बिहार में कैसे हारा जनसुराज?: विकास-रोजगार के संदेश से लेकर जंगलराज के डर तक, जानें क्या-क्या बोले प्रवक्ता
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को प्रचंड बहुमत मिला, जबकि पहली बार मैदान में उतरी जन सुराज पार्टी को जनता ने पूरी तरह से नकार दिया। ऐसे में जन सुराज के प्रवक्ता पवन वर्मा ने पार्टी की हार के पीछे के कारण, मुद्दे और जनता के जंगलराज के डर जैसे सभी पहलुओं पर जोर दिया। आइए जानते है वर्मा ने क्या-क्या कहा?
विस्तार
बिहार में महीनों से चुनाव को लेकर जारी राजनीतिक घमासान अब थम चुका है। कारण है बीते 14 नवंबर को बिहार विधानसभा चुनाव का रिजल्ट सामने आया, जिसमें एनडीए को प्रचंड बहुमत मिला। महागठबंधन और अन्य पार्टियां पूरी तरह से बैकफुट पर दिखीं। ऐसे में इस चुनाव में अपनी पहली कोशिश में जन सुराज पार्टी (जेएसपी) को बड़ा झटका लगा। पार्टी को किसी भी सीट पर जीत नहीं मिली। नए उत्साह, रोजगार और विकास के मुद्दे पर ताल ठोकती प्रशांत किशोर की पार्टी को बिहार की जनता ने पूरी तरह से नकार दिया।
अब ऐसे में जेएसपी प्रवक्ता पवन वर्मा ने बिहार चुनाव में पार्टी की इस हार को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी। न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत के दौरान वर्मा ने कहा कि पार्टी का संदेश सही था, लेकिन बिहार के लोगों ने वर्षों की कष्ट और परेशानी के कारण सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन को वोट दिया। उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों ने राजद के तेजस्वी यादव और उनके ‘जंगल राज’ को वापस नहीं आने देना चाहा।
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'जन सुराज की नीयत साफ'
पवन वर्मा ने कहा कि हमारा संदेश सही था। हमारी नीयत पर कोई शक नहीं कर सकता। हमारा कहना था कि बिहार में 30 साल की कष्ट और परेशानी के बाद, बदलाव जरूरी था और ये बदलाव तभी आ सकता था जब लोग जाति और धर्म से ऊपर उठकर अपने बच्चों के भविष्य के लिए वोट दें। उन्होंने आगे कहा कि पार्टी ने चुनाव में तीसरा विकल्प पेश किया, जो पहले इतना मजबूत नहीं था। लेकिन लोग सोच रहे थे कि राजद को सत्ता में नहीं आने देना चाहिए, इसलिए उन्होंने उन पार्टियों को मजबूत किया जो उन्हें रोक सकते थे।
'महिलाओं का भरोसा नीतीश कुमार पर'
पवन वर्मा ने नीतीश कुमार और उनके कोर वोटरों की भी बात की। जेएसपी प्रवक्ता ने कहा कि बिहार के लोगों, खासकर महिलाओं का भरोसा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर है। नीतीश कुमार इस चुनाव का 'एक्स फैक्टर' थे। लोग सोच रहे थे कि उनका युग खत्म हो गया, लेकिन उनकी अपनी शख्सियत और ईमानदारी है। उनका कोई वंशवाद नहीं है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को 'सुशासन बाबू' कहा जाता है और वे देश की समाजवादी आंदोलन का सबसे साफ-सुथरे नेता हैं।
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'सत्तारूढ़ पार्टियों के पास पैसों की चाबी'
इसके साथ ही पार्टी प्रवक्ता ने आगे कहा कि चुनाव तक सत्तारूढ़ पार्टियों के पास खजाने की चाबी थी, जबकि बाकी पार्टियां सिर्फ वादे कर सकती थीं। उन्होंने एनडीए सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) का इस्तेमाल चुनाव में लोगों को प्रभावित करने के लिए किया गया। चुनाव से ठीक पहले, महिलाओं को ₹10,000 दिए गए, जिससे लोगों का झुकाव सत्तारूढ़ पार्टी की ओर बढ़ गया।