हैदराबाद कांड: सात साल बाद भी नहीं आया कोई बदलाव, 100 में से 32 को मिलती है सजा
हैदराबाद में पशु चिकित्सक के साथ हैवानियत को अंजाम देने वाले चारों आरोपियों को पुलिस ने मुठभेड़ में ढेर कर दिया है। 27-28 की दरम्यानी रात को पशु चिकित्सक जब डॉक्टर को दिखाकर वापस लौटी, तो अपनी स्कूटी के टायर को पंक्चर पाया। इसके बाद दो लोग कथित तौर पर उसकी मदद करने के लिए आए। इसके बाद दो और लोग आए और वह महिला को सुनसान स्थान पर ले गए जहां उन्होंने उसके साथ दुष्कर्म किया और फिर उसकी हत्या कर दी। इसके बाद फ्लाईओवर के नीचे उसके शव को आग के हवाले कर दिया।
कभी न खत्म होने वाली समस्या
हैदराबाद की घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। सभी आरोपियों को जल्द से जल्द सजा देने की मांग कर रहे थे। इस घटना ने 16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली में हुए निर्भया कांड की यादें ताजा कर दीं। जहां छह लोगों ने चलती बस में एक 23 साल की छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और उसकी जान लेने के लिए उसे नीचे फेंक दिया। इस घटना ने भारत में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर दुनिया का ध्यान खींचा था। छह में से एक आरोपी ने आत्महत्या कर ली थी। वहीं एक नाबालिग था। बाकी के चार आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है।
निर्भया कांड के सात साल बाद भी ज्यादा बदलाव नहीं आया है। हैदराबाद की घटना महिलाओं के साथ होने वाली दरिंदगी का एक उदाहरण था। राजस्थान में 38 साल के शराबी ने छह साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म किया और फिर उसी की बेल्ट से उसका गला घोंट दिया। बच्ची का गला इतनी जोर से घोंटा गया कि उसकी आंखें बाहर निकल आईं। आरोपी ने मासूम को टॉफी का लालच दिया था। उसने मासूम की हत्या इसलिए कर दी क्योंकि वह उसे जानती थी और उसके जरिए पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेती।
राजनेता देते हैं आपत्तिजनक बयान
महिला अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि भारत में यौन उत्पीड़न की समस्या ने इसलिए जड़ें फैला रखी हैं क्योंकि अधिकारी इसे कानून व्यवस्था की समस्या के बजाए सामाजिक और सांस्कृति मुद्दे के तौर पर देखती है। दिल्ली स्थित सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की निदेशक रंजना कुमारी ने कहा, 'यह समाज के दिमाग में है। पुरुष और लड़के महिलाओं के साथ बर्बरता करते हैं। यदि कानून व्यवस्था मजबूत होगी तो कानून रक्षक के तौर पर काम करना शुरू कर देगा। राजनेता आपत्तिजनक बयान देते हैं जिससे दुष्कर्म संस्कृति को बढ़ावा मिलता है।'
2017 में दर्ज हुए 32,559 मामले
साल 2017 में दुष्कर्म के 32559 मामले दर्ज हुए थे। इसी साल दुष्कर्म के 146201 मामले अदालत में लंबित पड़े थे। जबकि 117451 मामले ऐसे थे, जो पिछले साल (2016) से लंबित पड़े हुए हैं। वहीं 28750 मामलों को 2017 में ट्रायल के लिए भेजा गया था। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2017 में यदि दुष्कर्म के आरोपियों को सजा मिलने की दर देखी जाए तो यह केवल 32.2 फीसदी थी। जिसका मतलब है कि 100 में से 32 मामलों में दोषी को सजा मिली।