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सुप्रीम कोर्ट: हैदराबाद एनकाउंटर मामले में जांच आयोग ने दाखिल की सीलबंद रिपोर्ट, दुष्कर्म के चार आरोपियों को किया था ढेर
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Amit Mandal
Updated Wed, 23 Feb 2022 10:03 PM IST
सार
सुप्रीम कोर्ट ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश वीएस सिरपुरकर की अध्यक्षता वाले आयोग को छह महीने का विस्तार दिया गया था।
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supreme court, सुप्रीम कोर्ट
- फोटो : ani
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विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने हैदराबाद में पशु चिकित्सक से सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में चार आरोपियों के मुठभेड़ में मारे जाने की जांच करने वाले शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय जांच आयोग की सीलबंद कवर रिपोर्ट को वकीलों के साथ साझा करने से बुधवार को इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने अपनी रजिस्ट्री को न्यायमूर्ति वी एस सिरपुरकर जांच पैनल द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट की एक कॉपी पीठ के न्यायाधीशों को देने का भी निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना ने कहा कि पहले हमें रिपोर्ट यह देखनी होगी।
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दो खंडों में रिपोर्ट सौंपी
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि जांच आयोग के सचिव एस शशिधर रेड्डी ने 28 जनवरी, 2022 को एक सीलबंद लिफाफे में जांच आयोग की रिपोर्ट (दो खंडों में) प्रस्तुत की है। रिपोर्ट आज कोर्ट में खोली गई। हम रजिस्ट्री को इस पीठ के माननीय न्यायाधीशों (जस्टिस ए एस बोपन्ना और हिमा कोहली) को इस रिपोर्ट की प्रतियां देने का निर्देश देते हैं।
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संक्षिप्त सुनवाई में 6 दिसंबर 2019 को हैदराबाद पुलिस द्वारा चार आरोपियों की कथित मुठभेड़ में हत्या की जांच की मांग करते हुए वकील एमएल शर्मा ने एक जनहित याचिका दायर की थी। उन्होंने रिपोर्ट की एक प्रति भी मांगी। इस पर पीठ ने कहा कि फिलहाल हम इसे किसी को नहीं दे रहे हैं। पीठ ने एक सप्ताह के बाद जांच रिपोर्ट पर विचार करने के लिए जनहित याचिकाओं को सूचीबद्ध किया।
सुप्रीम कोर्ट ने देरी पर जताई नाराजगी
इससे पहले शीर्ष अदालत ने पिछले साल 3 अगस्त को चारों आरोपियों के मुठभेड़ में मारे जाने पर अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने के लिए शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश वीएस सिरपुरकर की अध्यक्षता वाले आयोग को छह महीने का विस्तार दिया था। पीठ ने जांच पूरी करने में देरी पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि उत्तर प्रदेश में गैंगस्टर विकास दुबे के मुठभेड़ में मारे जाने की जांच के लिए गठित एक समान पैनल पहले ही रिपोर्ट दाखिल कर चुका है। मुठभेड़ की परिस्थितियों की जांच करने के लिए 12 दिसंबर, 2019 को सिरपुरकर पैनल का गठन किया गया था और छह महीने में रिपोर्ट सौंपी जानी थी।