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Chandrayaan 3: चंद्रमा पर हो सकता है बर्फ का अस्तित्व, चंद्रयान 3 के भेजे गए रिपोर्ट से हुआ बड़ा खुलासा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: पवन पांडेय
Updated Thu, 06 Mar 2025 10:36 PM IST
सार
Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 मिशन की तरफ से एकत्रित किए गए आंकड़ों से पता चला है कि चंद्रमा के ध्रुवों के पास चंद्रमा की सतह के नीचे पहले से ज्यादा स्थानों पर बर्फ का अस्तित्व हो सकता है। ये आकंड़े चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर पर सवार 'चैस्टी' प्रोब की तरफ से एकत्रित किए गए थे।
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चंद्रमा पर बर्फ का अस्तित्व
- फोटो : PTI / अमर उजाला
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विस्तार
चंद्रयान-3 मिशन की तरफ से एकत्रित किए गए आंकड़ों से यह पता चला है कि चंद्रमा के ध्रुवों के पास चंद्रमा की सतह के नीचे पहले से ज्यादा स्थानों पर बर्फ का अस्तित्व हो सकता है। यह निष्कर्ष एक अध्ययन में सामने आया है जो कम्युनिकेशन्स अर्थ एंड एनवायरनमेंट पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
इस अध्ययन के प्रमुख लेखक दुर्गा प्रसाद करनम, जो अहमदाबाद के फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी में फैकल्टी हैं, ने बताया कि सतह के तापमान में बड़े और स्थानीय परिवर्तन बर्फ के बनने में सीधे प्रभाव डाल सकते हैं। बर्फ के कणों का अध्ययन करने से उनके उत्पत्ति और इतिहास के बारे में नई जानकारियां मिल सकती हैं। यह जानकारी यह भी बताएगी कि समय के साथ चंद्रमा की सतह पर बर्फ कैसे जमा हुई और वहां से चली गई, जो चंद्रमा के प्रारंभिक भूगर्भिक प्रक्रियाओं को समझने में मदद कर सकती है।
चंद्रयान-3 मिशन, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बंगलूरू से लॉन्च किया था, ने 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास एक सॉफ्ट लैंडिंग की। इस लैंडिंग स्थल को तीन दिन बाद 26 अगस्त को 'शिव शक्ति प्वाइंट' नाम दिया गया था।
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इस अध्ययन के प्रमुख लेखक दुर्गा प्रसाद करनम, जो अहमदाबाद के फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी में फैकल्टी हैं, ने बताया कि सतह के तापमान में बड़े और स्थानीय परिवर्तन बर्फ के बनने में सीधे प्रभाव डाल सकते हैं। बर्फ के कणों का अध्ययन करने से उनके उत्पत्ति और इतिहास के बारे में नई जानकारियां मिल सकती हैं। यह जानकारी यह भी बताएगी कि समय के साथ चंद्रमा की सतह पर बर्फ कैसे जमा हुई और वहां से चली गई, जो चंद्रमा के प्रारंभिक भूगर्भिक प्रक्रियाओं को समझने में मदद कर सकती है।
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चंद्रयान-3 मिशन, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बंगलूरू से लॉन्च किया था, ने 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास एक सॉफ्ट लैंडिंग की। इस लैंडिंग स्थल को तीन दिन बाद 26 अगस्त को 'शिव शक्ति प्वाइंट' नाम दिया गया था।
चंद्रयान 3 के आंकड़ों से बड़ा खुलासा
- फोटो : PTI
इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने चंद्रमा की सतह के 10 सेंटीमीटर नीचे तक तापमान मापने के डेटा का विश्लेषण किया। ये माप चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर पर सवार 'चैस्टी' प्रोब की तरफ से किए गए थे। लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र के किनारे पर लगभग 69 डिग्री दक्षिणी अक्षांश पर उतरा था। इस लैंडिंग स्थल पर 'सूर्य की दिशा में झुका हुआ ढलान' था, जहां तापमान दिन के समय लगभग 82 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया और रात में -170 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया।
इसके अलावा, लैंडिंग बिंदु से केवल एक मीटर दूर एक सपाट सतह पर तापमान लगभग 60 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। करनम ने कहा, 'इस हल्के ढलान के कारण चैस्टी प्रोब के प्रवेश बिंदु पर सूर्य का विकिरण अधिक था।'
टीम ने एक मॉडल विकसित किया जिसमें यह दिखाया गया कि ढलान के कोण का चंद्रमा के उच्च अक्षांश पर सतह के तापमान पर क्या प्रभाव पड़ता है। इस मॉडल से पता चला कि अगर ढलान सूर्य से दूर हो और चंद्रमा के निकटतम ध्रुव की ओर हो, तो 14 डिग्री से अधिक कोण वाले ढलान पर बर्फ सतह के पास जमा हो सकती है। यह मॉडल उस जगह के ढलान स्थितियों से मेल खाता है जहां नासा के 'आर्टेमिस' मिशन के लिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग प्रस्तावित की गई है।
इसके अलावा, लैंडिंग बिंदु से केवल एक मीटर दूर एक सपाट सतह पर तापमान लगभग 60 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। करनम ने कहा, 'इस हल्के ढलान के कारण चैस्टी प्रोब के प्रवेश बिंदु पर सूर्य का विकिरण अधिक था।'
टीम ने एक मॉडल विकसित किया जिसमें यह दिखाया गया कि ढलान के कोण का चंद्रमा के उच्च अक्षांश पर सतह के तापमान पर क्या प्रभाव पड़ता है। इस मॉडल से पता चला कि अगर ढलान सूर्य से दूर हो और चंद्रमा के निकटतम ध्रुव की ओर हो, तो 14 डिग्री से अधिक कोण वाले ढलान पर बर्फ सतह के पास जमा हो सकती है। यह मॉडल उस जगह के ढलान स्थितियों से मेल खाता है जहां नासा के 'आर्टेमिस' मिशन के लिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग प्रस्तावित की गई है।
चंद्रयान 3 के आंकड़ों से बड़ा खुलासा
- फोटो : PTI
आखिर में शोधकर्ताओं ने यह सुझाव दिया कि चंद्रमा पर अब पहले से ज्यादा स्थानों पर बर्फ का बनना और उसे आसानी से प्राप्त करना संभव हो सकता है। चंद्रमा पर बर्फ को पानी में बदलने के बारे में सवाल का जवाब देते हुए करनम ने कहा, 'चंद्रमा की सतह पर पानी तरल रूप में नहीं रह सकता क्योंकि यहां अत्यधिक उच्च वैक्यूम है। इसलिए, बर्फ तरल में नहीं बदल सकती, बल्कि यह वाष्प रूप में सीधे सब्लाइमेट हो जाएगी।' उन्होंने यह भी कहा, 'वर्तमान समझ के अनुसार, चंद्रमा पर अतीत में रहने योग्य परिस्थितियां नहीं रही होंगी।'
हालांकि, चंद्रमा पर बर्फ भविष्य में स्थल पर अन्वेषण और निवास के लिए एक संभावित संसाधन हो सकती है, और इसके लिए अधिक माप और आंकड़ों की आवश्यकता है, जैसे कि चैस्टी की तरफ से आंकड़े हासिल किए गए हैं, ताकि चंद्रमा की सतह के बारे में एक संपूर्ण चित्र प्राप्त किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा, 'चंद्रमा पर बर्फ को निकालने और इसके उपयोग के लिए दीर्घकालिक स्थिरता के लिए तकनीकों और रणनीतियों का विकास करना होगा।'
हालांकि, चंद्रमा पर बर्फ भविष्य में स्थल पर अन्वेषण और निवास के लिए एक संभावित संसाधन हो सकती है, और इसके लिए अधिक माप और आंकड़ों की आवश्यकता है, जैसे कि चैस्टी की तरफ से आंकड़े हासिल किए गए हैं, ताकि चंद्रमा की सतह के बारे में एक संपूर्ण चित्र प्राप्त किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा, 'चंद्रमा पर बर्फ को निकालने और इसके उपयोग के लिए दीर्घकालिक स्थिरता के लिए तकनीकों और रणनीतियों का विकास करना होगा।'
चंद्रयान 3 के आंकड़ों से बड़ा खुलासा
- फोटो : PTI
शोधकर्ताओं ने लिखा, 'चैस्टी के निष्कर्ष न केवल चंद्रमा की सतह के तापमान में सूक्ष्म स्थानिक भिन्नताओं को दिखाते हैं, बल्कि यह भी बताते हैं कि उच्च अक्षांश वाले क्षेत्र जल-बर्फ, संसाधन अन्वेषण और निवास के लिए संभावित स्थान हो सकते हैं।' उन्होंने कहा, 'ऐसे स्थल न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से दिलचस्प हैं, बल्कि चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों के मुकाबले अन्वेषण के लिए कम तकनीकी चुनौतियां पेश करते हैं'।