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Hathras Stampede: कैसे टाली जा सकती हैं भगदड़ की घटनाएं, जानें राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की गाइडलाइंस?
स्पेशल डेस्क, अमर उजाला
Published by: शिवेंद्र तिवारी
Updated Wed, 03 Jul 2024 02:57 PM IST
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भीड़ प्रबंधन
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विस्तार
उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में मंगलवार को बड़ा हादसा हो गया। जिले के सिकंदराराऊ थाना क्षेत्र के फुलरई गांव में आयोजित भोले बाबा के सत्संग के दौरान भगदड़ मच गई। इस दौरान भगदड़ में महिलाओं और बच्चों समेत 124 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए हैं।इस घटना के बाद कार्यक्रम के आयोजकों पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। अब पुलिस ने सत्संग कार्यक्रम के मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर और अन्य आयोजकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। एफआईआर से यह बात सामने आई है कि आयोजकों ने 'सत्संग' में आने वाले भक्तों की वास्तविक संख्या छिपाई। इसके साथ ही आयोजकों की ओर से ट्रैफिक मैनेजमेंट का कोई इंतजाम नहीं किया गया था।
हालांकि, बड़े आयोजनों में इस तरह की पहली घटना नहीं है। पिछले साल मार्च में इंदौर शहर के एक मंदिर में रामनवमी के अवसर पर आयोजित हवन कार्यक्रम के दौरान एक प्राचीन बावड़ी के ऊपर बनी स्लैब ढह जाने से कम से कम 36 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं, जनवरी 2022 में जम्मू-कश्मीर स्थित प्रसिद्ध माता वैष्णो देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण मची भगदड़ में कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई थी और एक दर्जन से अधिक घायल हुए थे।
आइये जानते हैं कि भगदड़ की घटनाओं को कैसे टाला जा सकता है? भीड़ के प्रबंधन के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए? आयोजनों में किन बातों का ख्याल रखना चाहिए?

हाथरस हादसे की तीन मुख्य वजह
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भीड़ की घटनाएं
धार्मिक स्थलों, रेलवे स्टेशनों, खेल/सामाजिक/राजनीतिक आयोजनों आदि सहित सामूहिक समारोहों के स्थानों पर बार-बार होने वाली भगदड़ आज एक बड़ी चिंता का विषय है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) का मानना है कि जनसंख्या विस्फोट, शहरीकरण, धार्मिक समागमों, मॉल आदि में बहुत से लोगों के जाने के कारण ऐसी घटनाओं में वृद्धि होने की आशंका है। एनडीएमए ने सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ और आपदा प्रबंधन के लिए 'भीड़ प्रबंधन' नामक दस्तावेज में कुछ दिशानिर्देश जारी किए हैं। संस्था का मानना है कि भीड़ से होने वाली आपदाएं आमतौर पर मानव निर्मित आपदाएं होती हैं, जिन्हें अच्छी तरह से प्रशिक्षित कर्मियों द्वारा सक्रिय योजना से पूरी तरह से रोका जा सकता है। इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य सामूहिक समारोहों के स्थानों पर प्रभावी भीड़ प्रबंधन के लिए आयोजकों, प्रशासकों और अन्य हितधारकों का मार्गदर्शन करना है।
धार्मिक स्थलों, रेलवे स्टेशनों, खेल/सामाजिक/राजनीतिक आयोजनों आदि सहित सामूहिक समारोहों के स्थानों पर बार-बार होने वाली भगदड़ आज एक बड़ी चिंता का विषय है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) का मानना है कि जनसंख्या विस्फोट, शहरीकरण, धार्मिक समागमों, मॉल आदि में बहुत से लोगों के जाने के कारण ऐसी घटनाओं में वृद्धि होने की आशंका है। एनडीएमए ने सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ और आपदा प्रबंधन के लिए 'भीड़ प्रबंधन' नामक दस्तावेज में कुछ दिशानिर्देश जारी किए हैं। संस्था का मानना है कि भीड़ से होने वाली आपदाएं आमतौर पर मानव निर्मित आपदाएं होती हैं, जिन्हें अच्छी तरह से प्रशिक्षित कर्मियों द्वारा सक्रिय योजना से पूरी तरह से रोका जा सकता है। इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य सामूहिक समारोहों के स्थानों पर प्रभावी भीड़ प्रबंधन के लिए आयोजकों, प्रशासकों और अन्य हितधारकों का मार्गदर्शन करना है।

हाथरस में बड़ा हादसा
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अमर उजाला
क्यों होती हैं भगदड़ की घटनाएं?
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने भगदड़ की घटनाओं के कारणों को मोटे तौर पर छह श्रेणियों में वर्गीकृत किया है। इनमें संरचनात्मक, आग/बिजली, भीड़ नियंत्रण, भीड़ का व्यवहार, सुरक्षा और विभिन्न हितधारकों के बीच समन्वय की कमी शामिल है।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने भगदड़ की घटनाओं के कारणों को मोटे तौर पर छह श्रेणियों में वर्गीकृत किया है। इनमें संरचनात्मक, आग/बिजली, भीड़ नियंत्रण, भीड़ का व्यवहार, सुरक्षा और विभिन्न हितधारकों के बीच समन्वय की कमी शामिल है।

हाथरस में बड़ा हादसा
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अमर उजाला
भगदड़ की घटनाओं को कैसे टाला जा सकता है?
एनडीएएमए का कहना है कि विशाल सभाओं में अनिश्चितता का माहौल बना रहता है। भीड़ एक पल में भगदड़ का रूप ले सकती है और इसके कारण लोग हताहत हो सकते हैं। भीड़ बेबुनियाद अफवाहों में आ सकती है या फिर झुंड जैसी मानसिकता अपना सकती है। एक बार भड़क जाने के बाद, लोगों की इस अस्थिर भीड़ को नियंत्रित करना बहुत मुश्किल होता है। इसलिए, यह जरूरी है कि इन पंडालों और समारोहों के आयोजक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरल सावधानियां बरतें।
एनडीएएमए का कहना है कि विशाल सभाओं में अनिश्चितता का माहौल बना रहता है। भीड़ एक पल में भगदड़ का रूप ले सकती है और इसके कारण लोग हताहत हो सकते हैं। भीड़ बेबुनियाद अफवाहों में आ सकती है या फिर झुंड जैसी मानसिकता अपना सकती है। एक बार भड़क जाने के बाद, लोगों की इस अस्थिर भीड़ को नियंत्रित करना बहुत मुश्किल होता है। इसलिए, यह जरूरी है कि इन पंडालों और समारोहों के आयोजक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरल सावधानियां बरतें।

हाथरस में सत्संग के दौरान दर्दनाक हादसा
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भीड़ के प्रबंधन के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए?
आपदा प्रबंधन संस्था ने अपने दिशानिर्देशों में बताया है कि पहला कदम पंडालों और कार्यकम स्थलों के मैदानों के आसपास के इलाकों में यातायात को नियंत्रित करना। पैदल चलने वालों के लिए, कार्यक्रम स्थल तक पहुंचने के लिए रास्ते का मानचित्र और आपातकालीन निकास मार्ग महत्वपूर्ण बिंदुओं पर लगाए जाने चाहिए। बढ़ती भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कतार में लोगों की आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए बैरिकेडिंग करना महत्वपूर्ण है।
आयोजकों को आवाजाही पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाने चाहिए और झपटमारी तथा अन्य छोटे-मोटे अपराधों के जोखिम को कम करने के लिए पुलिस की मौजूदगी भी रखनी चाहिए। एनडीएमए के मुताबिक, अनधिकृत पार्किंग और पैदल यात्रियों की जगह पर कब्जा करने वाले अस्थायी स्टॉल पर भी ध्यान देने की जरूरत है।
चिकित्सा संबंधी आपातस्थितियां कार्यकम स्थलों पर हो सकती हैं। आपातकालीन स्थिति में एम्बुलेंस और स्वास्थ्य सेवा पेशेवर लोगों की जान बचा सकते हैं। दिशानिर्देशों में बताया है कि मौज-मस्ती करने वालों के लिए, बाहर निकलने के रास्तों से खुद को परिचित करना, शांत रहना और निर्देशों का पालन करना भगदड़ जैसी स्थितियों को रोकने में मदद करेगा।
भगदड़ मच जाए तो क्या करें?
अगर भगदड़ मच जाए, तो अपने हाथों को बॉक्सर की तरह रखकर अपनी छाती को सुरक्षित रखें और भीड़ की दिशा में आगे बढ़ते रहें। खुली जगहों के प्रति सतर्क रहें और जहां भी भीड़ कम हो, वहां बगल में जाएं। दीवारों, बैरिकेड्स या दरवाजों जैसी बाधाओं से दूर रहें। अपने पैरों पर खड़े रहें और अगर आप गिरते हैं तो जल्दी से उठ जाएं। अगर आप इस प्रक्रिया में घायल हो जाते हैं और उठ नहीं पाते हैं, तो अपने सिर को ढकने के लिए अपनी बाहों का इस्तेमाल करें और उलटी तरफ मुड़ जाएं ताकि आपका जोखिम कम हो।
पंडालों में अनियोजित और अनधिकृत बिजली के तार, खाने-पीने की दुकानों पर एलपीजी सिलेंडर और आग लगने का खतरा पैदा करते हैं। आसपास की घनी भीड़ को देखते हुए आग लगने की ये घटनाएं जानलेवा हो सकती हैं।
आपदा प्रबंधन संस्था ने अपने दिशानिर्देशों में बताया है कि पहला कदम पंडालों और कार्यकम स्थलों के मैदानों के आसपास के इलाकों में यातायात को नियंत्रित करना। पैदल चलने वालों के लिए, कार्यक्रम स्थल तक पहुंचने के लिए रास्ते का मानचित्र और आपातकालीन निकास मार्ग महत्वपूर्ण बिंदुओं पर लगाए जाने चाहिए। बढ़ती भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कतार में लोगों की आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए बैरिकेडिंग करना महत्वपूर्ण है।
आयोजकों को आवाजाही पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाने चाहिए और झपटमारी तथा अन्य छोटे-मोटे अपराधों के जोखिम को कम करने के लिए पुलिस की मौजूदगी भी रखनी चाहिए। एनडीएमए के मुताबिक, अनधिकृत पार्किंग और पैदल यात्रियों की जगह पर कब्जा करने वाले अस्थायी स्टॉल पर भी ध्यान देने की जरूरत है।
चिकित्सा संबंधी आपातस्थितियां कार्यकम स्थलों पर हो सकती हैं। आपातकालीन स्थिति में एम्बुलेंस और स्वास्थ्य सेवा पेशेवर लोगों की जान बचा सकते हैं। दिशानिर्देशों में बताया है कि मौज-मस्ती करने वालों के लिए, बाहर निकलने के रास्तों से खुद को परिचित करना, शांत रहना और निर्देशों का पालन करना भगदड़ जैसी स्थितियों को रोकने में मदद करेगा।
भगदड़ मच जाए तो क्या करें?
अगर भगदड़ मच जाए, तो अपने हाथों को बॉक्सर की तरह रखकर अपनी छाती को सुरक्षित रखें और भीड़ की दिशा में आगे बढ़ते रहें। खुली जगहों के प्रति सतर्क रहें और जहां भी भीड़ कम हो, वहां बगल में जाएं। दीवारों, बैरिकेड्स या दरवाजों जैसी बाधाओं से दूर रहें। अपने पैरों पर खड़े रहें और अगर आप गिरते हैं तो जल्दी से उठ जाएं। अगर आप इस प्रक्रिया में घायल हो जाते हैं और उठ नहीं पाते हैं, तो अपने सिर को ढकने के लिए अपनी बाहों का इस्तेमाल करें और उलटी तरफ मुड़ जाएं ताकि आपका जोखिम कम हो।
पंडालों में अनियोजित और अनधिकृत बिजली के तार, खाने-पीने की दुकानों पर एलपीजी सिलेंडर और आग लगने का खतरा पैदा करते हैं। आसपास की घनी भीड़ को देखते हुए आग लगने की ये घटनाएं जानलेवा हो सकती हैं।

हाथरस में बड़ा हादसा
- फोटो :
अमर उजाला
आयोजनों में किन बातों का ख्याल रखना चाहिए?
एनडीएमए कहता है कि आयोजकों को बिजली, अग्नि सुरक्षा बुझाने वाले यंत्रों और सुरक्षा दिशानिर्देशों के अनुसार अन्य व्यवस्थाओं का अधिकृत उपयोग सुनिश्चित करना चाहिए। पड़ोस के अस्पतालों की सूची काम आएगी। हल्के, सूती कपड़े पहनना और आग बुझाने के लिए जमीन पर लोटने जैसी बुनियादी तरकीबों का ज्ञान जैसी सरल सावधानियां जरूरी हैं।
एनडीएमए कहता है कि आयोजकों को बिजली, अग्नि सुरक्षा बुझाने वाले यंत्रों और सुरक्षा दिशानिर्देशों के अनुसार अन्य व्यवस्थाओं का अधिकृत उपयोग सुनिश्चित करना चाहिए। पड़ोस के अस्पतालों की सूची काम आएगी। हल्के, सूती कपड़े पहनना और आग बुझाने के लिए जमीन पर लोटने जैसी बुनियादी तरकीबों का ज्ञान जैसी सरल सावधानियां जरूरी हैं।