओं की कीमतें घटेंगी।
जब वस्तुओं की कीमतें घटेंगी तो उनकी बिक्री बढ़ेगी। यही नहीं, पूरा देश एक बाजार हो जाने से लोग अपने पड़ोस के किराना स्टोर से ही सामान खरीदना पसंद करेंगे, बजाय बड़े या मुख्य बाजार जाने के।
पर्यटक कैसे होंगे प्रभावित

इस वजह से ये यात्राएं भी महंगी होगी। इसके साथ ही रेस्तरां में खाना-पीना और पर्यटन से जुड़े अन्य स्थानों पर भी टिकट की कीमत बढ़ जाएगी क्योंकि उन पर भी सेवा कर देय होता है।
किस सेक्टर को होगा सबसे अधिक लाभ?
लॉजिस्टिक कंपनियों को सीधे तौर पर लाभ होगा, क्योंकि अब देशभर में माल ढुलाई आसान हो जाएगी। अन्य सेक्टरों का लाभ जीएसटी पर और विवरण आने पर स्पष्ट होगा।
कर्मचारी-नियोक्ता संबंध जीएसटी के दायरे में
कर्मचारियों को सीटीसी के अतिरिक्त मुफ्त दी जाने वाली वस्तु एवं सेवाओं पर जीएसटी देय हो सकता है। यदि कर्मचारी को निजी उपयोग के लिए कंपनी की कोई संपत्ति जैसे कार दी जाती है, तो इसे वस्तु एवं सेवा की आपूर्ति माना जाएगा और इस पर जीएसटी लग सकता है। हालांकि कर्मचारियों को पूरे वित्त वर्ष में एक निश्चित मूल्य तक के दिए जाने वाले उपहारों को वस्तु एवं सेवा की आपूर्ति के रूप में नहीं देखा जाएगा। इसके साथ ही कर्मचारियों को कई तरह की सुविधाओं की आपूर्ति पर इनपुट टैक्स क्रेडिट उपलब्ध नहीं होगा। इन सुविधाओं में जीवन और स्वास्थ्य बीमा भी शामिल हैं।
जीएसटी लागू करने की चुनौतियां?
करों में व्यापक तौर पर बदलाव होगा। प्रक्रियाएं बदलेंगी। नए फॉर्म होंगे। इसलिए कार्यान्वयन एक बड़ी चुनौती होगी। शुरू में कुछ बाधाएं आ सकती हैं। कंपनियां इस बात पर स्पष्टता चाहती हैं कि मौजूदा कर छूट क्या आगे भी मिलती रहेगी। इसके साथ ही उनका कहना है कि उन्हें तकनीक और अनुपालन संरचना तैयार करने के लिए समुचित समय चाहिए। हालांकि जेम्स और ज्वेलरी सेक्टर ने जीएसटी को लागू करने के लिए अपनी तैयारी सुनिश्चित कर लेने की सूचना दी है।
पहली बार कहां लागू हुआ जीएसटी
फ्रांस में सबसे पहले 1954 में लागू हुआ था जीएसटी। दुनियाभर के 160 देशों में जीएसटी कर की प्रणाली लागू है। इनमें एशिया के 19 देश तो यूरोप के 53 देश शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र से बाहर के 8 देशों में भी जीएसटी लागू है।